फिर मिले सुर…

मिले सुर मेरा तुम्हारा… कुछ याद आया? राष्ट्रीय एकता और सदभावना पर 1988 मे बना यह गीत जब पहली बार पंद्रह अगस्त को दिखाया गया तो कई लोगो ने सोचा कि यह कांग्रेस सरकार का प्रचार है, लेकिन कब यह गीत हमारे दिलों को छू गया,पता ही नही चला । इसकी लोकप्रियता कुछ इस कदर बढी कि लोग बार बार लगातार इस गीत को देखना/सुनना पसन्द करने लगे। इस बार 2010 मे इस गीत को दोबारा बनाया गया है, बोल वही है, लेकिन परिकल्पना अलग है। आप भी देखिए।

ये रहा भाग दो

वीडियो साभार यूट्यूब डाट काम

गीत दो भागों मे फिल्माया गया है, दोनो के लिंक ऊपर दिए हुए है। यह गीत आज भी हम सभी मे राष्ट्रीयता की भावना को जगाता है, जिसकी आज देश को बहुत जरुरत है। कुछ लोगों का कहना है कि इस गीत मे बॉलीवुड का तड़का कुछ ज्यादा ही है। लेकिन जब भी कोई नयी चीज बनती है तो आलोचनाएं तो कुछ होती ही है। उसलिए उन आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए भावनाओं को समझते हुए, गीत को देखिए। रही बात तड़के की तो आप अपना नया संस्करण बना सकते है, उसमे सिर्फ़ ब्लॉगिंग वालो का ही तड़का दीजिएगा। है कि नही?

आपको कैसा लगा ये गीत?
इसमे दिखाए गए कलाकारों मे से कितनों को आपने पहचाना?
क्या इसका नया संस्करण आप नही बना सकते? तो फिर देर किस बात की है, उठाइए कैमरा और बनाइए अपना संस्करण, अपलोड करने के लिए यूट्यूब तो है ना। तो कब दिखा रहे है आप अपना संस्करण?

सम्बंधित लिंक
फिर मिले सुर भाग एक
फिर मिले सुर भाग दो
मिले सुर मेरा तुम्हारा (मूल रुप में)

2 Responses to “फिर मिले सुर…”

  1. नया संस्करण आएगा तब तुलना तो होगी ही, पूराने वाला जहाँ दिल को छूता था/है, नया टोटली फिल्मी लगता है. फिल्मी देशभक्ति….

  2. लेकिन कब यह गीत हमारे दिलों को छू गया,पता ही नही चला । इसकी लोकप्रियता कुछ इस कदर बढी कि लोग बार बार लगातार इस गीत को देखना/सुनना पसन्द करने लगे।

    अजी कहाँ सुनना पसंद था, वो तो दूरदर्शन वाले जबरन झिलाया करते थे बार-२ दिखा के, अपनी मर्जी से थोड़े ही ना देखा करते थे!! और बार-२ देखने-सुनने का असर यह हुआ कि कब यह रट गया पता ही न चला।
    .-= amit´s last blog ..हिपोक्रिट से सेल्फ़ राईटियस =-.