टेलीमार्केटिंग वालों की काट

अभी पिछले दिनो जब मै भारत यात्रा पर था तो टेलीमार्केटिंग वालों ने नाक मे दम कर दी थी। ये हालत हो गयी थी कि मोबाइल पर अजनबी नम्बर देखकर बात करने की इच्छा नही होती थी। कभी एयरटेल वालों से तो कभी सिटीबैंक वालों से कभी कोई कम्पनी कभी कोई और कम्पनी। बिलावजह पैसे खर्च कराते थे (एक तो वैसे ही मै रोमिंग पर था, इन लोगों ने बिल और बढा दिया था) आप भी इन सभी समस्याओं से गुजरे होंगे। हमारे अतुल अरोरा भाई ने एक तरीका निकाला था(अतुल भाई, पोस्ट लिंक बताओ, मै ढूंढ नही सका), इनसे निबटने का, अब हम आपको बताते है एक और नायाब तरीका।
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सबसे पहले तो कुछ जरुरी बाते जान लीजिए:

  • अक्सर इन टेलीमार्केटिंग वालों की काल्स रिकार्ड होती है, इसलिए ये लोग चाहकर भी आपसे बदतमीजी नही कर सकते।
  • ये लोग आपकी कॉल बीच मे नही काट सकते। इसलिए बेझिझक बाते करिए (अगर टाइम हो तो।)
  • आप इनसे अभद्रता मत करिए, लेकिन उसको बाते कर कर के पका दीजिए कि वो खुद फोन रखने की इच्छा करे।
  • वो सवाल करे, उससे पहले आप ही सवाल पर सवाल दाग दीजिए, तब तक जब तक कि वो हाथ ना जोड़ दे।
  • उसका फर्ज है कि आपकी बात को सुने और कम्पनी की पालिसी के हिसाब से जवाब दे।

अब उदाहरण देखिए। मैने वार्तालाप का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद कर दिया है:

टेलीमार्केटिंग: नमस्कार! क्या आप जीतेन्द्र चौधरी है।
जीतू : हाँ जी, बताइए?
टेली. : मै फ़ला फ़ला कम्पनी से निशा बोल रही है, हम आपको पर्सनल लोन दे सकते है।
(—अब मै समझ तो गया था कि फालतू की काल है, लेकिन इसको पकाना है इसलिए आगे सुनिए—)

