क्या है भारतीय संस्कृति?

Akshargram Anugunj
अक्षरग्राम अनुगून्ज
दूसरा आयोजन

कभी कभी मेरे अंग्रेज और अन्य अभारतीय मित्र मेरे से कई तरह के सवाल पूछते है, जैसे हमारी संस्कृति कैसी है, हमारे इतने सारे देवी देवता क्यों है, अगर हम सभी एक जैसे है तो हमारे यहाँ विभिन्न प्रकार की जातिया प्रजातिया क्यों है? वर्ण सिस्टम का क्या महत्व है? और हमारे हर त्योहारों के साथ कोई ना कोई कथा क्यो जुड़ी हुई है? भारत मे इतनी भाषाओ के बावजूद कौन सी चीज लोगो को जोड़े रखती है? जब आप लोग अपने को एक मानते हो तो फिर दंगे फसाद क्यो होते है, आपके धर्म और संस्कृति मे इतने विरोधाभास क्यों है? वगैरहा वगैरहा….. मैने उन्हे समझाने की कुछ कोशिश की है, आइये आप भी देखिये कि मै इसमे कितना सफल हो सका हूँ.

किसी भी देश का अपना इतिहास होता है, परम्परा होती है. यदि हम देश को शरीर माने तो, संस्कृति उसकी आत्मा होती है, या शरीर मे दौड़ने वाला रक्त होता है या फिर सांस…..जो शरीर को चलाने के लिये अतिआवश्यक है. किसी भी संस्कृति में अनेक आदर्श रहते हैं, आदर्श मूल्य है, और मूल्यों का मुख्य संवाहक संस्कृति होती है. भारतीय संस्कृति में मुख्य रूप से चार मूल्यों की प्रधानता दी गयी है – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष लेकिन कोई भी व्यक्ति इन चारों पुरुषार्थों अथवा मूल्यो को एक ही काल में एक ही साथ चरितार्थ नहीं कर सकता है, क्योंकि व्यक्ति का जीवन सीमित होता है, इसलिए हिन्दू धर्म में वर्णाश्रम व्यवस्था एवं पुनर्जन्म पर बल दिया गया है. वर्णाश्रम व्यवस्था को यदि गुण और कर्म पर आधारित माने तो यह व्यवस्था आज भी अत्यन्त वैज्ञानिक एवं उपादेय प्रतीत होती है. अगर देखा जाय तो यह वर्णाश्रम धर्म ही है इसकी बदौलत ऊँचे से ऊँचे ब्राह्मण पैदा हुए, ब्राह्मणों ने तो अपने लिए धर्म का काम लिया दान देना लेना, विद्या पढ़ना पढ़ाना, क्षत्रियों का कर्तव्य था कि जहाँ जरूरत पड़े वहाँ जान दे लेकिन मान को न जाने दें. वैश्य का कर्तव्य था कि वेद – वेदांग पढ़े और व्यापार करता रहे और शुद्रो को कर्तव्य था कि अन्य सभी कामो को अन्जाम देना. जब शुद्रों को वेद पढ़ने का अधिकार नहीं था तब वेदव्यासजी ने चारों वेदों का अर्थ महाभारत में भर दिया ताकि सब प्राणी लाभ उठा सकें. यह हिन्दू संस्कृति की समानता का एक प्रतीक है.

भारत पर विदेशियो ने अनेक बार आक्रमण किया और हिन्दु संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की,लेकिन वो संस्कृति ही क्या जो मिट जाये, भारत आये अनेक आक्रमणकारियो ने भी माना कि इस देश की संस्कृति को नष्ट करना नामुमकिन है, बल्कि उनमे से कई लोग अपने साथ विभिन्न प्रकार के धर्म और सम्प्रदाय ले आये, और कई यहीं पर बस गये, जिससे गंगा जमुनी संस्कृति का जन्म हुआ,जिसे भारतीय संस्कृति ने बड़ी ही सहनशीलता के साथ स्वीकारा और गले लगाया. विभिन्न वेद शास्त्र हमारी संस्कृति का हिस्सा है, इसके अतिरिक्त भारत की अन्य परम्परायें जैसे अतिथि देवो भवः, सामाजिक आचार व्यवहार,शरणागत रक्षा,सर्वधर्म समभाव,वसुधैव कुटुम्बकम,अनेकता मे एकता जैसी प्रमुख है.

पुराने जमाने से ही हमे समझाया गया है कि घर आया अतिथि भगवान के समान है, हम खुद भले ही भूखे रह जाये,लेकिन अतिथि का पेट भरना जरूरी है.इसी तरह से हमे समाज मे कैसा व्यवहार एवं आचरण करना चाहिये,इसकी शिक्षा हमारी संस्कृति हमे देती है, विभिन्न कहानियो एव लोकोत्तियो के द्वारा, हमे बड़ो की इज्जत करनी चाहिये और छोटो के प्रति स्नेह का आचरण करना चाहिये, एवम महिलाओ और बुजुर्गो के प्रति विशेष सम्मान दिखाना चाहिये.इसके अतिरिक्त शरण मे आये व्यक्ति की रक्षा करना हमारा परम धर्म है.

