परिचर्चा की जन्म कथा

दोस्तों आपका अपना डिसकशन फोरम परिचर्चा इन्टरनैट पर आ चुका है। इसके लिये मै सबसे ज्यादा धन्यवाद करना चाहूंगा परिवार के सबसे छोटे (और सबसे नटखट भी) अमित गुप्ता का। अमित ने इस फोरम के लिये दिन रात एक कर दिया, हमने कई साफ़्टवेयर देखें, अन्त मे जाकर इस साफ़्टवेयर को चुना गया। अमितवे की इस प्रोजेक्ट के लिये जितनी तारीफ़ की जाए कम है।


paricharcha

परिचर्चा का उद्देश्य हिन्दी चिट्ठाकारों के बीच वार्तालाप को और प्रगाढ बनाना है। हम चाहते है चिट्ठाकारों के इस परिवार मे लोग एक दूसरे के और करीब आए और हर विषय पर एक दूसरे के विचारों को जाने।हम चाहेंगे कि सभी चिट्ठाकार अपने व्यस्त दिनचर्या से कुछ समय निकालकर निकालकर परिचर्चा पर आएं और अपनी पसन्द के विषयों पर अपनी राय रखें। यदि उन्हे कुछ और नये विषय पसन्द है तो वो वे भी बताएं, ताकि उसके लिये भी कुछ सोचा जा सकें।

परिचर्चा की कल्पना वक्त की जरुरत को देखते हुए की गयी थी, हमारे ब्लॉगर बन्धु बढ रहे थे, इसलिये चिट्ठाकार ग्रुप पर इमेल्स की संख्या भी बढ रही थी। चिट्ठाकार ग्रुप को हमने सूचना, तकनीकी ज्ञान के आदान प्रदान एवं बहुत ही जरुरी वार्तालाप के लिये ही रखा था। लेकिन जैसे जैसे लोग बढते गये, इमेल्स बढती गयी, साथ ही लोगों के इनबाक्स भी।कई लोगों ने इसकी शिकायत की थी, फिर दिक्कत ये होती थी, कई मसले सभी चिट्ठाकार बन्धुओं की पसन्द के नही होते थे, तो हमे इमेल करने वाले बन्धु को बताना पड़ता था, कि भई यहाँ पर चर्चा मत करो, लेकिन जब वो पूछता था, कि यहाँ नही करूं तो कहाँ करूं? तब हम निरुत्तरित हो जाते थे। यहीं इस फोरम की स्थापना का कारण बना। इस फोरम के बनने से ना तो चिट्ठाकार ग्रुप पर फर्क पड़ेगा और ना ही लोगों के ब्लॉग लेखन पर, वरन इस फोरम के आने से लोगो को एक आसान सा ठिकाना मिल गया जहाँ वो अपनी मर्जी के सवाल पूछ सकते है, अपने जैसे सोचने वाले लोगों से वार्तालाप कर सकते है। और सबसे बड़ी बात, जो फोरम टापिक आपको पसन्द हो शामिल होएं।यह फोरम सिर्फ़ चिट्ठाकारों के लिये सीमित नही है, हर वह हिन्दी प्रेमी व्यक्ति जो हिन्दी मे वार्तालाप, वाद विवाद करना चाहता है अथवा उसके मन मे कुछ जिज्ञासाएं है, उसका इस फोरम मे स्वागत है।यह फोरम मेरे विचार से हिन्दी चिट्ठाकारी और इन्टरनैट पर हिन्दी के प्रचार प्रसार को बढाने मे सहायक सिद्द होगा।

मुझे खुशी है कि चिट्ठाकार बन्धुओं ने हमारे इस प्रयास को सराहा और इसे सफ़ल बनाने मे अपना सहयोग दे रहे हैं। लेकिन हमे आपसे इस फोरम और लोकप्रिय बनाने मे मदद चाहिए, हम चाहेंगे कि इस फोरम मे पार्दर्शिता रहे और इसमे शामिल एक एक व्यक्ति अपने आपको फोरम से जुड़ा पाए। हमे आपसे सहयोग की उम्मीदे हैं हम आशा करते है आप प्यार,दुलार और स्नेह सदैव हमारे साथ रहेगा। वरिष्ठ ब्लॉगर बन्धुओं से निवेदन है कि हमे इस फोरम के लिये अपना आशीर्वाद प्रदान करें और फोरम की गतिविधियों में सक्रिय होएं। सभी बन्धुओ से निवेदन है कि हमे अपने अमूल्य सुझावों से अवगत कराएं।

अन्त मे पंकज भाई के आदेशानुसार परिचर्चा का विज्ञापन पेश है:(यदि आप भी परिचर्चा के बारे में लोगों को बताना चाहते है नीचे वाला पैराग्राफ़ कापी करके अपने ब्लॉग पर (नयी पोस्ट के रूप मे लगाएं)

सजाल पर हिन्दी व इस से संबधित विषयों व अन्य रोचक विषयों पर हिन्दी में चर्चा के लिए एक < href="http://akshargram.com/paricharcha">परिचर्चा एक नया सजाल है। यहाँ पर हिन्दी में शुभारंभ, ब्लॉगजगत, व वादविवाद जैसे मंच हैं जिन में आप के जैसे ही हिन्दी प्रेमी भाग ले रहें हैं। आप भी इस के सदस्य बनिए व इन विषयों पर चर्चा आरंभ करें। तो आइए चर्चा करें।

9 Responses to “परिचर्चा की जन्म कथा”

  1. अमित जी, और परिचर्चा की सारी टीम को मेरी हार्दिक बधाई ! निशचय ही आप सबका प्रयास सराहनीय है ।

  2. आपको और अमित को बहुत बहुत बधाई एव‍ं धन्यवाद।
    हां, कुछ भी हो रात और दिन को अलग अलग ही रखें।

  3. जीतू जी और अमित जी, आप ने हमें यह एक बहुत सुन्दर उपहार दिया है। हिंदी लिखने वाले तो शायद नेट पर बहुत कम हों पर हिंदी जानने और पड़ने वाले देश में असीम हैं। अगर हम इस फ़ोरम को इसी प्यार और सहयोग से आगे बडा़ते रहे तो यह फ़ोरम देश की सबसे लोकप्रिय साइट बनने की ताकत रखता है।

  4. अमित को ढेरों बधाई…. आपको साधुवाद……

  5. हमारी भी बधाई स्वीकार करे

  6. बहुत सुंदर और पवित्र प्रयास है। देश की सेवा-भक्ति का यह भी एक तरीक़ा है। शुभकामनाएं।
    शुभेच्छु
    प्रेमलता

  7. हमारी भी बधाई स्वीकार करे

    http://blogdeldescanso.blogspot.com/

  8. बहुत बहुत बधाई एवं प्रयास की सफ़लता के लिये शुभकामनाऎं.

  9. जीतू जी, पहले तो आपको और अमित भाई को ढेरों बधाई,
    मैं ने कुछ दिनों पहले फोरम पर रिजस्टर किया, शायद मैंने गलती से इन्वीटशन मेल को उडा दिया। मैं पूछना ये चाह रहा था कि किया मुझे दुबारा वो इनवीटशन मेल मिल सकती है? नहीं तो मुझे दुबारा दूसरे नाम से रिजसटर करना पडेगा।
    मैं ने shuaib नाम से रिजसटर किया है और इमेल पता ये दिया था shuaib.designer@gmail.com
    क्रिपया उत्तर दें।