अरे! ऐसे कैसे चलेगा?
अब आप ही समझाइए इन्हे। अपने गुप्ता हलवाई हो बेचारे गश खाकर गिर पड़े है। सुना है दिल्ली मे सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया है जिसके अनुसार दिल्ली की फुटपाथ पर बिकने वाले खुले सामानों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लग जायेगा। इसका मतलब ये हुआ कि यदि इसको सख्ती से लागू किया गया तो आप सड़क किनारे बिकने वाले समोसे, छोले-कुलचे,छोले-भटूरो और पराँठों तक को तरस जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जिसको भी बेचना है पैक करके बेचो, अब कुलचे वाला यदि पैक करके बेचेगा तो जगदीश भाटिया साहब खाएंगे? जो मजा गरमा गरम समौसे मे है, या ताजे तले भटूरों मे है वो मजा पैक किए हुए खाने मे कैसे आएगा? मुझे तो सबसे ज्यादा चिन्ता अमित गुप्ता की हो रही है, बेचारे की हैल्थ गिर जाएगी। ना जाने कितने लोगों की रोजी रोटी छिन जाएगी। अपना नेहरू प्लेस तो वीरान हो जाएगा। हम खुद जब तक दिल्ली मे रहे, लंच के लिए कभी तकलीफ़ नही हई, कुल्चे छोले मिल जाते थे, नही तो कंही भी निकल जाओ, खाने पीने की कभी दिक्कत नही होती थी। लेकिन लगता है ये सब बीते दिनों की बातें हो जायेगी।
अब शामत बेचारी शीला दीक्षित सरकार की आएगी, वैसे ही सीलिंग वाले मुद्दे पर लोग इनके खिलाफ़ थे, अब सारा महकमा खोमचे वालों के पीछे पड़ जाएगा। बेचारी शीला दीक्षित। खैर कुछ भी हो, अगले कुछ दिन टीवी न्यूज चैनलों को मसाला जरुर मिलेगा।
समस्या तो गम्भीर है.
हुम्म…मुझे तो इसमें विदेशी ताकतों का हाथ लगता है, जो चाहते हैं कि भारत का युवा ताजे पके खाने के स्थान पर बासी खाना खा कर कमज़ोर हो जाये.
वैसे विदेशी फ़ास्ट फ़ूड कम्पनियों की साजिश भी हो सकती है ताकि उनकी बिक्री बढ़े! 😉
भैया अब तो दिल्ली में मॉल्स और के एफ सी ही बचेंगे। रोशन दी कुल्फी और परांठे वाली गली के परांठे भूल ही जायें।
सिनेमा की जगह मल्टीप्लेक्स और दुकानों की जगह मॉल्स और बड़ी कम्पनियों के रिटेल आउटलेट्स।
बड़ी परायी परायी सी लगने लगी है साड्डी दिल्ली 🙁
मन हट गया दिल्ली आने का. ;(
जीतू भाई, याहू में वर्डप्रेस और ब्लोगस्पॉट के अलावा सब में ‘इजाजत नही है’ का error मैसेज आ रहा है, जिन भाई ने आपको मेल किया था उन्हे रिप्लाय करके बता दीजिये
ना जी, अपनी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला, क्योंकि ऐसी किसी बात का अंदेशा अपने को बहुत पहले से था इसलिए बहुत पहले से ही खोमचे वालों से खाद्य पदार्थ लेने लगभग बन्द कर दिए थे!! 😉 😛
जीतु जी, मजा आ गया बोले तो, क्या धांसु पोस्ट लिखी है । वाकई में अगर दिल्ली बदल गई तो जाने क्या होगा !
ह्म्म जीतु भाई चिंता खोमचे वालों कि ज्यादा है या खाने वालों की.. जो भी है इनके बिना तो मज़ा नहीं आने वाला।