Archive for 2006
Tweet अरे! ये क्या? ये तो पूरा का पूरा साल ऐसे सरक गया जैसे घूस की मोटी रकम, नेताओं के जेब मे सरक जाती है। अभी कुछ समय पहले ही तो ये साल शुरु हुआ था। साल 2006 की शुरुवात अच्छी नही हुई थी, क्योंकि दिसम्बर 2005 मे ही पिताजी का इन्तकाल हुआ था, इसलिए […]
दिसम्बर 28th, 2006 | Posted in आपबीती | 3 Comments
Tweet अक्सर हम सुने सुनाए चुटकुले सुनते है, लेकिन फिर भी मजा आता है। तो जनाब पेश है आज कुछ सुने सुनाए चुटकुले, ये सभी चुटकुले रेल अथवा रेलयात्रा पर आधारित है। १. एक बार, एक प्रेमी-प्रेमिका एक साथ यात्रा कर रहे थे, नीचे वाली सीट पर बैठकर प्रेम की बाते कर रहे थे। प्रेमिका […]
दिसम्बर 26th, 2006 | Posted in विविध | 96 Comments
Tweet जैसे ही फुल्ली फालतू टीवी पर सुन्दरी को बचाना है कि मुहिम शुरु हुई, देश भर के मीडिया और विज्ञापन कम्पनियाँ इससे फायदा उठाने की फिराक मे लग गयी, इस पर विशेष तौर पर लिखा लेख, आप संजय भाई के ब्लॉग पर देखिएगा। आइए आगे बात करें। यहाँ पर घासीराम अपनी भैंस को लेकर […]
दिसम्बर 18th, 2006 | Posted in विविध | 2 Comments
Tweet लो जी, आखिरकार लादेन मारा गया। पूरी खबर यहाँ पर पढिए।
दिसम्बर 17th, 2006 | Posted in विविध | 4 Comments
दिसम्बर 17th, 2006 | Posted in विविध | 1 Comment
Tweet कल रात से मेरा पन्ना या jitu.info की कोई भी साइट नही खुल रही थी। समस्या बहुत विकट थी, क्योंकि मेरा पन्ना पर रोजाना के हिट्स ३०० से ऊपर होते है, ये सभी हमारे पाठक गण होते है। उनमे से कई लोगों ने हमसे पूछा, हम भी हैरान परेशान कि क्या समस्या है। उधर […]
दिसम्बर 6th, 2006 | Posted in विविध | 5 Comments
Tweet पहले एक डिस्क्लेमरः इस लेख में सभी पात्र, स्थान और घटनाएं काल्पनिक हैं। इसके बाद भी यदि आपको अपना पसन्दीदा चैनल, संवाददाता या उद्घोषक इसमें दिखता हो तो आपके लिए हमारी राय है कि इस लेख को मत पढे, उसी चैनल पर जाकर पकाऊ न्यूज देखें। किसी भी प्रकार के मानसिक कष्ट के लिए […]
दिसम्बर 4th, 2006 | Posted in विविध | 5 Comments
Tweet मुझ पर अक्सर अंगुलियाँ उठायी जाती है कि चौधरी साहब अक्सर अतीत की यादों मे खोए रहते है, अक्सर नॉस्टलजियाते रहते है। हमेशा मोहल्ला पुराण झिलाए रहते है। अरे भई, इस उमर मे पहुँचने के बाद हम रोमांटिक बाते तो करेंगे नही,बच्चों को ज्ञान देते है तो हाय तौबा मच जाती है। फिर हम […]
दिसम्बर 3rd, 2006 | Posted in आपबीती | 3 Comments
Tweet वो भी क्या ज़माना था, जब हम पीसी (XT के पहले वाला) पर काम करते थे, अपना सारा काम समेटकर हम एक फ़्लौपी मे डाल दिया करते थे। बहुत खुश रहते थे। लेकिन जैसे जैसे नयी नयी तकनीके आयी, फिर विन्चेस्टर ड्राइव और फिर हार्ड-डिस्क का जमाना आया तो फ़्लौपी तो लुप्त ही हो […]
नवम्बर 22nd, 2006 | Posted in Uncategorized | 6 Comments
Tweet लो जी, हम फिर से हाजिर है। पिछले लेख मे मैने सख्त ताकीद की थी कि इस लेख को कोई मेरी पत्नी को फारवर्ड ना करे, लेकिन जनाब दोस्त तो होते ही इसी काम के लिए है, जिस चीज के लिए मना करो, उसी को करते है। छुट्टन ने चिकन बिरयानी बनायी तो अपनी […]
नवम्बर 20th, 2006 | Posted in Uncategorized | 15 Comments