दु:ख की घड़ी

इस वर्ष की शुरुवात या कहें २००५ का अन्त मेरे लिये अच्छा साबित नही हुआ।विगत २४ दिसम्बर को मेरे पिताजी का कानपुर(उ.प्र.) मे देहान्त हो गया, वे ७५ वर्ष के थे। मै तुरन्त कुवैत से कानपुर के लिये रवाना हो गया था, लेकिन २५ दिसम्बर की रात तक ही कानपुर पहुँच सका। घर मे सबसे छोटा होने के कारण मै सबका लाडला हूँ। पिताजी का मुझसे विशेष स्नेह था। किसी भी व्यक्ति के जीवन का यह सबसे गम्भीर क्षण होता है जब उसके सर से मां बाप का साया उठता है। मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि भगवान उनकी पुण्य आत्मा को शान्ति प्रदान करें।आप सभी साथियों के शोक सांत्वना सन्देशों के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।

पिताजी के देहान्त से मै अत्यन्त ही दु:खी हूँ, अभी तक मै इस सदमे से उबर नही पाया हूँ, इसलिये लेखन का कार्य कुछ दिन स्थगित रह सकता है।आशा है आप सभी इस बात को समझेंगे और पूरा पूरा सहयोग करेंगे।

18 Responses to “दु:ख की घड़ी”

  1. जीतू जी,
    काश, आपका दुःख अगर शब्दों में बाँट सकता ।
    जानते हैं, अभी मेरे माता -पिताजी मेरे साथ ही रहते हैं । कभी मेरे दूर स्थानांतरण की बात आती है न, उनके चेहरे पर चिंता की कुछ लकीरें तुरंत आ जाती है । उनकी लकीरें कुछ पुछती है हमसे । मैं मुक-बघिर हो जाता हूँ । नियति की रीति क्या है , किस स्थान – काल में कौन कहाँ होगा, पता नहीं ।
    परम पिता का वह पवित्र अंश, जो कि अजर-अमर है, हमें हर परिस्थिति में मार्गदर्शन रहें, हम सब उनके कुछ सपनों को साकार करें , बस यही प्रार्थना है हमारी । पुरे परिवार को हमारी संवेदनाएँ ।

  2. जीतू भाई, इस दु:ख के वक़्त में हम सभी आपके साथ हैं और कामना करते हैं कि आपके पिता जी की आत्‍मा जन्‍म-मृत्‍यु के बन्‍धन छिन्न करके परमात्‍मा से चिर तादात्‍म्‍य प्राप्त करे।

  3. मेरी सहानुभूति आपके साथ है, मृत्यु ही जीवन का एक ऐसा सत्य है जो कि अटल है। अपने को संभालें और यदि आप ईश्वर में विश्वास रखते हैं तो अपने पिताजी के मोक्ष के लिए प्रार्थना करें।

  4. जीतू जी! इस दुख की घड़ी में हम सभी आपके साथ हैं। ईश्वर आपके पिताजी की आत्मा को शान्ति प्रदान करे और आपको यह सदमा सहने की शक्ति मिले , यही प्रार्थना है।

  5. जीतू भाई,
    सद्पुरुष सदैव सद्गति को प्राप्त होते हैं, उनके हमारे बीच से जाने का दु:ख भी उतना ही अधिक होता है. प्रार्थना है प्रभु से, आपको और शोक संतप्त परिवार को इस दु:ख की धडी में धैर्य प्रदान करें.

  6. Jitu bhai, sun ke bahut dukh hua ishwar unki aatma ko shanti pradan kare aur dukh ki is ghari me aapko himmat de. Baaki dukh ke liye itna hi kahoonga, jab sukh ke din nahi rahe to dukh ke bhi nahi rahenge. aapke pitaji ki yaad aapke dil me hamesha bane rahe ishawar se yehi prarthna hai.

