अनुगूँज 23: ऑस्कर, हिन्दी और बॉलीवुड

सबसे पहले तो तरुण भाई से माफ़ी चाहूंगा कि चाहकर भी इस विषय पर समय से नही लिख सका। अव्वल तो मेरे होस्ट ने परेशान किया हुआ था, कई कई बार संचित करने के बाद दोबारा देखो तो पोस्ट उड़ी मिलती थी। आज जाकर कुछ ठीक हुआ है, लेकिन तीन बार का लिखा उड़ने के बाद फिर से लिख रहा हूँ। दूसरा कुछ व्यक्तिगत और व्यवसायिक व्यस्तताएं है आशा है तरुण भाई आप समझेंगे।

अनुगूँज 23: आस्कॅर, हिन्दी और बॉलीवुड
Akshargram Anugunj

सबसे पहले तो मै तरुण भाई को २३वें अनुगूँज को आयोजित करने के लिए बधाई देना चाहूंगा। इस बार का विषय है ऑस्कर, हिन्दी और बॉलीवुड। आइए आगे बढने से पहले ऑस्कर अवार्ड के बारे मे जाने।

ऑस्कर अवार्ड जिन्हे एकाडमी अवार्ड भी कहा जाता है विश्व मे फिल्मी दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। १९२९ मे शुरु हुए इन पुरस्कारों मे सर्वश्रेष्ठ चलचित्र (फिल्म) को पुरस्कार दिया जाता है। शुरु शुरु मे विजेता फिल्मों की घोषणा सार्वजनिक रुप से की जाती थी, लेकिन १९४० के बाद से बाकायदा नामांकन प्रक्रिया को अपनाया जाता है, तो विजेताओं की घोषणा आखिरी वक्त में मंच पर की जाती है। विजेताओं का चयन एक समिति करती है और अपना निर्णय लिफाफों मे बन्द कर देती है। इन लिफाफों को अंतिम समय मे मंच पर ही खोला जाता है। १९५३ से इन पुरस्कारों का टीवी पर प्रसारण शुरु हुआ, जो आज तक जारी है। मूलत: इसमे हॉलीवुड की फिल्मे ही शामिल की जाती थी, लेकिन बाद मे इसमे अन्य भाषा की फिल्मों को भी शामिल किया गया।

भारत और ऑस्कर पुरस्कार

भारतीय फिल्म उद्योग यानि बॉलीवुड विश्व से सबसे ज्यादा फिल्मे बनाता है, जिनमे से आधी से ज्यादा पिट जाती है, जाहिर है की फिल्में तो तकनीकी स्तर इतनी बेकार और फूहड़ होती है कि दर्शक उसके लिए पैसे खर्च करना ही पसन्द नही करता। लेकिन कुछ फिल्मे सचमुच काफी अच्छी होती है, कहानी,पटकथा और फिल्मांकन के लिहाज से। अब यह कहना तो विवादास्पद होगा कि फिल्मे सभी फिल्मे विश्वस्तर की होती है, लेकिन यह जरुर कहूंगा कि काफी फिल्में विश्व की दूसरी फिल्मों से काफी अच्छी होती है। फिर ये फिल्में ऑस्कर पुरस्कारों की दौड़ मे पीछे क्यों रह जाती है।