भारत ही केवल एक ऐसा देश है जहाँ सर्वधर्म समभाव का पूरा पूरा ध्यान रखा गया है, जितनी इज्जत हम अपने धर्म की करते है, उतनी ही इज्जत हमे दूसरो के धर्म की करनी चाहिये.यहाँ सुबह सुबह मंदिर से मन्त्रोचार की ध्वनि,मस्जिद से अजान,गुरूद्वारे से शबद कीर्तन की आवाज और चर्च से प्रार्थना की पुकार एक साथ सुनी जा सकती है.जितनी भाषाये यहाँ बोली जाती है, विश्व मे कहीं और नही बोली जाती.बोल-चाल,खान-पान,रहन-सहन मे अनेकता होते हुए भी हम एक साथ रहते है, एक दूसरे के तीज त्योहार मे शिरकत करते है, होली,दीवाली,ईद,बाराबफात, मुहर्रम,गुरपर्ब और क्रिसमस साथ साथ मनायी जाती है. मजारो ‌और मकबरो पर हिन्दूओ द्वारा चादर चढाना, और दूसरे सम्प्रदाय के लोगो का मंदिरो और गुरद्वारो पर दर्शन करना,मत्था टेकना बहुत आम बात है. यह हमारे धर्म और लोकाचार की सहनशीलता का जीता जागता उदाहरण है.

रही बात हमारे विभिन्न प्रकार के देवी देवता होने की…तो हिन्दू धर्म मे प्रकृति को हर तरह से पूजा गया है, चाहे वह वायू,जल,पृथ्वी, अग्नि या आकाश हो. इस प्रकार से हम प्रकृति के हर रूप की पूजा करते है, चाहे वह पहाड़ हो या कोई जीव जन्तु या हमारी वन्य सम्प्रदा, हमारी संस्कृति मे इन सबको विशेष स्थान दिया गया है.दुनिया मे ऐसी कोई संस्कृति नही होगी जहाँ प्रकृति को विभिन्न रूपो और स्वरूपो में पूजा गया है, रही बात त्योहारो से जुड़ी कहानियो की तो, सामान्य जनता जो उपनिषदो और वेदो की लिखी गूढ बातो को नही समझ सकती, उनके लोक आचरण के लिये विभिन्न ऋषि मुनियो ने अनेक गाथाये लिखी और उनको विभिन्न त्योहारो से इस तरह से जोड़ा कि सामान्य जन भी उसके साथ जुड़ सके और उसे अपना सके साथ ही ईश्वर का ध्यान और मनन कर सके.

इसके अतिरिक्त और भी चीजे हमारी संस्कृति मे जुड़ती रही, सारो का उल्लेख करना तो सम्भव नही हो सकेगा.. प्रमुख रूप से क्रिकेट की संस्कृति है, यह खेल अब हमारी संस्कृति मे शामिल हो गया है, क्रिकेटरो के अच्छे बुरे प्रदर्शन पर हमे हंसते रोते है, इनको अपने बच्चो से भी ज्यादा प्यार करते है, भगवान जैसी पूजा करते है, जब जीतते है तो तालिया बचाते है, जब हारते है तो गालिया देते है.

अब समस्या यहाँ आती है कि हम अपनी संस्कृति का कितना मान रख पाते है, वेद शास्त्र आपको रास्ता दिखा सकते है, लेकिन आपको उनपर चलने के लिये बाध्य नही कर सकते….एक और बात चूंकि ये सारे शास्त्र गूढ भाषा मे लिखे गये थे, इसलिये समय समय पर अनेक स्वार्थी धर्माचार्यो ने अपने और कुछ राजनीतिज्ञो के निहित स्वार्थो के लिये, इन शास्त्रो का मनमाने ढंग से विवेचना की और अपने फायदे के लिये इस्तेमाल किया. और अपनी दुकाने चलायी …भाई को भाई से लड़ाया और विभिन्न समुदायो मे आपस मे बैर और नफरत फैलायी……और जो आज तक जारी है.इन्ही लोगो की वजह से हमारे यहाँ कभी कभी दंगे फसाद होते है, लेकिन आपसी भाईचारा कभी खत्म नही होता.

मार्क ट्वेन ने १८५६ मे जब भारत का दौरा किया था तो उसने लिखा था, भारत सांस्कृतिक रूप से परिपूर्ण राष्ट्र है. वैसे भी समय समय पर कई विदेशी विद्वानो ने भारत का दौरा किया और यहाँ की संस्कृति को दूनिया मे सबसे उन्नत माना.यही हमारी संस्कृति है, और हम सभी भारतीयो को इस पर गर्व है.

