कनपुरिया गुटखा

कानपुर की दो ही चीजें मशहूर हैं, पान मसाला और चमड़े की वस्तुएं। पान मसाले का बेताज बादशाह, मेरा लंगोटिया यार है, उस ज़माने में राम कृष्ण नगर में उसके घर पर पान मसाला बनाया जाता था, और मूलतः पान की दुकानों को ही बेचा जाता था। अंकल की साफ़ हिदायत थी, बच्चे इसको ना ही चखें, इसलिए हम सभी को उस कमरे से दूर रखा जाता था। हालाँकि उस समय, पान मसाला, शुद्ध सामग्री से ही बनाया जाता था, धीरे धीरे व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा ने उसका रूप स्वरुप और शुद्घता की ऐसी की तैसी कर दी।

कनपुरिया होने के बावजूद मुझे कभी पान मसाला या गुटखा का शौक नहीं हुआ, क्योंकि मुझे पता था,सस्ते के चक्कर में इसमे क्या क्या डाला जाता है। उमर बढ़ने के साथ, अंकल ने हमे अपनी लैब में एंट्री देनी शुरू कर दी, हमे क्वालिटी कंट्रोल वाले सेक्शन तक ही जाने दिया जाता, अंकल सारे शहर के गुटखे के सैंपल लेकर आते, हम लोग पानी और दूसरे केमिकल डालकर उसकी शुद्धता की जाँच करते, तब पता चलता, ना जाने कितनी अखाद्य सामग्री इसमे डाली जाती है। आपको विश्वास ना हो तो, एक पाउच को पानी में डाल दीजिए, 15 मिनट के बाद, जब सुगंध पानी से धुल जाए, तो बची खुची सामग्री को उठा कर स्वाद लीजिए, आपको खुद पता चल जाएगा।अगर फिर भी ना पता चले, तो किसी भी लैब में ले जाकर पता करवा लीजियेगा। धंधा है पर गन्दा है।

उस ज़माने में, कानपुर की लगभग सभी टैनरियों में मेरा बनाया सॉफ्टवेयर ही चलता था, उस समय चमड़े की छालन, जो कचरे में फेंकी जाती थी, उसके खरीदने वाले भी ग्राहक आते थे, बाद में पता चला कि खरीदने वाला इसको प्रोसेस करके सस्ते पान मसाला वालों को बेचता था।फेंके हुए कचरे का भी लाखों का कारोबार हो गया था। अंकल की लैब ने भी इसकी पुष्टि कर दी थी, तब से पान मसाला, खैनी और गुटखा बनाने वालों को दूर से ही नमस्कार है, हालाँकि खाने वाले इसके नफे नुकसान पर आज भी बहस करते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि मसाला गुटखा खाने से सिर्फ नुकसान होता है, इन गुटखा प्रेमियों की पत्नियों से पूछिये, कि घर में कितनी शांति रहती है। ये लेख समर्पित है, उन सभी मसाला/गुटखा प्रेमी दोस्तों को, जो बेचारे पूरा मुँह खोले बिना सिर्फ हाँ जी, वाली कंसेंट देते रहते हैं।

कहानी तो छोटे लोगों की लिखी जाती हैं, कानपुर नगर का तो इतिहास लिखा जाता हैं।

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भारतीय संस्कृति – कुछ ज्ञानवर्धक तथ्य

आम तौर पर धारणा है कि हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता होते है, कहते हैं कि अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।

33 करोड़ नहीं 33 कोटी देवी देवता हैँ हिंदू धर्म में ;

कोटि = प्रकार ।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते हैं ।

कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता ।

कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिंदू धर्म में :-

12 प्रकार हैँ :-
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँशभाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु…!

8 प्रकार हैं :-
वासु:, धरध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।

11 प्रकार हैं :-
रुद्र: ,हरबहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।
एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार ।

कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी

यह बहुत ही अच्छी जानकारी है इसे अधिक से अधिक लोगों में बाँटिये और इस कार्य के माध्यम से पुण्य के भागीदार बनिये ।

आइये आपको कुछ और जानकारी भी देते चलें

📜😇 दो पक्ष-

कृष्ण पक्ष ,
शुक्ल पक्ष !

📜😇 तीन ऋण –

देव ऋण ,
पितृ ऋण ,
ऋषि ऋण !

📜😇 चार युग

सतयुग ,
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग ,
कलियुग !

📜😇 चार धाम

द्वारिका ,
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी ,
रामेश्वरम धाम !

📜😇 चार पीठ

शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,
शृंगेरीपीठ !

📜😇 चार वेद

ऋग्वेद ,
अथर्वेद ,
यजुर्वेद ,
सामवेद !

📜😇 चार आश्रम

ब्रह्मचर्य ,
गृहस्थ ,
वानप्रस्थ ,
संन्यास !

📜😇 चार अंतःकरण

मन ,
बुद्धि ,
चित्त ,
अहंकार !

📜😇 पञ्च गव्य

गाय का घी ,
दूध ,
दही ,
गोमूत्र ,
गोबर !

📜😇 पञ्च देव

गणेश ,
विष्णु ,
शिव ,
देवी ,
सूर्य !

📜😇 पंच तत्त्व

पृथ्वी ,
जल ,
अग्नि ,
वायु ,
आकाश !

📜😇 छह दर्शन

वैशेषिक ,
न्याय ,
सांख्य ,
योग ,
पूर्व मिसांसा ,
दक्षिण मिसांसा !

