Archive for अक्तुबर, 2004
Tweet अब जब सचिन नागपुर टेस्ट मैच मे खेलने के लिये फिटनेस टेस्ट पास कर चुका है, और यह पक्का हो चुका है कि वह नागपुर टेस्ट मे खेलेगा. हमने अपने क्रिकेट एक्सपर्ट स्वामी से इस बारे मे प्रतिक्रिया चाही… स्वामी बोला… सचिन की वापसी बहुत अच्छी है, भारत की नैया जो पहले टेस्ट मे […]
अक्तुबर 13th, 2004 | Posted in Uncategorized | Comments Off on सचिन की वापसी
Tweet जैसा कि आपको पता ही मै हिन्दी और अंग्रेजी मे ब्लाग लिखता रहा हूँ, मेरी मातृभाषा सिन्धी है, सो मेरा कुछ कर्तव्य सिन्धी के प्रति भी है, सिन्धी भाषा के बारे मे कुछ बाते: सिन्धी भाषा भारतीय संविधान मे उल्लेखित भाषाओ मे से एक है,इस समय पूरी दुनिया मे सिन्धी बोलने वाले लगभग २० […]
अक्तुबर 13th, 2004 | Posted in Uncategorized | 3 Comments
Tweet अब जब कविताओं का दौर चल ही रहा है, क्यो ना हम भी बहती गंगा मे हाथ धो ले. हमने भी अल्हड़पन मे कविता लिखने की असफल कोशिश की थी….. एक छुटकी हाजिर है. अश्क आखिर अश्क है, शबनम नही दर्द आखिर दर्द है सरगम नही, उम्र के त्यौहार मे रोना मना है, जिन्दगी […]
अक्तुबर 13th, 2004 | Posted in Uncategorized | Comments Off on छुटकी कविता
Tweet सारा दिन अपने काम मे मशगूल रहे… पता ही नही चला कैसे पार हो गया, शाम आते आते, पार्टी की याद सताने लगी, दिल फिर धड़कने लगा…तभी मोबाइल बज उठा दूसरी तरफ मिर्जा थे… मैने पूछा मिर्जा ये सब पार्टी वार्टी क्या चक्कर है, क्यो अपना भट्ठा बिठवाने मे तुले हो…ज्यादा दीनार कमा लिये […]
अक्तुबर 12th, 2004 | Posted in Uncategorized | 1 Comment
Tweet मेरा सभी पाठको से विनम्र निवेदन है कि चिट्ठे की प्रतिक्रिया कृपया करके चिट्ठे पर ही देने की कोशिश करे.अलग से इमेल ना करे. आइये अब बात करे पाठको की प्रतिक्रिया की. कई लोगो ने तारीफ कर के उत्साह बढाया है, कई लोगो ने आलोचना की है. पाठको की तारीफ और आलोचना दोनो सर […]
अक्तुबर 12th, 2004 | Posted in Uncategorized | 2 Comments
Tweet सुबह सुबह अभी आँख भी नही खुली थी कि फोन घनघना उठा, मेरा मानना है कि यदि फोन सुबह सुबह, नित्य क्रिया से पहले आया हो तो हमेशा फालतू होता है और यह मेरे नित्य कर्मो को बाधित करने का षड़यन्त्र होता है, अक्सर इसमे विदेशी हाथ होता है.जब भी सुबह सुबह फोन आता […]
अक्तुबर 11th, 2004 | Posted in Uncategorized | Comments Off on दावतनामा
Tweet यह लेख हमारे मिर्जा साहब का पसन्दीदा लेख है जो लौट नहीं सके…. लेखकःअचला शर्मा,प्रमुख, बीबीसी हिंदी सेवा बहुत साल पहले मैंने एक नाटक लिखा था- ‘जो लौट नहीं सके….’. जिसमें यहाँ बसे प्रवासी भारतीयों की मजबूरियों को समझने की कोशिश की थी. आज सोचती हूँ कि क्या वे वाक़ई लौटना चाहते थे? क्या […]
अक्तुबर 11th, 2004 | Posted in Uncategorized | 2 Comments
Tweet मैने आपको अपने पिछले लेख मे छुट्टन मिंया के बारे मे बताया था, आइये इस बार उनके करैक्टर पर भी कुछ रोशनी डाले.छुट्टन मिंया बहुत ही भले आदमी है, हमेशा सेवा मे तत्पर,उम्दा खाना बनाने मे उस्ताद,सौ फीसदी वफादार,काम मे कुशलता और ना जाने क्या क्या…… .. अरे ये क्या मै कोई छुट्टन पर […]
अक्तुबर 7th, 2004 | Posted in Uncategorized | 2 Comments
Tweet मेरे कई मित्रो ने मिर्जा के बारे मे और जानकारी मांगी है,और लिखा है कि मिर्जा के बारे मे जरूर लिखे. लगता है उनको मिर्जा साहब पसन्द आये है.चलिये साहब पब्लिक डिमान्ड पर ही सही… मिर्जा साहब फिर हाजिर है.उस दिन हमारी इच्छा तो नही थी, मिर्जा साहब के यहाँ जाने की, लेकिन फिर […]
अक्तुबर 6th, 2004 | Posted in Uncategorized | 5 Comments
Tweet अभी फोन वाले वाक्ये को दो दिन भी ना हुए थे, कि मिर्जा साहब का फिर फोन आ गया, इस बार किसी सलाह के लिये नही बल्कि उनकी गाड़ी खराब हो गयी थी, बोले यार आफिस जाते समय मेरे को भी लेते चलो,मेरी कार बीच रास्ते मे धोखा दे गयी है.मिर्जा का औफिस मेरे […]
अक्तुबर 4th, 2004 | Posted in Uncategorized | Comments Off on मिर्जा की माफी