जीतू: ओह नाइशा? क्या हाल है? नाइशा कि निगाह? कैसे बुलाते है सब तुमको?
टेली: निशा…..नि….शा….
जीतू :अच्छा नीईईईईईईशा, इतना बड़ा नाम? कैसे स्पैल करते है।
टेली: निशा….. एन आइ एस एच ए।
जीतू : अच्छा निगाह …एन आइ जी एच ए, लेकिन एक ए कम नही लगा?
टेली : निगाह नही निशा…निशा एन फ़ार नागपुर, इन्डिया, सूरत, हावड़ा, आगरा। अब समझे आप?
जीतू: अच्छा! निशा, बहुत प्यारा नाम है? किसने रखा है, मम्मी ने या पापा ने?
टेली. मम्मी ने, मै कह रही थी, पर्सनल लोन…
उसको बीच मे ही काटते हुए जीतू : एकदम मेरे को भी लगा था, मम्मी ने ही रखा होगा? अच्छा ये बताओ, तुमको मेरा नम्बर किसने दिया?
(अब ये वाला तकनीकी सवाल था, जवाब तो उसके बाप को भी देना पड़ेगा)
टेली: आपका नम्बर हमारे डाटाबेस मे था। मै आपको पर्सनल लोन के बहुत अच्छे ….
फिर काटते हुए जीतू :ये तुम्हारा फुल टाइम जॉब है?
टेली : पार्टटाइम
जीतू: गुड, बाकी टाइम क्या करती हो (नया थ्रेड चालू करिए)
टेली :पढती हूँ। मै आपको पर्सनल लोन….
जीतू : अच्छा! क्या खगोल शास्त्र पढती हो? (वो विषय कहिए,जिसको लड़किया पढना नापसन्द करती है,जवाब की गारन्टी)
टेली : नही, मै वाणिज्य मे स्नातक कर रही हूँ।
जीतू : अच्छा किस कालेज से? (यहाँ बातचीत को और टर्न करिए), फलाने कालेज से?
टेली :नही मै करोड़ीमल (रिफ़रेन्स के लिए) से कर रही हूँ।
जीतू : अच्छा! मैने भी वही से किया, अभी भी हैड आफ डिपार्टमेन्ट शर्माजी ही है ना।
टेली : (अब तक काफी पक चुकी थी) मुझे नही पता, आपको पर्सनल लोन चाहिए ना?
जीतू :अच्छा कितने समय से हो टेलीमार्केटिंग मे?
टेली : छ: महीने से?
जीतू : बहुत अच्छे! कितना पैसा दे रहे है ये लोग आजकल?
टेली :मै आपके सवाल का जवाब नही दे सकती। आपको पर्सनल लोन……..
जीतू : शायद सात हजार तक देते है (अन्दाजे का तीर चलाइए, कम का ही, जवाब फौरन आएगा,थोड़ी आशाएं जगाइए), मैने तो इसलिए पूछा था, कि मेरी कम्पनी मे भी काफ़ी वैकेन्सी निकलती रहती है।
(थोड़ी साफ़्ट आवाज, क्योंकि इस जॉब का तो भरोसा है नही,इस नौकरी के बाद भी नौकरी की उम्मीद जो जगी)
टेली: जी, देखिए, मेरे को बताना का अधिकार नही है, लेकिन जो आप बता रहे है उससे ज्यादा ही है।
जीतू: अच्छा, बहुत कम देते है। घर मे और कौन कौन है।
टेली :देखिए, मै आपको पर्सनल लोन के बारे मे बताने बैठी हूँ, आप व्यक्तिगत सवाल पर सवाल किए जा रहे है।
जीतू :भई, मै लोगो के बारे मे जानने मे ज्यादा इच्छुक रहता हूँ, इसलिए बातचीत कर रहा हूँ। फिर फोन भी तो आपने ही किया है।
टेली: (झल्लाते हुए) अच्छा क्या अब हम कुछ काम की बात करें? आप हम आपको आपनी सैलरी का पाँच गुना पर्सनल लोन दे सकते है।
जीतू :अच्छा पर्सनल लोन? नही उसमे तो मै इच्छुक नही हूँ।
टेली : फिर आप इतनी देर से बात क्यों कर रहे थे (गुस्से को दबाकार, आवाज को संयत बनाते हुए)
जीतू: वो मैने आपको बताया ना, मै मानवीय व्यवहार पर रिसर्च कर रहा हूँ, इसलिए आपसे लगातार बात कर रहा था।
टेली :अच्छा जी, आपने पहले बताना था। यदि हम लोगों की बात समाप्त हो गयी हो तो मै फोन काटना चाहूंगी।
जीतू: क्यों, और थोड़ी बाते करते है ना। ( अब आप चिपक जाइए, चमगादड़ की तरह)
टेली : जी, आपसे बातचीत करके अच्छा लगा, लेकिन माफ़ी चाहूंगी, मेरे को और भी काल्स करनी है।
जीतू: अच्छा आप आफिस मे होंगी, अपना मोबाइल नम्बर दीजिए, मै मिला लूंगा, आफिस हावर्स के बाद।
टेली : जी नही, मुझे अपना फोन नम्बर देने की आज्ञा नही है। अच्छा जी, बाय…
(बीच मे ही काटिए) जीतू: क्यों? आप शिकायत क्यों नही करती, सीनियर मैनेजमेन्ट को?
टेली : किस बात की?
जीतू : कि आपने मानवीय अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। कहिए मै किसी एनजीओ से बात कराऊं आपकी यूनियन की। (एक यूनियन का शगूफ़ा और छोड़ दीजिए)
टेली: नही जी! कोई उल्लंघन नही हो रहा है, हमारे यहाँ यूनियन नही है। हम प्राइवेट सेक्टर मे है।
जीतू :तो क्या हुआ, यूनियन तो हर जगह है, मै भी मेम्बर हूँ फलाना यूनियन का। कहिए तो मै आप लोगो को सहायता करूं।
टेली : नही जी! हम लोग खुद कर लेंगे, आपसे बातचीत करके अच्छा लगा, नमस्कार!
जीतू : देखिए आप तो नाराज हो गयी। मेरा ऐसा कोई उद्देश्य नही था। (अब तो उसका बाप भी फोन नही रख सकता)
टेली : नही नाराज नही, आप पर्सनल लोन मे इच्छुक नही है, इसलिए मुझे फोन रखना पड़ेगा, मुझे और भी काल्स करने है।
जीतू : जरुर करिए, मैने कब मना किया है,लेकिन यूं नाराज होकर फोन मत रखिए, मुझे दू:ख होगा कि मैने किसी व्यक्ति को कष्ट पहुँचाया।
टेली: जी नही, ऐसी कोई बात नही है, अब मै फोन रखती हूँ। नमस्कार…
(बात काटते हुए) जीतू: आपने फोन नम्बर तो दिया ही नही? (दोबारा गाड़ी पटरी पर लाने की कोशिश करिए)
टेली.: अच्छा जी नमस्कार (झल्लाते हुए), मै फोन काट रही हूँ।
जीतू :अच्छा जी, नमस्कार, अच्छा ठीक है लेकिन मुसकाराकर फोन काटिए।
टेली: जी अच्छा, (जबरदस्ती मुस्कराते हुए)नमस्कार!
जीतू : नमस्कार
(और फोन कट जाता है)