📜😇 सप्त ऋषि

विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज ,
गौतम ,
अत्री ,
वशिष्ठ और कश्यप!

📜😇 सप्त पुरी

अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी ,
माया पुरी ( हरिद्वार ) ,
काशी ,
कांची
( शिन कांची – विष्णु कांची ) ,
अवंतिका और
द्वारिका पुरी !

📜😊 आठ योग

यम ,
नियम ,
आसन ,
प्राणायाम ,
प्रत्याहार ,
धारणा ,
ध्यान एवं
समािध !

📜😇 आठ लक्ष्मी

आग्घ ,
विद्या ,
सौभाग्य ,
अमृत ,
काम ,
सत्य ,
भोग ,एवं
योग लक्ष्मी !

📜😇 नव दुर्गा

शैल पुत्री ,
ब्रह्मचारिणी ,
चंद्रघंटा ,
कुष्मांडा ,
स्कंदमाता ,
कात्यायिनी ,
कालरात्रि ,
महागौरी एवं
सिद्धिदात्री !

📜😇 दस दिशाएं

पूर्व ,
पश्चिम ,
उत्तर ,
दक्षिण ,
ईशान ,
नैऋत्य ,
वायव्य ,
अग्नि
आकाश एवं
पाताल !

📜😇 मुख्य ११ अवतार

मत्स्य ,
कच्छप ,
वराह ,
नरसिंह ,
वामन ,
परशुराम ,
श्री राम ,
कृष्ण ,
बलराम ,
बुद्ध ,
एवं कल्कि !

📜😇 बारह मास

चैत्र ,
वैशाख ,
ज्येष्ठ ,
अषाढ ,
श्रावण ,
भाद्रपद ,
अश्विन ,
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष ,
पौष ,
माघ ,
फागुन !

📜😇 बारह राशि  –

मेष ,
वृषभ ,
मिथुन ,
कर्क ,
सिंह ,
कन्या ,
तुला ,
वृश्चिक ,
धनु ,
मकर ,
कुंभ ,
कन्या !

📜😇 बारह ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ ,
मल्लिकार्जुन ,
महाकाल ,
ओमकारेश्वर ,
बैजनाथ ,
रामेश्वरम ,
विश्वनाथ ,
त्र्यंबकेश्वर ,
केदारनाथ ,
घुष्नेश्वर ,
भीमाशंकर ,
नागेश्वर !

📜😇 पंद्रह तिथियाँ

प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी ,
पंचमी ,
षष्ठी ,
सप्तमी ,
अष्टमी ,
नवमी ,
दशमी ,
एकादशी ,
द्वादशी ,
त्रयोदशी ,
चतुर्दशी ,
पूर्णिमा ,
अमावास्या !

📜😇 स्मृतियां

मनु ,
विष्णु ,
अत्री ,
हारीत ,
याज्ञवल्क्य ,
उशना ,
अंगीरा ,
यम ,
आपस्तम्ब ,
सर्वत ,
कात्यायन ,
ब्रहस्पति ,
पराशर ,
व्यास ,
शांख्य ,
लिखित ,
दक्ष ,
शातातप ,
वशिष्ठ !

 

हो सकता है इसमें से कुछ आपको पहले से पता हो, लेकिन मेरा दावा है की काफी कुछ आपको पहले से नहीं पता होगा। अपना ज्ञानवर्धन करें और दूसरों को भी ज्ञान बांटे।  आते रहिये और पढ़ते रहिये आपका पसंदीदा ब्लॉग।

 

ऑनलाइन समाचारपत्र और विज्ञापन

 

साथियों,

मेरे विचार से आप सभी भी उन लोगों में शामिल है जो समाचारपत्र के पोर्टल से खबरें देखते हैं।  शुरू शुरू में तो वहां पर खबरें दिखती थी, थोड़े दिनों बाद विज्ञापन भी आने शुरू हो  गए, तब भी ठीक था, लेकिन फिर विज्ञापन और ख़बरों का अनुपात ऐसा बिगड़ा कि अब एक खबर ढूंढ़ने के लिए जबरन १० विज्ञापन देखने पड़ते हैं ऊपर से तुर्रा ये की ये समाचारपत्र आपको सारी खबरें मुफ्त में मुहैया कराते है इसलिए विज्ञापन दिखाना इनका जन्मसिद्द अधिकार है।  ये कहाँ की शराफत है की आप अपनी मनमर्जी पाठकों पर थोपो।

newsportal photo

 

मैं गूगल का क्रोम ब्राउज़र प्रयोग करता हूँ, इसलिए विज्ञापनों को छिपाने के लिए मैंने adblock नामक प्लगइन लगाया, शुरू शुरू में तो सब सही चला लेकिन ये समाचारपत्र भी शातिर निकले, एक एक करके इन सभी ने adblock को भी ब्लॉक कर दिया, अब आप किसी भी साइट पर जाओ, नवभारत टाइम्स , जागरण, दैनिक भास्कर या कोई भी और समाचारपत्र सभी ने एक सुर में adblock को बैन कर दिया है, अब क्या करें?

