बस सोचिए और साइट हाजिर
अभी पिछले दिनो मैने बुकशैल्फ़ के बारे मे बात की थी, कि आप अपनी बुकशैल्फ़ कैसे दूसरों को दिखा सकते है, तब ऐसी ही बात उठी थी कि क्यों ना ऐसी ही कोई साइट फिल्मों के बारे मे भी हो, सोचो और चीज हाजिर, लो जी पेश है फ़्लिक्सटर।
फ़्लिक्सटर मे आप अपनी पसन्द की फिल्म मे प्रिव्यू और रिव्यू पढ सकते है, आप अपना रिव्यू लिख भी सकते है, फिल्म की रेटिंग बता सकते है। और तो और आप उस फिल्म के बारे मे अपनी लोकल कम्यूनिटी भी बना सकते है। अभी सुना है काफी सारी बड़ी फिल्म स्टूडियो इसको खरीदने की होड़ मे लगे हुए है, देखिए कब तक ख़बर आती है बिकने बिकाने की।
अपने से क्या, आइए फिर देर किस बात की है, बात करें फिल्मों की फिक्सटर पर। काश! ऐसी साइट हिन्दी मे भी होती तो,मजा आ जाता है ना?
अभी इस पोस्ट को लिख रहा था कि एक और जबरदस्त साइट का पता चला, नाम है कन्वींस-मी वैसे इसका नाम होना चाहिए था, कि आओ भिड़ें। इस साइट पर आप फेस-टू-फेस वार्तालाप, सॉरी वाद-विवाद कर सकते है। मजेदार है, मजा लेने के लिए जरुर देखिएगा।
पक्के जुगाड़ी हो भईया, जोर मारो हिन्दी में भी बन जाएगा। फिलहाल तो आपके दिए लिंक ट्राई मारते हैं।
जीतू भाई, वर्डप्रैस के कुछ ब्लॉगों पर जैसे हिंदनी, गिरिराज जी के ब्लॉग पर, देबाशीष दा की नुक्ताचीनी पर जब टिप्पणी करने जाते हैं तो नाम, ईमेल और जालस्थल पता सेव रहता है, जिससे बार-बार डालना नहीं पड़ता।
आपके चिट्ठे पर ऐसा जुगाड़ नहीं हो सकता क्या। टिप्पणी करने में आसानी रहती है।
लगता है आज आपके स्पैम कोतवालों को नींद आगई है, टिप्पणी फटाफट हो रही है। 😛
🙂 सोचे तो कुछ और टाईप का थे और हाजिर हुई यह साईट. घोर अफसोस!!! 🙁
यहाँ भी ऐसा होता है, मुझे अपना नाम आदि नहीं डालना पड़ता। यह खूबी वर्डप्रैस सॉफ़्टवेयर के कारण है जो कि आपका नाम आदि कुकी में जमा रखता है। आपके ब्राऊज़र में किसी दिक्कत के कारण यहाँ इस ब्लॉग की कुकी सेव नहीं हो रही होगी।