बीत गया ये साल भी

लो जी, ये साल भी गुजर गया। ऐसा लगता है कि अभी अभी ही तो साल शुरु हुआ था, इत्ती जल्दी खत्म भी हो गया, लगता है इस साल को पर लग गए, तभी तो जल्दी जल्दी निकल गया। हम भी इस साल कुल जमा तीस लेख ही लिख पाए, बकौल मिर्जा लानत है ऐसे ब्लॉगर पर। शुकुल भी बोलते है तुमको शरम आती है कि नही? अब का करें, इत्ता जल्दी जल्दी जो निकल गया इ साल, सोचते ही रह गए, लिखने का टाइम ही नही मिला। अब साल के जल्दी निकलने की टेंशन हमसे ज्यादा तो कामनवेल्थ गेम्स की तैयारियां कराने वालो को है। समय निकला जा रहा है इनकी तैयारियां लगता है अगले ओलम्पिक तक भी पूरी ना हो सकेंगी। ज्यादा से ज्यादा होगा ये कि आखिरी टाइम मे इस्तीफ़ा विस्तीफा देने का नाटक होगा। अब आप भी कहेंगे कि क्या लेकर बैठ गए, इसलिए चलो उनको उनके हाल पर छोड़ते है, आइए बात करते है कुछ और।

अभी अभी पता चला है कि अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी से किनारा करने की सोच ली है। क्यों भैया? अरे हमे का पता, इत्ते दिनो से मिले बैठे नही, पहले सिंगापुर मे बिजी थे, फिर अब दुबई निकल लिए है, जब मिलेंगे तभै तो पूछेंगे ना भैया, सुना है कि समाजवादी पार्टी मे उनकी पहली जैसी पूछ नही रही है, इसलिए थोड़ा उछलकूद कर रहे है। बाकी भैया अमरसिंह के बारे मे खुद उनको नही पता कि अगला स्टेप क्या लेंगे तो हम कैसे बयाना लें। इसलिए बाकी उनके मुँह खोलने तक हम भी चुप ही रहते है।

चुप तो हम बैठ ले, लेकिन कल्याण सिंह चुप बैठने वाले नही, दन्न से अपनी पार्टी लांच कर दिए, अपने बेटे को अध्यक्ष बनाकर। सही है भैया, जब हर जगह से दरवाजे बंद मिले तो अपनी पार्टी खोलने मे ही भलाई है। अब देखें क्या बनता है इस जनक्रांति पार्टी का। सुना है उमा दीदी को भी बुलावा भेजा है। चलो अच्छा है, मिल बैठेंगे तो दो यार,गम गलत कर लेंगे। ये दोनो चुप बैठने वाले नही है।

चुप्पी तो सरकार ने साध रखी है, अब इत्ते दिनो से आस्ट्रेलिया मे भारतीय छात्रों पर हमले दर हमले हुए जा रहे है, सरकार है कि कुछ भी नही बोल रही। ऊपर से आस्ट्रेलियन सरकार कह रही है, बड़े बड़े शहरों मे छोटी छोटी वारदाते होती रहती है। इनसे पूछो, इनका एनके एक बन्दा को अगर खरोंच भी आती है कैसे इनके राजदूत हाय-हाय और जूता-लात करने पर उतारु हो जाते है। क्या इनके बंदे बंदे है और हमारे बन्दे भेड़ बकरियां?

अभी पिछले दिनो हमने फिल्म थ्री इडियट देखी, फिल्म अच्छी बनी है, आमिर खान और दूसरे कलाकारों ने बहुत अच्छी एक्टिंग की है, निर्देशक ने भी फिल्म की गति को कम नही होने दिया, फिल्म सही बनी है देखना जरुर। जब हम फिल्म देखने गए तो हमको नही पता था कि हमारे लोकप्रिय लेखक चेतन भगत के उपन्यास पर आधारित है। हम फिल्म देखते रहे, दिमाग मे नॉविल चलता रहा, कुल मिलाकर 85% फिल्म नावेल पर आधारित है, फिर भी चेतन का नाम बहुत महीन महीन अक्षरों मे आखिरी मे दिखाई दिया बस। अब चेतन और फिल्म निर्माता के बीच जाने क्या बात हुई, हमको ना पता, अगर हमारे नॉवेल से कोई फिल्म बनाता और ऐसा सलूक करता तो हम पटक पटक कर निबटते। खैर भैया ये दोनो आपस मे जाने हमे क्या? हमको हल्ला करके क्या मिल जाएगा, है कि नही?

फिल्म की समीक्षा फिर कभी लिखी जाएगी, अभी तो सिर्फ़ इत्ता ही झेला जाए। अब लेख को यहीं समेटते है नही तो फिर भाई बोलेंगे कि लेख है कि द्रोपदी की साड़ी। जाते जाते आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं, तो आते रहिए, पढते रहिए अपना पसंदीदा ब्लॉग। अगले लेख तक के लिए रामराम।

3 Responses to “बीत गया ये साल भी”

  1. जाते जाते आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं, तो आते रहिए, पढते रहिए अपना पसंदीदा ब्लॉग। अगले लेख तक के लिए रामराम।
    .-= प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI´s last blog ..किताबों के संग =-.

  2. अमर सिंह !
    कल्याण सिंह !

    वाह जी वाह ! जीतू भैया आपने भी अपनी स्याही किन पर बर्बाद कर दी?
    .-= प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI´s last blog ..काहे नहीं बताते कि कौन सा डिजिटल कैमरा लिया जाय ? =-.

  3. पोस्ट पढ़ी गई है. ईसा का नव वर्ष आपके व आपके पूरे परिवार के लिए मंगलकारी हो.