मोबाइल नम्बर पोर्टेबिल्टी :कब, क्यों, कैसे?

आज भारत के मोबाइल क्रांति मे एक और अध्याय जुड़ गया है, अब आप अपना नम्बर बदले बिना अपना सर्विस प्रोवाइडर बदल सकते है। तकनीकी भाषा मे इसको मोबाइल नम्बर पोर्टेबिल्टी कहते है (अब हिन्दी मे इसका क्या अनुवाद होगा, इसके पचड़े मे पड़े बिना आगे पढिए)।

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Photo Courtesy : Blogdefined.com

तो जनाब इसकी जरुरत क्यों आन पड़ी। हुआ यूं कि आपने मोबाइल कम्पनी के प्रलोभनों मे आकर अपने सर्विस तो ले ली, कभी किसी आइडिए के कारण, कभी कुत्ते, जूजू वाले, कभी अच्छे संगीत वाले तो कभी बहुत ही संवेदनशील विज्ञापन के चक्कर मे। लेकिन फिर आपको लगा कि आप फंस गए। अब नम्बर तो आप सभी को प्रसाद की तरह बाँट चुके थे, अब इस जंजाल से बाहर निकलने का कोई रास्ता भी नही था। लेकिन जनाब सरकार ने आपकी सुनी और आपको नम्बर पोर्टेबिल्टी सेवा देना अनिवार्य कर दिया। आज से यह सेवा पूरे भारत वर्ष मे उपलब्ध है।

लेकिन इसको लेने के लिए करना क्या पड़ेगा, अरे भाई बताते है, थोड़ा सब्र तो करो….ये रही पूरी जानकारी :

  • सबसे पहले तो आपको जिस मोबाइल प्रोवाइडर के पास जाना है, उससे एक फार्म लेना होगा।
  • फिर आप अपने मोबाइल आपरेटर को एक एस एम एस करेंगे, 1900 नम्बर पर।
  • जवाब मे आपरेटर आपको एक नम्बर भेजेगा, इसको सम्भाल कर रखें। आपके मोबाइल से 19 रुपए कट जाएंगे।
  • यह आपका पोर्टेब्लिटी नम्बर है, इसको आप नए आपरेटर के फार्म मे भरेंगे।
  • अगले 48 घंटे मे आपकी सर्विस एक प्रोवाइडर से दूसरे प्रोवाइडर मे शिफ़्ट हो जाएगी, बशर्ते आपके मोबाइल पर कुछ बकाया ना हो।
  • आपको एक घंटे के लिए मोबाइल बंद रखना पड़ सकता है, अधिक जानकारी के लिए नए प्रोवाइडर से पूछे।

तो जनाब हो गयी पोर्टेब्लिटी, अब झेलिए इस नए प्रोवाइडर को। लेकिन ध्यान रहे, अगले 50 दिनो तक आप इस प्रोवाइडर का दामन नही छोड़ सकते। अगर इस से भी दु:खी हो गए तो पचास दिन बाद फिर से इस पोस्ट को पढिए और फिर यही स्टैप दोहराइए।

कुछ सवाल तो अब भी है, तो पूछो ना भई, हम यहाँ बैठे ही जवाब देने के लिए है:

हमारा फोन सीडीएमए है, कर लो दुनिया मुट्ठी मे वालो का, हम उकता गए है, जीएसएम मे कैसे जाएं?
सबसे पहले तो आप अपना फोन चैक करिए, उसमे जीएसएम सुविधा है कि नही अगर नही तो दूसरा मोबाइल खरीदिए, बाकी प्रोसेस यही रहेगा। आप सीडीएमए से जीएसएम, जीएसएम से जीएसएम या  अथवा जीएसएम से सीडीएमए, कुछ भी कर सकते है।
हम उत्तर प्रदेश मे रहते है, राजस्थान वाले प्रोवाइडर से सर्विस ले सकते है?
हाँ हाँ क्यो नही, लेकिन काहे? पैसे ज्यादा आ गए है का? हर बार रोमिंग का पैसा भरना है का?
और भी सवाल है…तो भेज दीजिए….हम जवाब दे देंगे, इसी बहाने दूसरों का भी भला हो जाएगा। तो आते रहिए और पढते रहिए, आपका पसंदीदा ब्लॉग।

6 Responses to “मोबाइल नम्बर पोर्टेबिल्टी :कब, क्यों, कैसे?”

  1. अंदाज़-ए-बयां निखरता गया है आपका। बढ़िया लगा।

  2. अन्तर सोहिल on जनवरी 20th, 2011 at 12:29 pm

    मैनें तो सुना है कि एक राज्य का नम्बर दूसरे राज्य में नहीं चलेगा। मेरा मतलब है कि अगर मेरे पास दिल्ली का एयरटेल कनैक्शन है और मैं इसी नम्बर से हरियाणा एयरटेल की सेवायें चाहता हूँ तो ऐसा नहीं हो सकता है।
    आते रहेंगे और पढते रहेंगे अपना पसन्दीदा ब्लॉग

    प्रणाम

  3. प्रवीण पाण्डेय on जनवरी 20th, 2011 at 1:33 pm

    उपयोगी, अब सेवायें दुरुस्त हों सम्भवतः।

  4. जानकारी के लिए शुक्रिया.

  5. दादा, दूसरे प्रश्न का उत्तर गलत लिख गए हैं। अभी नंबर सिर्फ़ अपने ही सर्कल वाले दूसरे सेवा प्रदाता के पास ले जा सकते हैं। यानि उत्तर प्रदेश वाला नंबर राजस्थान वाले के पास नहीं ले जा सकते, यदि सेवा प्रदाता वही तो तब भी नहीं!! 🙂

  6. उम्दा जानकारी के लिए धन्यवाद् जीतू भाई.