  7. प्‍यारे मित्र जितेन्‍द्र जी, नमस्‍कार
    मृत्‍यु नासमझों के लिए दुःख है,समझदारों के लिए चुनौती।और एक सन्‍देश स्‍वयं के प्रति जागने का
    कुछ़ भी न यहॉ पर मिटता है, बस रूप बदलता जाता है।
    फिर नया जन्‍म,फिर नई देह, बनता नव रिश्‍ता-नाता है।
    भूलो मत भूल-भुलैया में, चढ जा सद्‌गुरू की नैया में।
    अथ सद्‌गुरु शरणम्‌ गच्‍छामि, भज ओशो शरणम्‌ गच्‍छामि ।
    धन्‍यवाद।
    ओशो जागरण, कानपुर।

  8. जीतू जी! इस दुख की घड़ी में हम सभी आपके साथ हैं। ईश्वर आपके पिताजी की आत्मा को शान्ति प्रदान करे. ओशो जी का वचन भी सही पर हम ओशो नही हो सकते हैं।

  9. जीतू जी! बहुत दुख हुआ आपके पिताजी के बारे में जानकर. इस दुख की घड़ी में भगवान आपको हिम्मत दे और आपके पिताजी की आत्मा को शान्ति प्रदान करे. यही परमात्मा से दुआ है.

  10. आपके पिताजी के देहावसान का समाचार सुनकर बहुत कष्ट हो रहा है | भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दें !

  11. My heartfelt condolences on the sad demise of your father. May God rest his soul in peace.

  12. जीतू जी यह समाचार पाकर अत्यंत दुःख हुआ। ईश्वर आपके पिताजी की आत्मा को शांति प्रदान करे! इस शोक की घड़ी में हम सब आपके साथ हैं।

  13. अपनों से बिछड़ने का दर्द कोई अपना ही समझ सकता है. भले हम आपके सगे नहीं पर अपने तो हैं. इस दु:ख की घड़ी में परमात्मा आपको शक्ति और पुण्यात्मा को शांति प्रदान करे. आपका
    शशि

  14. जीतू जी! बहुत दुख हुआ आपके पिताजी के बारे में जानकर. परमपिता उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे.
    आशीष

  15. मेरी हार्दीक संवेदनाएं.
    इस दुखद समाचार के बारे में मुझे तभी ज्ञात हो गया था जब आप भारत में थे, परंतु मैं लिखने में असमर्थ था.
    दु:खद क्षणो में ईश्वर आपको शक्ति और पुण्यात्मा को शांति प्रदान करे.

    आपका
    संजय बेंगाणी

  16. नीरज दीवान on जनवरी 16th, 2006 at 8:03 pm

    आपके पिताजी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ . अपने पालकों की मृत्‍यु हमे हमारे बडे होने का अहसास करा जाती है . ज़ाहिर है उनका साया हम पर जब तक होता है एक तरह से सुकून और सुरक्षा का अहसास सदा बना रहता है. जीतू भाई मेरे पिताजी की तबीयत इन दिनों बहुत ज़्यादा खराब है. अभी अपने गांव से होकर वापस दिल्ली आया हूं. मेरी हार्दिक संवेदना आपके साथ है

  17. jeetu Bhai,

    Pita ghar ki chat ki tarah hote hen, unaka na rahana ek vichitra asurksha ki Bhavana deta he, mujhe is dad ka anubhava he. isase nikalane ka yahi upay he ki aap apane baccho ke samane pita ko upasthit rakhe, usi sneh me, jo apake pita ne diya

    samvedanao sahit

    Rati saxena

  18. जीतू जी, अभी मेरे मां बाप का साया मेरे सर पर है, इसलिए आपके इस दुख को अभी पूरी तरह महसूस तो नहीं कर सकता, लेकिन इतना ज़रूर जानता हूं कि सारी दुनिया में सिर्फ़ एक मां बाप ही ऐसे होते हैं जो हरदम सच्चे मन से आपका भला सोचते हैं। अंदाज़ा लगा सकता हूं कि उनका छिन जाना अपना वजूद ख़तम होने समान हो सकता है। बहुत ताकत चाहिए ऐसे द्ख को झेलने के लिए और वो ताकत भगवान आपको दे।