तकनीकी रूप से हर चीज़ का इलाज संभव है, यदि आप गूगल क्रोम प्रयोग करते है,  तो एक और प्लग इन लगाए “NOSCRIPT ”   इसके लगाने से ये समाचारपत्र कोई भी javascript अपनी मर्जी से नहीं चला सकेंगे। इससे आपको थोड़ी परेशानी होगी, बाकी साइट पर भी “NoScript ” प्लगइन सक्रिय हो जाएगा, उसके लिए एक बटन से आप दूसरी साइट्स पर जावास्क्रिप्ट चलाने की आज्ञा दे सकते हैं। यह  प्लग इन  यहाँ पर उपलब्ध है

दुसरे ब्राउज़र पर भी ऐसे प्लगइन उपलब्ध  होंगे, गुणीजन अपना ज्ञान बाटें , ताकि पाठकों का ज्ञानवर्धन हो सके।

 

सोशल मीडिया रोग – व्हाट्सएप्पेरिया

नमस्कार!

आइये आज कुछ नयी तरह की बीमारी की बात करते हैं।  ये कुछ अजीब किस्म की बीमारी होती है, इसके लक्षण और उपचार भी अलग तरीके के हैं.

 

लक्षण

  • क्या आपका भी दिन मोबाइल पर व्हाट्सएप्प के ग्रुप की गुड मॉर्निंग से ही शरू होता है ?
  • क्या आप की तब तक सुबह नहीं होती , जब तक शिरडी वाले साईंबाबा के दर्शन आपके व्हाट्सएप्प  पर ना  हो?
  • क्या आप का खाना तब तक हज़म नहीं होता जब तक आपके नए प्रोफाइल पिक्चर पर पचास सौ लाइक ना आ जाएँ।
  • क्या आपको  तब तक चैन नहीं मिलता, जब तक आपकी नयी कविता वाली पोस्ट पर  दस बीस वाह-वाह नुमा टिप्पणियाँ ना मिले।
  • क्या आप भी उन लोगों में से है, जो बाज़ार लेने तो रुमाल गए थे, लेकिन ड्रेसिंग रुम में चार पाँच ड्रेस पहन कर अपनी डीपी  बदलते  है।

यदि ऊपर के सभी जवाब हाँ है, तो  यक़ीन मानिये आप एक भयंकर बीमारी से ग्रस्त है, जिसका नाम सोशल मीडेरिया या कहो व्हाट्सएप्पेरिया है, बहुत मुश्किल स्थिति है, दवा दारू से अब कुछ नहीं होना, सब कुछ प्रार्थना और ऊपर वाले की मर्जी पर निर्भर करता है। लेकिन ये स्थिति आयी कैसे? सबसे पहले व्हाट्सएप्प की बात करते हैं।

व्हाट्सएप्प एक ऐसा चैट वाला सॉफ्टवेयर है जहाँ आप चार पांच ग्रुप में तो बिना पूछे मेम्बर बना दिया जाते हो।  जैसे ससुराल वाले (जीजा साले वाले ग्रुप में ) , अब साला है, उसने आपको एक दो एडल्ट ग्रुप में बिना पूछे डाल ही दिया होगा। फिर आती है बात सालियों की, यदि २ से ज्यादा है, तो जाहिर है, उनकी आपस में पटेगी नहीं, इसलिए आप दोनों के ग्रुप में होंगे, फिर स्कूल वाले दोस्त, कॉलेज वाले यार, बस वाले हमसफ़र , ट्रैन वाले मित्र , ऑफिस वाले आपके नीचे काम करने वालों का ग्रुप जिन्होंने आपको इसलिए जोड़ा ताकि ऊपर की खबर मिलती रही, ऑफिस के बॉस वाला ग्रुप  – ताकि बॉस को पता चलता रहे कि आप रात को कितने बजे तक जागे और उसके जोक पर हँसे क्यों नहीं , बिल्डिंग वाले, पुरानी कंपनी वाले, शेयर मार्केट वाले, शौंकिया दोस्त, कभी कभार वाले मित्र, फिर आपके भाई भतीजे वाले ग्रुप। अभी गिनाने बैठा तो पूरी पोस्ट निकल जायेगी। कहने का मतलब या है की सारा दिन तो व्हाट्सएप्प के चुटकुले और संदेश पढ़ने में निकल जाता है, बंदा काम कब करेगा?

व्हाट्सएप्प के ग्रुप

  • ससुराल पक्ष वाला ग्रुप, इसमें आपको बिना पढ़े वाह वाह करना पड़ता है, मज़ाल है कि आप चूं चा भी कर सके, म्यूट करने का तो सोचना भी मत।
  • साला और उसके ठरकी दोस्तों का डर्टी जोक वाला ग्रुप।  जरूरी नहीं सिर्फ आपका साला ही ठरकी हो, आपके दोस्तों वाले ग्रुप में भी कोई ना कोई होगा ही।
  • आपके पक्ष (भाई भतीजे) वाला ग्रुप। आपको बीच बीच में हाँ हूँ करना ही पड़ता है, नहीं तो जोरू का गुलाम वाला लेबल लग जाएगा।
  • पुराने ऑफिस वाले बन्दों का ग्रुप, इसमें आप इसी लिए लटके है , क्योंकि आपकी पुरानी वाली सहकर्मी का अभी अभी तलाक़ हुआ है, और आप अभी भी उम्मीद बांधे हैं।
  • ऑफिस के सहकर्मियों का ग्रुप, आपके कनिष्ठ साथियों का ग्रुप, वहां आप इसलिए है, क्योंकि वो ऊपर की बाते जानना चाहते है।
  • फिर बॉस वाला ग्रुप, क्योंकि बॉस को भी तो अपने जोक्स पर हँसने वाला चाहिए ना?
  • शेयर मार्किट वाला ग्रुप, रोज़ाना टिप देने वाले और शाम को बताने वाले की कितना कमाया और आप निकम्मे नाकारा है।
  • प्रॉपर्टी वाला ग्रुप , जो यही बताते है, कि यदि आज नहीं लिया तो कल से रेट बढ़ जाने वाले है।
  • सोसाइटी के सेक्रेटरी बनर्जी साहेब का बनाया हुआ ग्रुप, ये बताने के लिए कि उन्होंने सोसाइटी के लिए कितना काम किया।
  • कम्युनिटी वाला ग्रुप , सोशल सर्विस वाला ग्रुप
  • गपशप वाला ग्रुप
  • धीर गंभीर विचार विमर्श वाला ग्रुप।
  • सांस्कृतिक और दार्शनिक विचारधारा वाला ग्रुप।
  • बीजेपी और कांग्रेसी विचारधारा वाला ग्रुप
  • निकट पारिवारिक ग्रुप, दूरस्थ आपके रिश्तेदारों वाला ग्रुप।
  • अलाना ग्रुप, फलाना ग्रुप।