मेरे विचार से अव्वल तो ये फिल्में सिर्फ़ एक वर्ग विश्व सिनेमा वाले वर्ग मे नामित होती है, जहाँ पर सिनेमा के कई पहलुओं को ध्यान मे रखकर फिल्म चयनित की जाती है। और दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पश्चिमी लोगों का भारत के प्रति रवैया। उन्हे भारतीय फिल्मों मे गरीब किसान, फटेहाल नायक, साधू, मदारी ज्यादा पसन्द आते है। उनकी नज़रों मे तो भारत अभी भी साधू और मदारियों का देश है। यदि हम अपने सिनेमा मे भारत की खुशहाली को दिखाते है तो वे शायद इसे कल्पना की उड़ान मानते है। अब थोड़ा बहुत तो बदलाव आया है, लेकिन अभी भी पूर्वाग्रह तो है ही। एक और महत्वपूर्ण बात है, कहानी से जुड़ाव। पश्चिमी जगत के लोग, लगान,रंग दे बसन्ती और स्वदेश जैसी फिल्मों की कहानी से वैसा जुड़ाव महसूस नही कर सकते, जैसा कि वे द्वितीय युद्द की पृष्ठभूमि पर बनी किसी फिल्म की कहानी से। आप यदि मेरी बात ना माने, तो शेखर कपूर जैसे निर्देशक पश्चिमी मुद्दों से सम्बंधित कहानी पर फिल्म बनाएं, फिर देखिए उसे ऑस्कर वाले हाथों हाथ ना लें तो कहना। आप कहेंगे कि फिर, हमारी फिल्मे विदेशों मे कैसे कमाती है, अरे भई, विदेशों मे फिल्मों का कमाना और फिल्म फेस्टीवल/अवार्डस मे पुरस्कार पाना एकदम अलग अलग चीजे है।

इस मुद्दे पर मै लिखना तो बहुत बड़ा लेख चाहता था, लेकिन समयाभाव की वजह से इसको जल्दी समेट रहा हूँ, (अस्पताल की लॉबी से इससे ज्यादा लिख भी नही सकता)। उम्मीद है पाठकगण बुरा नही मानेंगे। कुछ व्यक्तिगत कारणो से, अगले कुछ दिन (शायद हफ़्ता भर और) मै लेखन स्थगित रखूंगा, मेरा पन्ना जल्द लौटेगा, विश्वास बनाए रखें।

10 Responses to “अनुगूँज 23: ऑस्कर, हिन्दी और बॉलीवुड”

  1. aspatal ki laabi? kya hua? aasha karta hoon sab kushal mangal hoga.

  2. अनुगूंज के लिए आपका यह लेख बहुत अच्छा लगा। अगली अनुगूंज के लिए विषय का प्रस्ताव मैंने कर दिया है।

    आपको रामनवमी की शुभकामनाएँ। भाभी स्वस्थ होकर शीघ्र घर लौट आएँ, यह दुआ करता हूँ।

  3. अस्पताल की लॉबी..आपने तो चिंता में डाल दिया. आशा करता हूँ कोई गंभीर बात नहीं है.

  4. अस्पताल की लाबी ! खुलासा किया जाये!

  5. लेख बहुत अच्छा था लेकिन ये अस्पताल की लॉबी वाला मामला बताओ भाई, आपने तो सबको चिंता में डाल दिया।

  6. संजय बेंगाणी on मार्च 28th, 2007 at 8:27 am

    अरे सरजी, यह क्या लिख दिया आपने, होस्पीटल वगेरे…

    चिंता में डाल दिया है. आशा है कोई गम्भीर मामला नही होगा. जल्द स्वस्थ होंगे ऐसी कामना करता हूँ.

  7. are kya hua tau…

    hospital!!!!!!!

    are you alright???

  8. भैय्या लेख तो अच्छा है लेकिन अस्पताल की लाबी में बैठने की क्या जरुरत आ गई?
    आशा है सब कुशल ही होगा

  9. अरे अस्पताल, सब ठीक तो है ना।

  10. लगान आदि फ़िल्मों से जुड़ाव अवश्य ही महसूस न करें लेकिन यह देखो जी कि अभी तक किन दो भारतीय फ़िल्मों का नामंकन हुआ है, मदर इण्डिया और लगान, और दोनों ही फिल्मों में कुछ तो समानता है जो आपने बताई भी है!! 😉

    आशा है कि अब तो भाभी जी स्वस्थ हो हस्पताल से आ गई होंगी।