असर उसको ज़रा नहीं होता….

असर उसको ज़रा नहीं होता
रंज राहत फ़ज़ा नहीं होता

तुम हमारे किसी तरह न हुए
वर्ना दुनिया में क्या नहीं होता

नारसाई से दम स्र्के तो स्र्के
मैं किसी से ख़फ़ा नहीं होता

तुम मेरे पासा होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता

हाल-ए-दिल को लिखूं क्योंकर
हाथ दिल से जुदा नहीं होता

क्यों सुने अऱ्ज-ए-मुज़्तरिब अए ‘मोमिन’
सनम आख़िर ख़ुदा नहीं होता
-मोमिन

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