whatsapp photo

किस्म किस्म के संदेश 

  1. गुड मॉर्निंग वाले संदेशे, गोया कि इनका मैसेज नहीं आया तो सुबह नहीं होगी।
  2. कुछ मैसेज आते है, जिसमे उस मैसेज को १० लोगों तक पहुँचाने की बात कही जाती है, नहीं तो अनर्थ हो जाएगा।
  3. कोई शिरडी, कोई बालाजी और कोई कैलाश मानसरोवर के दर्शन कराने वाले संदेश।
  4. कोई टूटे हुए दिल के निकली हुई आह वाले सन्देश।
  5. चीन के शुन्झुन प्रान्त में छोटे बच्चे के नाचने वाला वीडियो सन्देश।
  6. शेरो शायरी वाले मैसेज
  7. पहेलियों और क्विज वाले मैसेज
  8. मोदी सरकार की उपलब्धियों वाले मैसेज
  9. मोदी सर्कार के खिलाफ वाले मैसेज
  10. चमत्कार वाले मैसेज
  11. प्राकृतिक चिकित्सा वाले मैसेज
  12. हर तरह के रोगो का उपचार
  13. पानी ज्यादा पीने के फायदे वाला मैसेज
  14. पानी ज्यादा पीने के नुक्सान वाला मैसेज
  15. वीर जवानो को एक सैल्यूट ठोकने वाला मैसेज
  16. पाकिस्तान को ललकारने वाला मैसेज
  17. टीवी पत्रकारों के समर्थन और खिलाफ वाले मैसेज
  18. क्रिकेट वाले मैसेज
  19. हॉकी को भुलाने पर गरियाने वाले मैसेज
  20. हर तरह के वेज और नॉन वेज जोक्स
  21. तीन साल पहले हुए हादसे का वीडियो, फिर से पेश करने वाला मैसेज
  22. अफ़वाह फ़ैलाने वाले मैसेज
  23. संत वाणी
  24. संगीत की डॉउनलोड फाइलों के लिंक वाले मैसेज
  25. अकारण डराने वाले मैसेज
  26. अकारण खुश करने वाले मैसेज
  27. बाबा रामदेव के पक्ष और विपक्ष वाले मैसेज
  28. ख़ूबसूरत फूल पत्ती , पशु पक्षी वाले मैसेज
  29. स्थानीय सेल वाले मैसेज
  30. फिल्मो से सम्बंधित मैसेज

उपचार

अब बीमारी की बात तो हो गयी, थोड़ा उपचार की भी बात कर ली जाए।

  • सबसे पहले तो अपने मोबाइल पर चार पांच तरह के लॉक लगाइये , फिंगरप्रिंट, फेस , कोड, पैटर्न जितना हो सके लगाइये।
  • व्हाट्सएप्प के सारे ग्रुप को म्यूट (मौन) कर दीजिये, एक साल के लिए।
  • सभी ग्रुप में फैला दीजिये कि आप शांति की खोज में, स्वामी जितेंद्रानंद के आश्रम में आत्मचिंतन करने जा रहे हैं और आश्रम में वाईफाई नहीं है।
  • जिन ग्रुप में आपको जबरदस्ती सदस्य बनाया गया (ससुराल या दुसरे) वहां पर आप अपनी निष्पक्ष राय रखिये, यदि जोक पुराना है तो हँसिये मत, बेतुकी सी स्माइली दीजिये, या फिर बेझिझक बोल दीजिये।
  • अपनी पसंद नापसंद बताना शुरू कर दीजिये। लोग अपने आप पक जाएंगे।
  • निष्पक्ष राय देना शुरू कर दीजिये, आलोचना करने की आदत डालिये वो जैसे कन्या राशि (Virgo ) वाले होते है ना वैसे ही।
  • इस तरह से आप कुछ ग्रुप से वैसे ही निकाल  दिए जाएंगे, या फिर लोग आपको अलग थलग करके नया ग्रुप बना  लेंगे, आपका क्या?
  • उल जुलूल विषयों पर अपनी निष्पक्ष राय व्यक्त करिये , विषय के लिए अलग से संपर्क करिये।
  • लोगों को डीपी पर वाह वाह मत करिये, उसकी जगह कहिये, “तुम पर ये कलर सूट नहीं करता”, “नीला थोड़ा ज्यादा नीला नहीं है?” वगैरहा वगैरहा  , यकीन मानिए, आपको लोग ब्लॉक ना करें तो कहियेगा।

