अनुगूँज मे भाग लें।

साथियों,
काफी समय के अन्तराल के बाद अनुगूँज फिर से आपके सामने प्रस्तुत है। इस बार अनुगूँज का आयोजन कर रहे है, तरुण भाई, जो निठल्ला चिंतन करते है। इस बार का विषय है, हम काहे बताएं, आप खुद ही यहाँ जाकर देखो ना।

Akshargram Anugunj हमारे कई नए साथियों को पता नही होगा कि अनुगूँज क्या है। अक्सर हम अपने साथी चिट्ठाकारों से किसी विषय विशेष पर उनके विचार जानना चाहते है। हो सकता है किसी मुद्दे पर सभी लोग विचारों से सहमत हो अथवा नही, लेकिन आपको आपके विषय विभिन्न विचारधाराओं को जानने का मौका मिलता है। सभी लोगों के विचारों के सामने लाने के लिए अनुगूँज का मंच प्रदान किया गया है। पहले यह आयोजन पाक्षिक किया जाता था, काफी समय से आयोजन नही हुआ। इस आयोजन के कुछ नियम इस प्रकार है:

  1. आयोजक कोई भी ब्लॉगर बन्धु हो सकता है।
  2. आयोजन की इच्छुक लोग अक्षरग्राम सचालकों से सम्पर्क कर सकते है।
  3. आयोजक सभी चिट्ठाकारों को अपनी पसन्द का एक विषय देता है। और लेख लिखने की अंतिम तिथि की सूचना देता है। इसकी सूचना अक्षरग्राम पर करना जरुरी है।
  4. अक्सर (जरुरी नही) आयोजक विषय की जानकारी देने के लिए पहला लेख लिखता है।
  5. भाग लेने वाले चिट्ठाकार अपने अपने ब्लॉग पर अपना लेख लिखते है। उन्हे लेख मे अनुगूँज का लोगो लगाना अनिवार्य होता है
  6. इसके साथ ही वे आयोजक की सूचना वाली पोस्ट पर टिप्पणी करके अपने पोस्ट का लिंक देते है।
  7. आयोजक सभी अनुगूँज मे शामिल पोस्ट को पढता है।
  8. सभी चिट्ठाकारों के लेखों को, एक समायोजित लेख मे लिखने की जिम्मेदारी आयोजक की है।
  9. इस लेख के बाद वह अनुगूँज आयोजन समाप्त माना जाता है।
  10. इसके बाद कोई दूसरा चिट्ठाकार अनुगूँज के आयोजन करता है, और यह प्रक्रिया अनवरत चलती रहती है।

अनुगूँज के नियम और जानकारी सर्वज्ञ पर भी मौजूद है। पुराने अनुगँज के सभी लेखों को यहाँ देखा जा सकता है। किसी भी प्रकार की असुविधा के लिए मुझसे सम्पर्क किया जा सकता है। सभी चिट्ठाकारों से निवेदन है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या मे अनुगूँज मे सम्मिलित होकर अपने लेखन प्रतिभा का परिचय कराएं।

तो फिर आप शामिल हो रहे है ना इस बार के अनुगूँज में?

4 Responses to “अनुगूँज मे भाग लें।”

  1. जानकर प्रसन्नता हुई.
    जैसे इसबार टैगिंग का सिलसिला सभी ब्लोगरो द्वारा सहर्ष भाग लेने से सफलता से चला वैसे ही अनुगूँज भी सफल रहेगी.
    अनुरोध है, प्रोत्साहन के लिए वरिष्ट जन लिखने की पहल करें.

  2. सभी चिट्ठाकारों के लेखों को, एक समायोजित लेख मे लिखने की जिम्मेदारी आयोजक की है।

    ये वाला चरण समझ नहीं आया। जरा विस्तार से समझाना

  3. पिछले साल इन्हीं दिनों संजय भाई आयोजित मेरे जीवन में धर्म का महत्व और उसके बाद रतलामी जी द्वारा आयोजित चुटकुले के बाद वैसे खास मजा नहीं आ रहा था अनूगूंज में। और बहुत दिनों से इन्तजार भी था मैं आजकल में इस विषय पर अपने चिट्ठे में बात करना चाह ही रहा था कि आपने खुश खबरी सुना दी, धन्यवाद।

  4. तरुण भाई,
    नमस्ते!
    विषय अच्छा चुना है आपने –
    सवाल भी सही दिशा खोजने मेँ उपयोगी साबित होगा –
    ये मेरा मँतव्य है –
    मैँ अपना चिठ्ठा किस तरह” अनुगूं ” मेँ शामिल करूँ ?
    मेरा तकनीकि ज्ञान बहोत ही कम है –
    क्या यहीँ पर मेरे विचार लिखूँ ?
    सुझायेँ ..
    उत्तर की प्रतीक्शा मेँ,
    लावण्या

    –लावण्या