आँकड़े बोलते है।

पिछले वर्ष यानि 2005 में भारत घूमने आने विदेशी पर्यटकों की संख्या इस प्रकार रही:

  • यूरोप से 12 लाख(1.2 Millions) लोग भारत घूमने आए।
  • अमरीका मे अकेले न्यूयार्क से 82,910 वीजा आवेदन आए।
  • सिंगापुर से आने वाले आवेदनों की संख्या 56,620 रही। और सबसे महत्वपूर्ण
  • बांग्लादेश से 4,00,000 वीजा आवेदन आए।

अमां देसी भाई(बांग्लादेशियों के लिये), यूं ही टहलते हुए ही आ जाते हो तुम लोग तो, वीजा की क्या जरुरत। जब केन्द्र मे सरकार तुम्हारे अधिकारों की रक्षा करती है, तुम्हे राशनकार्ड और पासपोर्ट बनाकर देती है तो काहे वीजा के झमेले मे पड़ते हो।तहमद उठाओ और निकल आओ। काम तो यहाँ पक्का मिलना है, नही भी मिला तो आइएसाआई की आउटसोर्सिंग वाला काम तो है ही ना।

2 Responses to “आँकड़े बोलते है।”

  1. “देसी भाई(बांग्लादेशियों के लिये), यूं ही टहलते हुए ही आ जाते हो तुम लोग”
    इस पंक्ति को व्यंग्य में लिखा न माने, यह सच्चाई हैं. मैं कुछ साल सिलचर में रहा हुं जो बंग्लादेश की सीमा के नजदीक बसा हुआ हैं. उस इलाके में रोज बंग्लादेशी सुबह आते हैं, मजदूरी करते हैं और शाम को वापस लौट जाते हैं. पर जरूरी नहीं कि सभी लौटे ही. कुछ भागो में तो आज भारतीय अल्पसंख्यक हो चुके हैं.
    जहां 2 करोङ बंग्लादेशी घुसपेठीये भारत में अल्पसंख्यक नामका विशेष दर्जा भोग रहे हैं, 4 लाख वीजा आवेदन परमाणु शक्ति पर व्यंग्य करता सा लगता हैं.

  2. काम तो यहाँ पक्का मिलना है, नही भी मिला तो आइएसाआई की आउटसोर्सिंग वाला काम तो है ही ना।

    मेरी नानीजी एक कहावत कहती है, “जिसने जाए उसने लजाए”। इसका अर्थ है कि जिसने तुम्हें जन्म दिया तुम उसी को लजा रहे हो। यह कहावत बांग्लादेशियों पर बिलकुल सही उतरती है। भारत की वजह से बांग्लादेशियों पर होते पाकिस्तान के अत्याचार बंद हुए, भारत की वजह से बांग्लादेश बना, परन्तु फ़िर भी एहसान मानने की जगह बांग्लादेशी भारत की ही खिलाफ़त करते हैं।