इस तरह से आपको सोशल मीडिया से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा, आपका काफी फायदा हो जाएगा, जो समय मिले उसका सदुपयोग  पढ़ने  और लिखने में  करें, यक़ीन मानिए, आपको काफी अच्छा लगा  लगेगा, तो फिर आते रहिये और पढ़ते रहिये आपका पसंदीदा ब्लॉग।

 

 

 

 

 

श्री रामचरित मानस

आइये आज कुछ बात करते है, ब्लॉगजगत के कुछ यादगार लम्हों की।  बात कुछ २००६ की है, जब हम हिंदी ब्लॉगजगत में स्थापित होने की कगार पर थे।  हर रोज कुछ ना कुछ नयी खुराफात करने की कोशिश करते थे,  इसी कोशिश का नतीजा था , श्री रामचरित मानस को इंटरनेट पर देखने का, वैसे तो कई संस्करण उपलब्ध थे, लेकिन यूनिकोड पर एक भी ना था, लिहाज़ा  हमने सुन्दर काण्ड लिख मारा।  अब पन्गा तो ले ही लिया था, अब बाकी का काम कैसे हो, तो पुराने साथियों शुकुल और रवि भाई को साधा गया।  दोनों को पूर्ण सहयोग से हमने जुलाई २००६ में श्रीरामचरित मानस को इंटरनेट पर स्थापित किया।

कोशिश यही थी कि  इसे हर जगह प्रदर्शित किया जाए, इसलिए हमें जो भी प्लेटफार्म (ब्लॉगर, वर्डप्रेस, या अन्य ) मिले वहां पर इसको स्थापित किया गया , ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसको देखकर , नित्यदिन पढ़े और लाभान्वित हो। काफी वर्ष ऐसा ही चलता है, सैकड़ों  टिप्पणियों और उस से भी ज्यादा पाठकों की धन्यवाद मेल देखकर दिल गदगद  हुआ।  समयाभाव के कारण या कहो हमारी सुस्ती के कारण इसको अपनी साइट पर नहीं ले जा सके और ना ही उसमे कुछ नया फ़ीचर डाल सके।  अभी पिछले दिनों कुछ समय मिला था तो इसको हमने अपने सर्वर पर स्थापित किया और उसने काफी सारे नए फ़ीचर जोड़े हैं। साइट का नया पता यहाँ पर है।

आइये कुछ बात करते है नए फ़ीचर की, हमने थोड़ा प्रयास किया है, आपका सहयोग रहेगा तो और भी काम आगे बढ़ेगा। नए फीचर में हमने जो जोड़ा है :

  1. रामायण जी की आरती  – यह नया पेज बनाया गया है, आप पसंद करेंगे।
  2. रामायण प्रश्नावली – हमने आपकी जानकारी परखने के लिए रामायण प्रश्नावली प्रस्तुत करी  है, इसके नित नए संस्करण लाते रहेंगे, आपको पसंद आएंगे।
  3. रोचक तथ्य – श्री रामचरित मानस से सम्बंधित कुछ रोचक तथ्यों को एक साथ दर्शाया गया है, उम्मीद है आपको पसंद आएंगे.
  4. हनुमान चालीसा – पाठकों की विशेष मांग पर हनुमान चालीसा को भी इस साइट पर जोड़ा गया है, आशा है आपको पसंद आएगा।
  5. मोबाइल एप्लिकेशनश्री रामचरित मानस का एंड्रॉइड पर एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध कराया गया है, आशा है आपको पसंद आएगा।

अभी बहुत कूछ है दिमाग में , जिसको कार्यान्वित किया जाएगा, आपसे निवेदन है  कि साइट का विजिट करें और हमें और सुझाएं ताकि हम इसमें और भी फ़ीचर जोड़ सके।

तो फिर आते रहिए पढ़ते , आपका पसंदीदा ब्लॉग।

 

रैनसमवेयर

आजकल हर तरफ जिधर देखो उधर रैनसमवेयर  की ही चर्चा है, लेकिन ये है क्या? सभी लोग इस से भयभीत क्यों है? आइये कुछ जानकारी करते है।  मै  हूँ जीतेन्द्र चौधरी, हर तकनीकी विषय को आपकी भाषा और आपके लेवल पर समझाने  वाला, आपका दोस्त, हमदम और मददगार ।

रैनसमवेयर क्या होता है?