22 Responses to “क्या है भारतीय संस्कृति?”

  1. hdtv

  2. dress informal wedding

    dress informal wedding

  3. नमस्कार, आपके इस लेख से हमें भारतीय संस्कृति के बारे में बहुत कुछ सिखने को मिला. दर असल मै अभी हिंदी में ‘सपनो का भारत’ विषय पर प्रस्तुति तैयार कर रहा था. कुछ जरुरी सूचनाएं मै आपके इस लेख से भी लेना चाहूँगा. उम्मीद करता हूँ की आपके और अभी अछे अच्छे लेख हमें पढने को मिलेंगे. हिंदी में लिखने के लिए और जानकारी बढाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्याद.

  4. यहां पर स्त्रीयों को सती कीया जाता है.दलितो , स्त्रीयों को
    शिक्षा का हक नही है—क्या यही है भारतीय संस्कृति?इस पर कौन बात करेगा??

  5. Namaste!
    Is lekh se bharatiya sanskriti par hamari gyan aur bhi bad gai.winati karti hu ki “Hindi filmon me bharteeya sanskriti keise dikhate hai or film wale sanskriti biyada karte ho ” is paat par aap kuch likhen.kiyon ki hamare yahan hindi ki kitaaben zyada nahi milte.to jab koi internet pe kuch likhenge wahi hamari gyankari badaane keliye madad hoti hai.

    Dhanyawaad!!

    gulshan

  6. GOOD MORNING
    IT IS VERY IMPORTANCE FO THE KNOWLEDGE OF INDIAN SNNSKRIT AND INDIAN CULTATURE I AM VERY HAPPY READ YOUR LEKH

  7. एसे ही लोगो की जरुत है जो इस युवा समाज कि बन्द आखो को खोले और उसे अपनी जीमेदारि का एह्सास दिलाए.

  8. Apvad har jaga hote hai magar hamari sanskruti duniya ke liyea eak missal hai.
    good information.

  9. It is a very powerful speech!

    shukriaaaaaaaaaaaaa!!!!!!!!!!!!

  10. it is a very powerful and useful speech.

    shukriaaaaa!!!!!!!!!!!!!!

  11. नमस्कार, आपके इस लेख से हमें भारतीय संस्कृति के बारे में बहुत कुछ सिखने को मिला. दर असल मै हिंदी में लिखने के लिए और जानकारी बढाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्याद.

  12. आप जैसे लोगो से ही देश की संस्कृति बरक़रार है हम और आप जैसे लोग ही देश को बचा सकते है.आज भारतीय संस्कृति पर ग्रहण लगा हुआ है वह अपनेही कुछ राजनैतिक लोगोके कारण उसे बदलना बहुत जरुरी है 
    खास कर के कांग्रेस की सरकार जो कर रही है वह गलत है. शिवसेना, आर एस एस ही देश को बचा  सकते है.
    सच्चे आतंकवादी तो ये नेता लोग ही है जो भ्रष्टाचार करके देश का पैसा विदेश में रखते है.
    और आर एस एस को आतंकवादी कहती है.
    इतनेही सच्चे है तो लोकपाल पास क्यू नहीं कराया? रामदेव बाबा पर लाठिया क्यू चलाई?
    आना हजारे को जेल में क्यू डाला गया ?
    उठो जागो और फिर से भगत सिंग की हुनकर भरो….शायद शुरुवात मुझे ही करने पड़ेगी…..
    धन्यवाद्.

  13. very nice

  14. very nice. bhartiye sanskriti ka gyan sab me batne ke liye

  15. thanx,is lekh se mujhe bahut help mili

  16. bhartiya sanskriti ka hanan congeresh sarkar ne kiya hai
    bharat mein bio fertilizer and aurbedik medicine and tamam sari chige hone par bhi bidesh companiyo se pasia kha kar bharat ke kisano ko jahar dene wali congeresh and gandi pariwar hi hai

  17. धन्यवाद आपके इस लेख से बहुत मदद मिली बस आपको एक कष्ट देना चाहाता हूँ । क्या आप भारतीय एवं पाशचायत संस्कृति के बीच तुलना करते हुए पाशचायत संस्कृति की योग्य बातें बता सकते हैं

  18. sir you have given us good knowledge . But is it enough to say about its culture ? please tell us back side of indian culture too so that we the youth can change it by any means we can change .once again thank u for the knowledge .

  19. indian culture is very very old culture . and its our duty to conserve it so that our future generation come to know about it.AND then we say to them proudly yes this is our history. but due this westernisation we our culture is loosing importance .and it is matter of concern which needs to be solve.

  20. thanks mujhe aapka ye lekh padkr bahut khusi mili or bahut kuchh sikhne ko mila

  21. hme is easy ne ye btlaya hai bharti sanskrit sbhi sankritiyo ki drohr hai.or hme apni unity me rhne ka bhi upyog btlaya…..

  22. Very Good and informative article.