गीता का उपदेश, नये रूप मे

ये गीता का उपदेश मेरे को भेजा है बैल्जियम मे रहने वाली मेरी एक पाठक, अमिता श्रीवास्तव ने, आप भी इसका लुत्फ उठाइये. इस गीता के उपदेश का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नही है, ये तो बस मनोरंजन के लिये है, इसलिये इसे सीरियसली मत लीजियेगा



हे पार्थ!
इन्क्रीमेन्ट नही मिला, बुरा हुआ
तन्ख्वाह कट रही है, बुरा हो रहा है,
रिट्रेचमेंट होगा, वो भी बुरा ही होगा….
तुम पिछले रिव्यू ना होने का पश्चाताप ना करो
तुम अगले रिव्यू ना होने की चिन्ता ना करो
रिसेशन चल रहा है……
तुम्हारे पाकेट से क्या गया, जो तुम रोते हो?
तुम कम्पनी के लिये क्या बिजनेस लाये तो तुमने खो दिया?
तुमने ऐसा कौन सा प्रोडक्ट बनाया जो फेल हो गया?
तुम कोई अनुभव लेकर नही आये थे….
जो अनुभव लिया कम्पनी से लिया….
जो प्रोजेक्ट किया कम्पनी के लिये…
डिग्री लेकर आये थे, अनुभव लेकर चले जाओगे
जो फंक्शन आज तुम्हारा है…
वो कल किसी और का था…परसों किसी और का होगा
तुम इसे अपना समझ कर क्यों मगन हो रहे हो
हे पार्थ! यही खुशी तुम्हारी टैंशन का कारण है…
क्यों व्यर्थ टैंशन लेते हो, किस से व्यर्थ डरते हो…
कौन तुम्हे निकाल सकता है?
पालिसी चैन्ज तो कम्पनी का रूल है
जिसे तुम पालिसी चैन्ज कहते हो, वो तो मैनेजमेन्ट की ट्रिक है..
एक पल में तुम इन्क्रीमेन्ट के बारे मे सोचते हो
दूसरे ही पल में तुम स्टाइपेन्ड पर आ जाते है…
रिव्यू,इन्क्रीमेन्ट वगैरहा, सब मन से हटा दो
विचार से मिटा दो, फिर कम्पनी तुम्हारी है, तुम कम्पनी के हो
ना ये इंक्रीमेन्ट वगैरहा तुम्हारे लिये है
ना तुम इसके काबिल हो, परन्तु जौब सिक्योरिटी है, ऐसा सोचो
फिर तुम्हे टैन्शन क्यों?
तुम अपने आप को कम्पनी के लिये अर्पित कर दो.
यही सबसे बड़ा गोल्डन रूल है
जो इस गोल्डन रूल को जानता है
वो रिव्यू,इन्सेन्टिव,रिसेशन,रिट्रेचमेन्ट आदि भ्रमों से सदा सर्वदा मुक्त है
इसलिये हे पार्थ!
चल उठ, काम कर, प्रमोशन की चिन्ता मत कर… .
कर्म ही तेरा भाग्य है

5 Responses to “गीता का उपदेश, नये रूप मे”

  1. धन्य हो! धन्य हो! प्रभू.

  2. आप तो महाप्रभु हैं, हम धन्य हुये आपकी संगत पाकर.

  3. चैतन्यस्वामी, ये तो सदा समीचीन रहने वाली रचना है. हम इसके मारे हैं. घोषणा सुनने के लिए आतुर है. प्रभो हम पर कृपा करो और मंतर मारके हमारा कल्याण कराओ

  4. bhai bhaut aand aya he ise padhkar aur aaj jevan me private naukri me kar karne walo ke liye ek bahut badi sikh mili he

  5. aanand aa gya