पुराने समय में हम लोग सभी कुछ इंटरनेट पर नहीं करते थे, आजकल तो जो भी है, सब ऑनलाइन है, हमारी इमेल्स , खाताबही, सोशल मीडिया और हर वो छोटी बड़ी चीजें हो कभी डायरी और दिमाग में हुआ करती थी, आजकल ऑनलाइन है।  हमारा सारा हिसाब किताब, एक कंप्यूटर के अंदर समाया हुआ है, देखा जाए तो पूरी की पूरी दुनिया ही कम्प्यूटर के अंदर है।  अब जब सब कुछ एक ही जगह है तो उसकी कुछ सुरक्षा तो होनी ही चाहिए ना ? बस यहीं पर हम मात खा जाते है।  हम कम्प्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल तो महंगे से महँगा खरीदेंगे लेकिन उसकी सुरक्षा के लिए कोई 500 रुपये का सॉफ्टवयेर नहीं लेंगे।  खैर ये तो बात थी हमारी, हम बात कर रहे थे,  रैनसमवेयर  की।

computer virus photo

दरअसल रैनसमवेयर कुछ दुष्ट प्रजाति के प्रोग्रामर्स की खुराफाती दिमाग की उत्पति है, जो दुनिया को परेशान करना चाहते हैं।  रैनसम माने अपहरण , फिरौती।  जैसे पुराने समय में जग्गा डाकू , लाला के बच्चे  को  उठाकर ले जाते थे, फिर फिरौती की रकम वसूलते थे, बस कुछ वैसा ही, रैनसमवेयर  वाले खुराफ़ातिये  कर रहे है।  अब लाला तो अपने बच्चे की फिरौती देने से रहा , इसलिए लाला के बच्चे की जगह आपके कंप्यूटर का डाटा हो गया है।  रैनसमवेयर वाले आपके कंप्यूटर पर एक प्रोग्राम डाल  देते है, जो बस चुपचाप आपकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता रहता है, जिस दिन उसके आका का फरमान होता है, उस दिन आपका डाटा एन्क्रिप्ट यानी कूट भाषा में बदल दिया जाता है। साथ ही आपका अपना कंप्यूटर अब किसी और के आधीन हो जाता है, आप कुछ भी नहीं कर सकते।आपको पता तभी चलता है, जब उसके आका यानी रैनसमवेयर वाले की फिरौती वाली चिट्ठी आपको मिलती है। अब बस फिरौती की रकम का खेला शुरू होता है, कोई दे देता है, कोई नहीं देता, कोई शर्म के मारे बताता नहीं, कोई पुलिस को बताता है, कोई पेशेवर सुरक्षा वालों की शरण में चला जाता है।  लेकिन भाई उस खुराफाती बन्दे का उद्देश्य पूरा हुआ, उसको बताना था, आपकी सुरक्षा में सेंध कैसे लगायी जा सकती है।

हम तो छोटे लोग है, कोई हमारा क्या बिगाड़ लेगा?

सही कहा, आप उनके टारगेट हो भी नहीं, उनका टारगेट तो सभी बड़ी कंपनियां है, जो बड़े बड़े नेटवर्क पर काम करती है, जहाँ एक दिन का नुकसान भी लाखों करोडों में होता है।  लेकिन मान लो, आप अपना सारा हिसाब किताब अपने कंप्यूटर पर रखते हो, सारा ऑनलाइन बैंकिंग, पासवर्ड, सब कुछ, वो तो जग्गा डाकू के हाथ लग गया ना।  तो  यदि आप इस समस्या से ग्रस्त हो, तो सबसे पहले दुसरे कंप्यूटर पर जाकर, अपने पासवर्ड बदल डालिये, बैंक को भी बोलिये, कोई भी ऑनलाइन ट्रांसैक्शन न करे।  लेकिन ये समस्या आयी कैसे? मैंने तो सबसे अच्छा कंप्यूटर खरीदा था?

समस्या कहाँ है?

जे हुई ना  बात! समस्या है, कंप्यूटर का प्रोग्राम बनाने वाले आपरेटिंग सिस्टम में, आपकी कंजूसी में, आपकी लापरवाही में और सबसे बडी आपकी ललक में , जो हर ऐरी गैरी चीज को डाउनलोड और खोलकर देखते हैं,  और बेईज्जती कराना चाहते हैं ? खैर आप तो बदलोगे नहीं, आइये इलाज़ की बात करते है।

कोई इलाज़ है क्या?

है ना ,  क्यों नहीं होगा इलाज़ ? सबसे पहले तो आप अपना घर चैक  करिये, अपने नुक्सान का जायज़ा  लीजिये।  पता करिये आपके पास अपने डाटा का बैकअप है क्या? क्या कहा?  बैकअप क्या होता है? बहुत सही, ठीक है भाई आप जग्गा डाकू को पैसे दे आइये, जब आपको बैकअप नहीं पता तो फिर क्या बताएं। जिनके पास बैकअप है, वो नुकसान का जायजा लें, अपने कंप्यूटर को फॉर्मेट करिये , कोई अच्छा सुरक्षा सिस्टम लगाइये और नयी शुरुवात करिये।

उनको पैसे देंकर समस्या सुलझा लें क्या?

कतई  नहीं, आप पैसा देंगे तो वो लोग सुधरने की बजाय और दुष्ट लोगों को इकठ्ठा  करके इस से भी भयंकर हमला करेंगे।  आप फिरौती देकर भी उनकी नज़रों में  आ जाएंगे,  क्या गारंटी है कि अगली बार वो दूसरे नाम से अपहरण कांड नहीं  करेंगे।  यदि आप इस समस्या से ग्रस्त है, तो सबसे पहले किसी पेशेवर को संपर्क करिये, जो आपको सही सलाह देगा, पुलिस में इत्तिला करिये, साइबर क्राइम वालों को बताइये और सबसे बड़ी बात,  दृढ़ निश्चय करिये, कि आप फिरौती नहीं देंगे।

आगे के लिए क्या सबक है?

