हैलो टेस्टिंग चिट्ठा चर्चा

भई, हमें रविवार का चिट्ठा चर्चा लिखने का आदेश किया गया है। अब क्या है ना इत्ते दिनो से चिट्ठा चर्चा लिखा नही, सो हमने सोचा पहले थोड़ी नैट प्रैक्टिस कर ली जाए। अब इस नैट प्रैक्टिस को हम कहाँ संजोते और प्रकाशित करते, घन्टा भर सोचा (हम ऐसे ही सोचते है, कौनो परेशानी?) फिर यह निर्णय लिया कि हम इसे अपने ब्लॉग पर छापते है, इससे दो फायदे होंगे, पहला कि नैट प्रैक्टिस हो जाएगी, दूसरा, ब्लॉग पर छाया सन्नाटा भी दूर होगा। इससे पहले कि हम आगे बढे, और दिनांक ११ अक्टूबर दिन बुधवार के चिट्ठों की चर्चा करें, हम उस दिन के चिट्ठा चर्चक (यही तो बोलेंगे ना) से क्षमा मांग लेते है, काहे? अरे यार उनके फटे मे टाँग अड़ाना हुआ ना, दोबारा लिखकर, इसलिए। तो भाई, अतुल अरोरा जी, गुस्सा मत होना। अच्छा जी अब हम शुरु करते है।


दिनांक ११ अक्टूबर दिन बुधवार


दिन का आगाज हुआ एक सवाल से, प्रश्नकर्ता है शुभम लाहोटी जी, ये दिल और दिमाग दोनो से सवाल करते है। इनका सवाल है कि “दोहे का मतलब क्या होता है??” इन्होने दो दो प्रश्नचिन्ह लगाए, एक दिल का सवाल दूसरा दिमाग का, समझे? ये पूछते है:

दोहे का मतलब क्या होता है??
ऐसी दो पंक्तियाँ जो कुछ सीख दें अथवा (messagge convey) करें या कोई सी भी दो (rhyming) पंक्तियाँ!!!
जैसे कि दोहावली क्र॰ ३ में श्री बेंगाणी जी ने टिप्पणी करी है “यह तो दोहा बना नहीं”तो यह बात उन्होने किस संदर्भ में कही है??
क्या इसे (दोहावली क्र॰ ३ को) छंद कहा जा सकता है??
कविता और छंद तो शायद एक ही चीज़ है?? अथवा या फिर अलग??

इधर इन्होने सवाल पूछा उधर दन्न से लोगो ने एक नही चार चार जवाब लिख मारे (मारे का मतलब पीटा ना समझा जाए), जवाब कुछ यूं है? ना,ना……. हम नही बताएंगे, आप तो उनके चिट्ठे पर ही जाकर पढो।

इधर मीडिया युग वाले एक जुझारू और साहसी पत्रकार की मौत का गम मना रहे है, पोस्ट अंग्रेजी मे है। भाया हिन्दी मे भी लिखो ना, अब ये तो हमे नही पता कि अंग्रेजी पोस्ट की चर्चा करनी है कि नही, हम तो कर दिए, अब फुरसतिया हड़काएंगे तो देखा जाएगा।

रवि भाई, अपनी चाहत बता रहे है। ये कहते है:

मैं अपनी उस एक ऐसे ‘ऑल-इन-वन’ किस्म के तकनीकी ग़जॅट (उपकरण) की चाहत में मरा जा रहा हूँ जो न सिर्फ मेरा सारा कार्य निपटाने में सक्षम हो, बल्कि दूसरों के भी ढेरों काम कर सके! और, इसमें वास्तविक विस्तारणीयता व परिवर्धनीयता (स्केलेबिलिटी और अपग्रेडेबिलिटी) हो ताकि यह कभी भी पुराना न पड़े – जी हाँ, कभी भी पुराना न हो अन्यथा आज तो मैं कोई भी ग़जॅट खरीदता हूँ, छः महीने बमुश्किल गुजरते हैं और वह चलन से बाहर हो जाता है!