इस तरह से आपके पन्द्रह मिनट तो कटे ही, साथ ही इन टेलीमार्केटिंग वालों को भी बहुत अच्छा सबक मिल जाता है। अब वो कन्या आपको हजार गालियां ना निकाले तो कहना। वो हजार गालियां निकाले या अपने बाल नोच नोचकर अपनी जॉब को कोसे, आपका क्या? आपने तो अपना टाइम पास कर लिया और इनको सबक सिखा दिया। तो फिर तैयार है ना, इन लोगों की कॉल्स झेलने को।

इस लेख का टोपो आइडिया इस लेख से मिला

21 Responses to “टेलीमार्केटिंग वालों की काट”

  1. अच्छा! तो अब बातचीत करने के लिये भी आइडिये की जरूरत होती है?हमें कोई फोन क्यों नही करता ! इतना सब बताने के बजाय अपनी कोई पोस्ट पढ़कर सुना देते तो
    वह दुबारा कभी फोन नहीं करती।

  2. वाह जी वाह, यह तरीका वाकई काम करता है, इस बात की तसदीक मैं कर सकता हूँ, मैंने भी यह तरीका कई बार आज़माया है जब समय होता है और ऐसी कोई कॉल मेरे पास आ जाती है। सही टाईमपास होता है, कई बार तो मैं दोस्तों के साथ होता हूँ तो स्पीकर-फ़ोन चालू कर बात करता हूँ, दोस्तों का भी मनोरंजन होता है!! 😀

  3. नीरज दीवान on अगस्त 23rd, 2006 at 8:25 am

    पंद्रह मिनट तक झेलने का क्या मतलब?हिन्दुस्तान आकर खाली हो गए थे क्या जीतू भैया? भई, मुझको पर्सनल लोन वाला फ़ोन आता है तो कहता हूं कि मैडम, फ़िलहाल तो दो-चार सौ रुपए दे दीजिए. बाक़ी बाद में.

    वैसे ट्राय ऐसे कॉल्स वालों पर लगाम कसने के लिए नियम-क़ायदे लाने जा रहा है. देखते हैं कब हमें राहत मिलेगी इन लोगों से.. तब तक तो ऐसी ही खुराफ़ात कर निपटाना पड़ेगा कॉल करने वाली गल्स को !!

  4. बहुत सही, जीतू भाई. भारत मे काफी तहलका मचा कर आ रहे हो. क्या तरीका निकाले हो….

  5. हा 🙂 अच्छा पकादिया उस बेचारी को आपने – तरीका बढीया है – यहां भी ऐसे लोगों की कमी नही, बार बार फोन करके तंग करते हैं – अब मुझे आप ही का आईडिया अपनाना है 🙂

  6. बहुत बढ़िया
    वैसे हम ये तरीका कई बार अपनाते रहे हैं!

  7. अरे! क्या तरकिब बताई हैं. अब तो ऐसे कॉल जो कम से कम दिन में चार बार तो आते ही हैं, हैलो सुनते ही हम अपना रटा-रटाया हिन्दी का वाक्य “जी हमें किसी भी लोन या क्रेडीटकार्ड की आवश्यक्ता नहीं हैं धन्यवाद” कहते हुए फोन काट देते थे.
    अब आप वाला सुझाव भी आज़माएंगे.
    🙂

  8. बहुत पकाया बेचारी को। आपका नंबर तो अपने डेटा से निकाल ही देगी। अगलॊ कॉल करने की हिम्मत जुटाने के लिये कई घंटे लगे होंगे बेचारी को।

  9. हा हा..