सबसे बड़ा सबक यही है, कि एक दूसरी हार्डडिस्क , उसमे अपना बैकअप लेकर रखें।  किसी भी ऐसी गैरी, नंगी पुंगी ललचाती हुई फाइल को ना खोलें, कोई अच्छा सा एंटी वायरस खरीदें (कॉपी वाला मत लेना, नहीं तो फिर फँसोगे ), अपनी जानकारी कूट भाषा में रखें, किसी को भी थाली में परोस कर मत दें।  बस यही सबक है, चलो भैया , आज  के लिए बस इत्ता ही, फ्री में क्या बच्चे की जान लोगे?

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समस्या और अंतरात्मा की आवाज

साथियों आइये आज कुछ अलग तरह की बात करते  है।  लेकिन  पहले आपको एक छोटी सी कहानी सुनाना चाहता हूँ, सुनेंगे ना ?

एक बार की बात है, एक राजा ने सुंदर सा महल बनाया  और महल के मुख्य द्वार पर एक गणित का सूत्र लिखवाया
और घोषणा की की इस सूत्र से यह द्वार खुल जाएगा और जो भी सूत्र को हल कर के द्वार खोलेगा में उसे अपना उत्तराधिकारी  घोषित कर दूंगा………..
राज्य के बड़े बड़े गणितज्ञ आये और सूत्र देखकर लोट गए किसी को कुछ समझ नहीं आया ……..
आखिरी  तारीख आ चुकी थी
उस दिन 3 लोग आये और कहने लगे हम इस सूत्र को हल कर देंगे
उसमे 2 तो दूसरे राज्य के बड़े गणितज्ञ अपने साथ बहुत से पुराने गणित के सूत्रो की किताबो सहित आये
लेकिन एक व्यक्ति जो साधक की तरह नजर आ रहा था सीधा साधा कुछ भी साथ नहीं लाया उसने कहा में बेठा हूँ  यही पास में ध्यान कर रहा हूँ
अगर पहले ये दोनों महाशय कोशिश  कर के  द्वार खोल दे तो मुझे कोई परेशानी नहीं
पहले इन्हें मोका दिया जाए
दोनों गहराई से सूत्र हल करने में लग गए लेकिन नहीं कर पाये और हार मान ली

अंत में उस साधक को ध्यान से जगाया गया और कहा की आप सूत्र हल करिये ऑप का समय शुरू हो चुका हे
साधक ने आँख खोली और सहज मुस्कान के साथ द्वार की और चला
द्वार को धकेला और यह क्या। .. द्वार खुल गया

राजा ने साधक से पूछा आप ने ऐसा क्या किया

साधक ने कहा जब में ध्यान में बेठा तो सबसे पहले अंतर्मन से आवाज आई की पहले चेक कर ले की सूत्र हे भी या नहीं
इसके बाद इसे हल करने की सोचना और मैंने वही किया।

ऐसे ही कई बार जिंदगी में समस्या होती ही नहीं  और हम विचारो में उसे इतनी बड़ी बना लेते हे की वह समस्या कभी हल न होने वाली है लेकिन हर समस्या का उचित इलाज आत्मा की आवाज है।  साथियों आज  ज्ञान यहीं तक था, किसी भी समस्या को इतना बड़ा मत बनाइए की वो आप पर हावी हो जाए, अपने दिल की बात सुनिए , ऐसे कोई समस्या ही नहीं जिसका कोई समाधान ना  हो।

इधर उधर की

अभी पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ, बीजेपी ने सभी अनुमानों को गलत साबित  करते हुए उत्तर प्रदेश में जोरदार वापसी करी।  इस तरह से मुलायम यादव  के पुत्र अखिलेश यादव के शासन का पटाक्षेप हुआ, ये जीत कई मायनो में महत्वपूर्ण थी , क्योंकि सपा की कलह , जाटों  की अजित सिंह से नाराजगी, मायावती का बिखरा हुआ वोट बैंक, छोटी छोटी पार्टियों का बीजेपी को समर्थन , सब कुछ काल्पनिक सा लग रहा था, लेकिन अमित शाह ने ऐसा कर दिखाया। मानना पड़ेगा , बन्दे में दम है, इतने दिनों की मेहनत  रंग लायी और बीजेपी सत्तासीन हुई.

लेकिन अभी सरप्राइज और भी बाकी  थे, इसलिए बीजेपी ने बाकी सभी को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी योगी आदित्यनाथ को थमाई। योगी आदित्यनाथ यूपी में बीजेपी के ब्रांड प्रचारक थे, मुख्यमंत्री की दौड़ में अगली पंक्ति में  थे, लेकिन पहले नंबर थे या नहीं कहना मुश्किल है। सुना है नागपुर से एक फ़ोन आया और योगी का रास्ता साफ़ हुआ।  दिल्ली में मोदी और यूपी में योगी सच साबित हुआ।  अब जैसा की हर बार होता है, योगी ने आते ही अखिलेश के कई फैसलों को  उलट पलट कर दिया। राजनीतिक भाषा में इसे सरकारी फैसलों की समीक्षा कहते हैं, अब जब फैसले पलटने ही है, तो समीक्षा काहे, सीधे सीधे बोलो, बदलना है, जनता ने पूरा पूरा हक़ दिया है।  कुछ भी हो, योगी के आने से बड़े बड़े मंत्री और संतरियों की पेंट ढीली हो गयी है, काहे? अब काहे का, योगी ठहरे योगी, सादगी से खुद भी रहेंगे और सभी मंत्रियों को भी रहने के लिए मजबूर ( सॉरी सॉरी प्रेरित  बोलते हैं )  करेंगे। सारे वीआईपी लोगों की नाक में दम  हो रखा है, उधर रही सही कसर दिल्ली के नए  फरमान ने निकल दी।