और खूबियों के बारे मे बात करते हुए कहते है….रुकिए, सारा यहीं पढेंगे क्या? रवि भाई के ब्लॉग पर जाइए, और पसन्द आने पर टिप्पणियां भी करिए। साथ ही रवि भाई रचनाकार पर घर की समस्याओं (अब ये घर किसका, हमसे ना कहलवाइए) को चुटकुलों मे बयां कर रहे है:

चुटकुला # 0701
रमेश (अपनी सास से)- आपने तो कहा था कि आपकी लड़की शाकाहारी
है।
सास (रमेश से)- पक्की शाकाहारी है बेटा।
रमेश (सास से) – घर पर तो दो-दो घंटे तक मेरा दिमाग खाती रहती है,
फिर शाकाहारी कैसे हुई?

चुटकुला # 0702
पति (पत्नी से)- पता नहीं, क्यों आजकल रात में मुझे बड़े मीठे-मीठे सपने
आ रहे है?
पत्नी (पति से)- खबरदार जो अब तुमने कभी मीठे सपने देखे। तभी मैं
कहूं कि तुम्हारी डॉयबिटीज बार-बार क्यों बढ़ जाती है।

अकेले कवि, गिरिराज जोशी, अपने कुन्डली गुरु, समीर लाल को कुछ कहना चाहते है। ये कुन्डली मे ही अपनी बात कहते है:

यगण मगण तगण रगण जगण भवण नगण सगण
हो आठ गण यति गति ज्ञान, तब कहलाए चरण
तब कहलाए चरण, तुकान्त रोला मात्रा हो
चरण भाव-युक्त व मात्रा पूरी चौबीस हो
बुरा फंसा “कविराज” नचायेंगे तुझको गण
कुण्डलिया बाद में सिखना पहले मगण-यगण

अब क्या है ना एक फुरसतिया का कविता पाठ ही नही झिलता था, फिर हाइकू और अब कुन्डलियां, चलो जी, झेलने की प्रैक्टिस करते है।

चैन्नई से राजेश भाई, बता रहे है कि कम्प्यूटर पर लिखकर नोकिया फोन द्वारा संदेश कैसे भेजें

आलोक भाई, शून्य पर सरकार द्वारा ब्रान्डबैन्ड पर जजिया कर लगाने की बात करते है तो अपने ब्लॉग पर सांभा गब्बर संवाद लिख डालें है। मजेदार है पढना जरुर।

नारदमुनि को कुछ ब्लॉग्स के फीड एग्रीगेशन पर दिक्कत आ रही है। उधर शोएब प्लेन गिनने का नया काम शुरु किए है। कुछ कविताएं भी लिखी गयी है, जिनको समझने मे हमारा हाथ थोड़ा तंग है। उन्मुक्त पूछ रहे है माँ को दिल की बात कैसे बताएं?

कीबोर्ड के सिपाही आजकल कीबोर्ड एक किनारे पटककर नाड़ी पकड़कर मर्दानगी का इलाज कर रहे है। शर्तिया इलाज, एक बार मिल तो लें।पहले पहल तो वो बता रहे है कि मोटापे से जाए मर्दानगी। अब ये कितना सच है ये तो डा. साहब ही जाने। अब पता नही इन्हे क्या सूझी कि फिर गांधीगिरी पर उतर आएं।

अनुराग एक वीडियो दिखा रहे है मलेशिया पर जरुर देखिएगा। नए चिट्ठाकार दीपक (आई आई टी रुड़की से) अपने ब्लॉग चिंतन कण पर लिखते है:

एक सुबह जब सोकर जगा तो मन में प्रश्न आया कि जीवन में कितनी ‘दूर’ आ गया हूँ उत्तर तो खैर मिलना था नहीं, मगर एक बात समझ में आ गई कि ‘दूरी’ केवल लम्बाई ही नहीं बतलाती, यह समय के बीतने को भी दर्शाती है.

अपने कुन्डली किंग उड़नतश्तरी ने वीर रस की कविता देश लगे शमशान लिखी है। यह कविता सामयिक मुद्दो पर कटाक्ष करते हुए कहती है :

मानवता का वह हत्यारा
क्यूँ तेरी है आँख का तारा
उसको जीवन-दान दिला के
तूने किसको है ललकारा.

