ये समाचार पत्र हैं या वयस्क पत्रिकायें?

हाँ जी, कुछ ऐसा ही सोच रहा था, भारत के अखबारों मे आजकल होड़ लगी हुई है कौन किस से बढकर, गरमागरम तस्वीरो का प्रदर्शन करता है. कोई भी अखबार उठाकर देख लीजिये, आप हर तरफ यही सब पायेंगे. चाहे हिन्दी का अखबार हो या अंग्रेजी का. अगर पहले पन्ने पर नही होगा तो बीच मे कंही होगा, नही तो किसी विशेषांक मे जरूर होगा. कुछ ऐसा ही हाल समाचारपत्रों की वैबसाइट का भी है. शायद कुछ इन्ही कारणो और बहुत सारे विज्ञापनो को झेलने के डर से मैने इन्डियाटाइम्स वगैरहा जैसी साइटों को खोलना छोड़ दिया है.

शायद मेरे विचारों से सहमत होकर, सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को लताड़ लगायी है और पूछा है “ये सब क्या चल रहा है भई?”

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4 Responses to “ये समाचार पत्र हैं या वयस्क पत्रिकायें?”

  1. बिल्कुल सही बोला आपने। टाइम्स ऑफ इंडिया.कॉम पर तो सेक्स के अलाव मुख्य पृष्ठ पर कुछ और नहीं रहता। मैंने तो उनके सम्पादक को इतनी ई मेल लिकीं पर कोइ फरक नहीं पडा। अखबार का तो पूछो ही मत। यहां अमेरिका में ऐसा कुछ नहीं दिखता अखबारों में।

  2. its really a good article about the newspapers and told us about the present scenerio of newspapers.

  3. पहले घरवालों के साथ बैठकर टीवी नहीं देख सकते थे, अब अखबार नहीं पढ़ सकते।

  4. main apni parsnol life ka bare main kuch discurs karna chahti hun kya mujhe koi sachha dost milega