दिल्ली  से नया  फरमान आया है की अब अभी वीआईपी है, कोई भी गाडी में लाल बत्ती नहीं लगाएगा। भला ये भी कोई बात हुई, खाने तो पहले ही नहीं देते थे, अब जीने भी नहीं  देंगे?  पुराने ज़माने की कहानियों में सुनते थे, दैत्यों को जान तोतों में हुआ करती थी,  नए ज़माने में नेताओं की जान लाल बत्ती वाली गाडी में,  ना ना भाई, हमने किसी नेता को दैत्य नहीं  बोला  ये  आपकी कल्पनाशक्ति है, हम इसमें कुछ नहीं कर सकते।

बीजेपी के मार्गदर्शन मंडल में पूर्ण रूपेण फुल्ली फालतू बैठे बुजुर्गों पर नयी गाज गिरी है, अब क्या उनको मंडल से भी हटाया है ? नहीं भई , सुप्रीम कोर्ट ने दोनों बुजुर्गों को बाबरी मस्जिद वाले केस में लपेट  लिया है। अब नियति में  लिखा है उस पर किसी का बस थोड़े ही है,  अब कहाँ वो दोनों राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के सुहाने सपने देख रहे थे, अब कहाँ रोज रोज कोर्ट कचहरी के चक्कर , ये तो बहुत नाइंसाफी  हुई उनके साथ।  कोर्ट के फ़ैसले  से दो बाते हुई, ये दोनों बुजुर्ग मंडल में बने रहेंगे , राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल नहीं  और दूसरा राम मंदिर का मुद्दा लगातार गरमाता रहेगा।  मोदी की विन विन है।

अभी समेटते है, वीकेंड का टाइम है, घर का सामान लाने भी जाना है, नहीं तो ऐसा ना हो कि  श्रीमती जी हमारी समीक्षा करते हुए, हमें मार्गदर्शक मंडल तक ही सीमित कर दें , आप भी अपना अपना काम काज देखो, आते रहो, पढ़ते रहो, आपका पसंदीदा  ब्लॉग मेरा  पन्ना।

 

 

 

 

मेरे प्यारे भाइयों

क्यों ये शीर्षक कुछ जाना पहचाना सा लगा ना? आज कई सालों के बाद ब्लॉग़ को देखने की सुध ली है, कुछ बाते भी साझा करनी थी, इसलिए सोचा क्यों ना कोई ऐसे शीर्षक से शुरुवात की जाए ताकि ज्यादा लोगों का ध्यान आकर्षित हो सके. सबसे पहले तो सभी पाठकों से माफ़ी चाहता हूँ, लगभग दो साल बाद लिख रहा हूँ , इस बीच ना जाने कितने सावन और बसंत निकल गए, आज लिखने के लिए गूगल का नया क्रोम प्लग-इन प्रयोग कर रहा हूँ, इसलिए थोड़ी पूर्ण विराम जैसी गलतियां स्वाभाविक है।

पहली अच्छी खबर कि मेरा पन्ना का एंड्रॉइड मोबाइल एप्लीकेशन आ गया है, ये रहा लिंक। आप इसको अपने मोबाइल पर लगा सकते हैं और प्रयोग करिये। अपनी प्रतिक्रिया ब्लॉग और गूगल प्ले स्टोर देना मत भूलें। हो सकता है, पहले वर्जन में कुछ गलतियां रह गयी हो, उनको अगले संस्करण में सुधारने का पूरा प्रयास किया जाएगा।

 

दूसरी अच्छी खबर ये कि मैंने ब्लॉगिंग में वापसी की है इस बार हिंदी और अंग्रेजी दोनों में एक साथ।  मेरा अंग्रेजी ब्लॉग  JCWebTech यहाँ पर उपलब्ध है, यह ब्लॉग पूर्ण रूप से तकनीकी होगा , दोनों ब्लॉग पर लगातार लिखने की पूरी कोशिश की जायेगी।  अंग्रेजी ब्लॉग का मोबाइल एप्लिकेशन इसी हफ्ते प्ले स्टोर पर अपलोड हो जाएगा। उम्मीद है आप का स्नेह दोनों ब्लॉग पर बना  रहेगा।

साथ ही मेरा पन्ना का रंग रूप भी निखारना है, थोड़ा समय लगेगा, लेकिन जल्द ही करूंगा। लिखने को बहुत कुछ है, लेकिन आज के लिए सिर्फ इतना ही, जल्द ही शुरू होगा , मेरा पन्ना का नया सफर आपके दिल की बात , आपके साथ , आते रहिये और पढ़ते रहे रहिये आपका पसंदीदा ब्लॉग मेरा पन्ना  सभी का पन्ना।

आज का विचार

क्या हम भारतीय गंदगी पसंद लोग है?

जब हम विदेशों में जाते हैं, तो बड़े सभ्य बन जाते हैं, लेकिन भारत लौटने पर फिर वही करने लगते हैं, जैसा बाकी कर रहे होते हैं। आखिर क्या वजह है कि हम गंदगी से पीछा नही छुड़ा पाते? 

अपने विचार टिप्पणी में व्यक्त करिएगा । आते रहिए और पढते रहिए अपना पसंदीदा ब्लॉग।