क्या बंगाल का शेर अब बुढा गया है?
अब जब भारत अपना तीसरा टेस्ट पाकिस्तान से हार गया है, और टेस्ट सीरीज 1-1 से बराबरी पर छूट गयी है, सभी लोग हार का ठीकरा अपने बाबू मोशाय के सर पर फोड़ रहे है. लोगो का कहना है कि कप्तान ने गलत डिसीजन लिया, सही तरह से फील्ड नही सजायी, फिर बैटिंग आर्डर मे भी डिसीप्लिन नही रखा, और नतीजा, विश्व का सबसे अच्छा बैटिंग आर्डर, आया राम गया राम बन गया तो भारत ये मैच हार गया. क्या गांगुली पर ये आरोप सही साबित होते है? क्या सचमुच गांगुली को हटा देना चाहिये?
इसके पहले हमे गांगुली के अपने व्यक्तिगत रिकार्ड को देखना चाहिये, गांगुली ने लगभग एक साल पहले सेन्चुरी मारी थी, तब से लेकर अब तक बैटिंग मे तो कोई कमाल नही दिखा सकें है. जैसे वो बैट घुमाते हुए आते है वैसे ही बैट घुमाते हुए चले जाते है, शायद डोना को फोन पर होल्ड करवा कर आते है. और बात अगर बाँलिंग की करें तो उसकी जरूरत ही नही पड़ती, वैसे भी जब सभी बालर पिट रहे थे बेचारे गांगुली को अकेले दोष देना ठीक नही. अब रही बात कप्तानी जिस के लिये वे टीम मे है, क्या इस मैच मे गांगुली ने सही कप्तानी की, क्या वे किसी रणनीति के तहत खेल रहे थे? क्या वे अपने लड़कों को सही तरह से प्रयोग कर पाये? मेरे ख्याल से इस मैच मे कप्तानी स्तरीय नही थी, पहले तो पाकिस्तान को डिफेन्सिव फील्ड दे दी गयी, जिसकी वजह से पाकिस्तान ने इतना बढा स्कोर खड़ा किया, फिर सारी रणनीति का दारोमदार बेचारे सहवाग के प्रदर्शन पर ही बनाया गया था, अरे भई, क्रिकेट मे चमत्कार तो होते है लेकिन रोज रोज नही होते. वैसे देखा जाये तो टारगेट स्कोर ज्यादा बड़ा नही था, लेकिन अपने बल्लेबाज देश के लिये कहाँ खेलते है, वे तो बस अपने रिकार्ड के लिये खेलते है.
अब सवाल उठता है, अकेले गांगुली को ही क्यों दोषी ठहराया जाय,अपना खिलाड़ी चयन करने का तरीका ही गलत है,क्यों नही हम लोग प्लेयर रेटिंग सिस्टम बनाते, और हर खिलाड़ी को अपने अपने प्रदर्शन के लिये जवाबदेह बनाये. इसमे न्यूनतम एवरेज का प्रावधान होना चाहिये, कि इससे कम होने पर खिलाड़ी को अपने आप टीम से बाहर कर दिया जायेगा, चाहे वो कोई भी हो. जिसका एवरेज अच्छा होगा वही टाप इलेवन मे रहेगा, ताकि सभी लोग अपने एवरेज के लिये खेलें. अकेले गांगुली को दोष देना ठीक नही होगा, अब लक्ष्मन को ही ले, जब जब टीम उनको निकालने की सोचती है, तब तब वो अच्छा खेलते है, इसका मतलब प्रेशर मे अच्छा खेलते है, तो क्यो नही उनको अगले खराब प्रदर्शन पर बेन्च पर बिठाया जाता, वही बात सचिन के लिये लागू होनी चाहिये, कब तक खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन को टीम ढोयेगी? लेकिन नही, सिलेक्टर ११ खिलाड़ियों का चयन नही करते, बल्कि सात खिलाड़ियों को ढोते हुए बाकी के चार खिलाड़ियों का चयन करते है, ऐसा क्यों होता है?
तो क्या समय आ गया है गांगुली को बाय बाय करने का? टैस्ट मैचो मे तो ऐसा ही दिखता है, वन डे मे उनके भाग्य का फैसला सीरीज के तीन मैच के बाद ही किया जाना है.
आपका क्या विचार है इस बारे मे?
Dukhti raag per haath rakh diye aap Jitu bhaiya. Maaro g**nd per laat aur nikalo ganguly ko bahar. Bhaiye itne saal main itne bhadiya coach / team mates ke saath to koi bhi backfoot per khelna sikh jaata. Yeh kahan ka selection hua ki Kaif, Yuvraj, Shri ram, Dinesh Mongia to baithe hain bahar aur dada andar.
are bhaiya dada hain tabhi to andar hain….
हाँ सौरव के व्यक्तिगत प्रदर्शन पर तो जरूर सोचना चाहिये लेकिन यह भी बात सही है कि पाकिस्तान से हारने के बाद हमें ज्यादा खुजली हो रही है। कोलकाता टेस्ट जीतने के बाद वाह गांगुली हो रहा था एक टेस्ट हारे कि नहीं बस शुरु हो गये।
Nahi nahi dada se to mera dimag 1.5 saal se kharab hai. With time dada bhurst se bhutster hote jaa rahe hain. The last dismissal was absolute disgrace. Ch**tiyon saman khade hain pitch per bowled hone ke baad, kya wait kar rahe the umpire no ball de dega !
chrysler wheels
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aciphex
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तो क्या समय आ गया है गांगुली को बाय बाय करने का? टैस्ट मैचो मे तो ऐसा ही दिखता है, वन डे मे उनके भाग्य का फैसला सीरीज के तीन मैच के बाद ही किया जाना है.