    अमेरिका में यह समस्या अब काफ़ी हद तक सुलझ चुकी है (सरकारी ‘डू-नॉट-कॉल सूची’ आने के बाद), पर कभी बहुत बड़ी महामारी थी. हालाँकि मोबिल-फ़ोन फिर भी इससे बचे थे. साइनफ़ेल्ड यहाँ का एक बहुत ही लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम था. उसकी एक कड़ी में उसके मुख्य चरित्र साइनफ़ेल्ड का एक टेलीमार्केटर को दिया यह जवाब देखें:

    “फ़ोन करने का शुक्रिया. पर मैं अभी ज़रा व्यस्त हूँ. क्या आप मुझे अपने घर का नम्बर दे सकती हैं?.. ओह, आप अपने घर पर बिज़नेस कॉल्स पसंद नहीं करतीं? मैं भी नहीं करता, बाय.”

    लोगों ने और भी कितने ही तरीके निकाले थे. दूसरी भाषा में जवाब देना, हर जवाब में केवल ‘यस’ बोलते जाना, वगैरह. पर सबसे अच्छा तरीका है कि सरकार अमेरिका जैसी ही कोई ऑप्ट-आउट (निर्गम-विकल्प?) सूची/योजना बनाए और लागू करे.

  10. आईडिया तो बढ़िया है पर मैं ऐसा नही करना चाहता क्योंकि सामने वाला तो अपनी नौकरी कर रहा है और आपको परेशान करने की पोलिसी तो कंपनी की है ना कि टेलीमार्केटर की। बिचारों की नौकरी वैसे ही तनावपूर्ण होती है कुछ लोग उन्हे इंसान मान के व्यवहार करें तो शायद कुछ अच्छा लगे। यद्यपि कंपनियों के खिलाफ नियम लगवाने में हमे ढील नही छोड़नी चाहिये क्योंकि समस्या का हल तो तभी होगा, ऐसे नही।

  11. वैसे तो मै आशीष जी से सहमत हूं, लेकिन इसी तरह की सहानुभूति दिखाने के चक्कर में कई बार धोखा खा चुका हूं, इसीलिये अब बहुत ही रुखाई से एक वाक्य में मना कर देता हूं।

  12. बहुत अच्छे जनाब ! काफी हँसाया आपने 🙂

  13. गुरूजी मजा आ गया, क्या दूर की कड‌ी लाये हो। अगली बार तक याद रहा तो ऐसा ही कुछ करने का है।

  14. आशीष गुप्ता की बात सही है – ज़रा गौर करें

  15. प्रभात टन्डन on अगस्त 25th, 2006 at 5:30 pm

    सर जी,लडकियों के मामले मे बडे अनुभवी लगते हो।
    प्रभात

  16. Bahut acha idea laga jitu ji.in sab problems ko jhelna bhi kafi padta ha jab bhi india jana hota ha.apki ray pasnd aai.ab to auro ko hi hamko jhelna padega.

  17. वाह भैया आप की पोस्टें एवरग्रीन होती हैं, आज कई महीनों बाद पढ़ रहा हूँ, लेकिन एकदम ताजी और मजेदार।

    आगे से आपके तरीके का ध्यान रखेंगे जी। 🙂

  18. Idea achchhi hai par main to ladki hun usse baat karne me mujhe kya inerest aayega.. 🙂

  19. very nice and interesting. i enjoyed it very much

  20. मुझे यहाँ चेन्नई में अधिकतर वैसे लोग फोन करते हैं जिन्हें हिंदी नहीं आती.. सो उनसे हम आराम से हिंदी में बतियाते हैं.. 🙂
    अगर गलती से उन्हें हिंदी आती है तो फिर भोजपुरी या मैथिलि प्लान B के तौर पर हमेशा उपलब्ध रहता है.. 😉

  21. लो हमने दोबारा यह पोस्ट पढ़ ली इतने साल बाद, पढ़कर पुनः मज़ा आया। लेकिन मामला ऐसे नहीं निपटता, यह आज़माकर देख चुके हैं। इन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इनको पता होता है कि इनके साथ ऐसा व्यवहार भी हो सकता है, इसलिए ये लोग इस सबके लिए तैयार होते हैं (मोस्ट ऑफ़ द टाइम्स)। अब दिस इस प्लेयिंग ऑन अ होल न्यू लेवल, अब चैन है क्योंकि अब इनकी कॉल परेशान नहीं करती, स्मॉर्टफोन स्मॉटनेस दिखाते हुए फोन बजने से पहले ही काट देता है और लघु संदेश आते ही अपने आप कचरे के डिब्बे में चला जाता है! 😉