अपडेट : देखा गलती हो गयी ना, इसलिए तो कहते है नैट प्रैक्टिस बहुत जरुरी है। कुछ चिट्ठे छूट गए थे, अब जोड़ रहा हूँ। प्रियंकर भाई ने भी कविता लिखी है, लेकिन थोड़ी थोड़ी समझ मे आ रही है। उधर लखनवी को समस्या का तो समाधान मिला, लेकिन उनको भी समस्या गोरे को आउटसोर्स करनी पड़ गयी। क्या जमाना आ गया है, गोरे इधर आउटसोर्स करते है, लखनवी उधर। अमां यार उधर का माल इधर करो, इधर का माल उधर नही।

वन्दे मातरम वाले स्वाधीन भाई, इन्दौर के बढते विकास को दर्शा रहे है अपने लेख में। स्वाधीन भाई, अब इन शहरों की ही बारी है। इन्दौर, लखनऊ, भोपाल, नागपुर। इस दशक मे ये शहर विकास के नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे।

और जाते जाते, नितिन व्यास के बादाम चोरी हो गए है।

अच्छी टिप्पणिया: अगली बार लिखेंगे। आज सारी टिप्पणिया नही देखी।
कविता : अपना हाथ तंग है।
फोटो : बादाम वाली सही है।
आज का फ़ड्डा : अरे वही, कोई लुच्चा मेरे नाम से कमेन्टिआ रहा है, जगह जगह। नामाकूल, इत्ता फालतू है तो ब्लॉग काहे नही लिखता, बिला वजह कमेन्ट लिख लिख कर सबको परेशान कर रहा है। ब्लॉग लिख, इत्ते दिनो से ताला लटकाए हो, भूल गए हो तो सारी जानकारी यहाँ पर है

8 Responses to “हैलो टेस्टिंग चिट्ठा चर्चा”

  1. जीतू भाई,
    आपने पूंजी बाजार (poonji.wordpress.com) पर मेरी प्रविष्टी का जिक्र भी नहीं किया उधर आपका डुपलीकेट वहां अपनी टिप्प्णी मार कर भी गया।

  2. जीतू भाई, हमे रविवार और आपकी असली पारी(बैटिंग या बालिंग?)का इन्तजार है!

  3. बड़ी समस्या है भैया – यह डबल रोल के चक्कर में हम भैया कंफ्यूजिया गये हैं। अब यह नहीं पता कि यह टेस्टिंग किसने लिखी है – उस वाले डाँन ने जो “ये मेरा दिल प्यार का दीवाना” वाला गाना सुनता है या कि वह वाला डाँन जो “खाइके पान बनारस वाला” गाना गाता है।

    फिलहाल तो यही गाना गूंज रहा है “अरे दीवानों मुझे पहचानो कहां से आया मैं हूं कौन?”

    बाद में मामला इस बात से तय किया जयेगा कि किसके बायें कन्धे पर तिल है।

  4. गुरू ! हमारे चिट्ठे की ताज़ा पोस्ट(११-१०-०६)लांघ कर कर डाली सबकी चर्चा . अरे ऐसा जुलुम ना कर मेरे यार . हम भी तेरे दर पर आए हैं , दस्तक दे रहे हैं और थोड़ी नज़र-ए-इनायत चाहते हैं . क्या मैं भी गालिब के साथ सुर से सुर मिला कर कहूं कि ‘आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक’
    और ‘कौन जीता है तेरी जुल्फ़ के सर होने तक’. नैक सो हिंअंउं चितै लेओ दद्दा ! ऐसो गज़ब ना करौ .

  5. हूँ, नेट परेकटीस तो ठीक ही हैं, अब इतवार को भी देख लेंगे फिर कोमेंट करेंगे. अभी कुछ कहना मुश्किल हैं. फिर डुपलीकेट का मामला भी टिपणी करने से रोक रहा हैं. मुआ लिखे कोई और टिपणी खाए कोई.

  6. जीतू भैयाः
    अब रविवार को अपनी फाइनल बैटिंग दिखाऊ
    वैसे इस सेमि फाइनल मे भी चिट्ठा चर्चा मज़ेदार रही।

  7. वाह भाई, नेट प्रेक्टीस में ही फोड गये, अब तो रविवार का इंतजार लगवा दिया है.

  8. चर्चायें चिट्ठों की कर लें, याकि लिखें चिट्ठा खुद अपना
    अपनी आदत में शुमार है, दोनों की ही राहें तकना
    चौकस नजर लिखे जब लेकर पैनी कलम हाथ में अपने
    टूट रहेगा जो भी देखे, खुली आँख से दिन में सपना