भारत यात्रा का ब्लाग

अपने वादे के मुताबिक मै हाजिर हूँ, अपनी भारत यात्रा के चित्रो एवं कमेन्टरी के साथ, इसलिये मैने अपना भारत यात्रा का अलग से ब्लाग बनाया है, इसे यहाँ देखें

आशा है आपको पसन्द आयेगा. अब मैने ब्लाग अपने सर्वर पर ना बनाकर, ब्लागस्पाट पर क्यों बनाया, क्योंकि मेरे को ब्लागस्पाट की फोटो अपलोड करने की सुविधा ज्यादा पसन्द आयी, बहुत आसान है और शीघ्रातिशीघ्र फोटो अपलोड होते है.

जल्द ही सिलसिलेवार अपना भारत यात्रा वृतान्त आपके सामने लाऊँगा, लेकिन शब्दो मे नही….चित्रो में.

2 Responses to “भारत यात्रा का ब्लाग”

  1. हम सब की बात है..
    मुझे अब तक ये अनुभव रहा कि हिंदी को दोयम दर्ज़े का माना जाता है. यहां आकर अहसास हुआ कि हक़ीक़त ये नहीं है बिलकुल नहीं. आप लोग जो यक़ीनी तौर पर उम्दा तालीमयाफ़्ता होंगे – से जो प्रतिसाद मेरे ब्लाग को शुरुआत में मिला है, इसके लिए आभारी हूं. आज मेरे साप्ताहिक अवकाश का दिन है लिहाज़ा ज़्यादा नहीं लिख रहा हूं. सामाजिक सरोकार और इससे हमारी चिंता सहज और स्वाभविक है. सच कहूं तो इतनी टीप पढकर मेरी आंख से एक आंसू उतरा. यह आंसू खुशी का है. यह हौसला बढा गया कि इस लडाई में बहुतेरे साथ है, वो चाहे दुनिया के किसी भी कोने में हों. किसी का शेर याद आ रहा है –

    मैं चाहता हूं निज़ाम – ए – कुहन बदल डालूं,
    मगर ये बात मेरे बस की नहीं .
    हम सब की बात है,
    दो – चार- दस की बात नहीं.

    जीतू, भारत यात्रा वृतान्त का इंतज़ार है. कोशिश करना कि इस दफ़ा भारत कितना बदला – सा लगा ये भी कह सको. ‘भारत एक खोज’ की तरह जितना ढूंढा कम लगा और जहां ढूंढा नया लगा. हैं ना ?

  2. हम सब की बात है..
    मुझे अब तक ये अनुभव रहा कि हिंदी को दोयम दर्ज़े का माना जाता है. यहां आकर अहसास हुआ कि हक़ीक़त ये नहीं है बिलकुल नहीं. आप लोग जो यक़ीनी तौर पर उम्दा तालीमयाफ़्ता होंगे – से जो प्रतिसाद मेरे ब्लाग को शुरुआत में मिला है, इसके लिए आभारी हूं. आज मेरे साप्ताहिक अवकाश का दिन है लिहाज़ा ज़्यादा नहीं लिख रहा हूं. सामाजिक सरोकार और इससे हमारी चिंता सहज और स्वाभविक है. सच कहूं तो इतनी टीप पढकर मेरी आंख से एक आंसू उतरा. यह आंसू खुशी का है. यह हौसला बढा गया कि इस लडाई में बहुतेरे साथ है, वो चाहे दुनिया के किसी भी कोने में हों. किसी का शेर याद आ रहा है –

    मैं चाहता हूं निज़ाम – ए – कुहन बदल डालूं,
    मगर ये बात मेरे बस की नहीं .
    हम सब की बात है,
    दो – चार- दस की बात नहीं.

    जीतू, भारत यात्रा वृतान्त का इंतज़ार है. कोशिश करना कि इस दफ़ा भारत कितना बदला – सा लगा ये भी कह सको. ‘भारत एक खोज’ की तरह जितना ढूंढा कम लगा और जहां ढूंढा नया लगा. हैं ना ?