Archive for जुलाई, 2005
Tweet चलो भइया,हम वापस कुवैत सही सलामत तो पहुँच गये. जब कुवैत से चले थे, अपनी साइट मेरा पन्ना को आटो पायलट मोड मे डालकर गये थे, ताकि दिन प्रतिदिन गज़ले और प्रविष्टिया अपने आप छपती रहें, लेकिन मार पड़े हमारे वैब होस्टिंग कम्पनी को जिन्होने बैठे बिठाये मेरा एकाउन्ट सस्पैन्ड कर दिया. क्यों? भाई […]
जुलाई 31st, 2005 | Posted in आपबीती | 1 Comment
Tweet उस ने रूख़ से हटा के बालों को रास्ता दे दिया उजालों को जाते जाते जो मुड़ के देख लिया और उलझा दिया ख़यालों को एक हल्की सी मुस्कुराहट से उस ने हल कर दिया सवालों को मर गए हम तो देख लेना ‘शफ़क़’ याद आएंगे हुस्न वालों को -सय्यैद शफ़क़ शाह चिश्ती
जुलाई 26th, 2005 | Posted in विविध | Comments Off on उस ने रूख़ से हटा के बालों को
Tweet आप से गिला आप की क़सम सोचते रहें कर न सके हम उस की क्या ख़ता लदवा है गम़ क्यूं गिला करें चारागर से हम ये नवाज़िशें और ये करम फ़र्त-व-शौक़ से मर न जाएं हम खेंचते रहे उम्र भर मुझे एक तरफ़ ख़ुदा एक तरफ़ सनम ये अगर नहीं यार की गली चलते […]
जुलाई 24th, 2005 | Posted in Uncategorized | 1 Comment
Tweet शमा जलाए रखना जब तक कि मैं न आऊं ख़ुद को बचाए रखना जब तक कि मैं न आऊं ये वक़्त-ए-इम्तेहां है सब्र-ओ-क़रार-ओ-दिल का आंसू छुपाए रखना जब तक कि मैं न आऊं हम तुम मिलेंगे ऐसे जैसे जुदा नहीं थे सांसे बचाए रखना जब तक कि मैं न आऊं -सईद राही
जुलाई 22nd, 2005 | Posted in विविध | 1 Comment
Tweet आज फिर उन का सामना होगा क्या पता उस के बाद क्या होगा आस्मां रो रहा है दो दिन से आप ने कुछ कहा सुना होगा दो क़दम पर सही तेरा कूचा ये भी सदियों का फ़ासला होगा घर जलता है रौशनी के लिए कोई मुझसा भी दिल जला होगा -सबा सिकरी
जुलाई 20th, 2005 | Posted in विविध | 1 Comment
Tweet वो अंजुमन में रात बड़ी शान से गए इमान चीज़ क्या थी कई जान से गए मैं तो छुपा हुआ था हज़ारों नक़ाब में लेकिन अकेले देख के पहचान से गए वो शमा बन के ख़ुद ही अकेले जला किया परवाने कल की रात परेशान से गए आया तेरा सलाम न आया है ख़त […]
जुलाई 17th, 2005 | Posted in विविध | 1 Comment
Tweet ये हक़ीक़त है कि होता है असर बातों में तुम भी खुल जाओगे दो-चार मुलक़ातों में तुम से सदियों की वफ़ाआें का कोई नाता न था तुम से मिलने की लकीरें थीं मेरे हाथों में तेरे वादों ने हमें घर से निकलने न दिया लोग मौसम का मज़ा ले गए बरसातों में अब न […]
जुलाई 15th, 2005 | Posted in Uncategorized | 1 Comment
Tweet फ्रेश पोस्ट, डायरेक्ट इन्डिया से नोटःइस पोस्ट मे हिन्दी व्याकरण की गलितियों को नजरअन्दाज किया जाय, मुझे पता है कैसे मैने हिन्दी मे लिखा है. अब भई जैसे ही श्रीमती जी का आदेश हुआ हमने भी भारत यात्रा के लिये टिकट कटवा ली, अब यहाँ से फ्लाइट रात को साढे दस बजे चलती है, […]
जुलाई 14th, 2005 | Posted in आपबीती | 2 Comments
Tweet एक बराह्मण ने कहा कि ये साल अच्छा है ज़ुल्म की रात बहुत जल्द टलेगी अब तो आग चुल्हों में हर इक रोज़ जलेगी अब तो भूख के मारे कोई बच्चा नहीं रोएगा चैन की नींद हर इक शख्स़ यहां सोएगा आंधी नफ़रत की चलेगी न कहीं अब के बरस प्यार की फ़सल उगाएगी […]
जुलाई 14th, 2005 | Posted in Uncategorized | 2 Comments
Tweet तू कहीं भी रहे सर पे तेरे इल्ज़ाम तो है तेरे हाथों की लकीरों में मेरा नाम तो है मुझको तू अपना बना या न बना तेरी ख़ुशी तू ज़माने में मेरे नाम से बदनाम तो है मेरे हिस्से में कोई जाम न आया न सही तेरी महफ़िल में मेरे नाम कोई शाम तो […]
जुलाई 12th, 2005 | Posted in विविध | 1 Comment