ब्लू फिल्मों का कुटीर उद्योग

आजकल तो न्यूज चैनल देखना मुहाल हो गया है, एक चैनल है स्टार न्यूज, इन्होने तो पूरा का पूरा ठेका ले रखा है, कि देश मे जितने भी बलात्कार होंगे उनकी ये क्लिपिंग टीवी पर जरुर दिखाएंगे। अब नाम जागरूकता का हो, या इन्सानियत का ठेका, ये चैनल अपनी क्लिपिंग परोसने के लिए बहाने ढूंढ ही लेता है।

वैसे एक बात तो माननी ही पड़ेगी, भारतीय युवाओं के नयी तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल किया है। मोबाइल मे कैमरा डालते समय नोकिया जैसी कम्पनी ने भी नही सोचा होगा कि इससे भारत मे बाकायदा ब्लू फिल्मों का कुटीर उद्योग चल निकलेगा। देश मे वैसे ही युवा वेल्ले घूमते है, कार किराए पर मिल ही जाती है, गर्लफ़्रेन्ड भी आजकल बनाना उतना मुश्किल नही रहा। सेक्स के बारे मे युवाओं के विचार काफी खुले है। कैमरे वाला फोन तो पिताजी ने पहले ही लेकर दे रखा है। बच्चे जोरशोर से फिल्म निर्देशक बनने की कोशिश कर रहे है। मौज की मौज और कैरियर का कैरियर। जब तक पकड़े नही गए, तब तक मौज, पकड़े गए तो रेप का केस बनना तय है। कभी कभी तो हमे इन युवाओं के हाथों मे कैमरे वाले फोन को देखकर एक कहावत याद आ जाती है ’ बन्दर के हाथ मे तलवार’, आजकल कंही ये लोग इसी को चरितार्थ तो नही करते फिर रहे? एक बात और हमे समझ मे नही आयी, आजकल गाडियों मे ही मौजमस्ती ज्यादा क्यों होती है? हमारे जमाने मे लोग बाग, बन्द कमरे मे छिप छिपाकर ये सब काम करते थे, आजकल का ट्रेन्ड कुछ समझ मे नही आता।

अभी पिछले दिनो झांसी मे चलती कार में एक रेप कांड हुआ, लड़कों ने बाकायदा वीडीयो बनाया, फिर सीडी बनायी, फिर एक बन्दे ने उसको स्टार न्यूज के संवाददाता को टिका दिया, काहे? अबे ये बिकाऊ चीज है, फास्ट मनी, समझे? चैनल ने भी बाकायदा पूरे दिन बाकी खबरें रोके रखी, इसी खबर को टिकाता रहा। अब इस क्लिंपिंग के सामाजिक, आर्थिक, मनौवैज्ञानिक, भौतिक और ना जाने कैसे कैसे पहलू पर विशेषज्ञों (?) की राय ली गयी। पुलिस को भी इन्वाल्व किया गया, पुलिस वैसे तो इन सभी मामलों पर मस्ती से टाइम लेकर काम करती है, लेकिन चूंकि मामला मीडिया का था, फिर बहिन जी सुशासन नारा दिए है इसलिए सभी ने दीवार पर टंगी वर्दी पर चढी धूल को साफ़ किया, पहना और निकल पड़े आरोपियों को पकड़ने। अब पुलिस अगर चाहे तो अपराधी पकड़ा ना जाए, ऐसा हो सकता है भला। इसलिए सारे के सारे आरोपियों को पकड़ा भी गया। चैनल से लेकर, सरकार, पुलिस के अफ़सरो,अर्दलियों ने अपनी पीठ थपथपाई। चैनल की तो निकल पड़ी, उसे बैठे बिठाए टीआरपी का फार्मूला मिल गया। ठीक उसी तरह जैसे इन्डिया टीवी को तान्त्रिक, भूतों के प्रोग्राम दिखाने से टीआरपी का फार्मूला मिला। अब तो स्टार टीवी के संवाददाता, दुनिया जहान की खबरे छोड़कर , सुबह शाम रेप वाले केस की तलाश मे जुटे दिखते है।देश मे मौजूद हर हिन्दी ब्लूफिल्म की क्लिंपिंग को जुगाड़ा जा रहा है, संपादित करके किसी तरह से दिखाने का जुगाड़ किया जा रहा है। अब ये लोग इस कार्य मे जुटें भी क्यों ना, आखिर टीआरपी का सवाल जो है।

लेकिन भाई कोई हमे ये बताए, कि भैया इस देश मे कोई साफ़ सुथरा न्यूज चैनल है क्या? या फिर हम ब्लॉग जगत वाले मिलकर अपना चैनल बनाएं? हम तो पक गए है यार। यही सब देख देख कर। सारे चैनल मनोहर कहानियां, सत्यकथा और आजादलोक बनते जा रहे है, परेशान है तो सिर्फ़ दर्शक। क्या आपको नही लगता कि हमे बिना जांघिया के विज्ञापन वाला, एक साफ़ सुथरा, अप्रायोजित न्यूज चैनल चाहिए, भले ही उसके लिए ज्यादा पैसा देना पड़े। आपको कंही कुछ पता चले तो बताना यार!

29 Responses to “ब्लू फिल्मों का कुटीर उद्योग”

  1. “या फिर हम ब्लॉग जगत वाले मिलकर अपना चैनल बनाएं? …”
    ब्लॉग जगत भी स्टार न्यूज की टक्कर में पीछे नहीं है. 🙂
    देखा तो नहीं, दूरदर्शन शायद बेहतर हो.

  2. सही कहा जीतू भाई, लगता है अब ब्लॉगरों को ही एक चैनल बनाना पडे़गा, सारे के सारे न्यूज चैनल फ़र्जी हो गये हैं… 🙂

  3. लगता है आपने वह ब्रह्मवाक्य नहीं सुना जिसमें तर्क दिया जाता है कि टीवी के पास एक मुंह है इसलिए उसको हमेशा ऐसा कुछ-न-कुछ दिखाना होता है जिससे दर्शक बंधे रह सकें.
    वैसे मैंने टीवी देखना कम कर दिया है और न्यूज चैनलों को टीवी के आखिर में डाल रखा है इसलिए भूले भटके ही उधर जाते हैं. जबसे यह उपाय किया है मन बड़ा पवित्र रहता है. रही बात खबरों की तो अपना काम इंटरनेट और अखबार से चल जाता है. आप भी आजमाकर देखिए. न्यूजचैनल देखने के लिए किसी वैद्यजी ने तो कहा नहीं है. फिर क्यों देखें?

  4. sahi kaha jitu bhai, aajkal consept ki bhari kami ho gayee hai news walon ke paas. bas chatpati khabren hi dhundate rahte hai, varna itana kuch hai dikhane ko…

  5. ऐसा है ताऊ कि यह कुटिर उद्योग सिर्फ भारत मे पनप रहा है ऐसा नही है. विदेशों यह अधिक प्रोफेशनल तरिके से होता है. यहाँ तक कि दुबई और सऊदी अरब में तो शुटिंग भी कई एंगल से की जाती है, ऐसा लगता है. 🙂

    कई ऐसे ब्लोगस हैं जो इस तरह के क्लिपींग्स रखते हैं, लगता है हमारे समाचार चैनलो को इसकी भनक नही लगी. अब तक.

  6. ये तो अच्छी बात है कि अभी भारत के टी वी चैनल वाले इतने अडवांस नही हुये है ,अने वाले दिनो मे ये काम भी खुद कर नयूज देते हुये मिलेगे जी..:)

  7. NDTV कुछ हद तक ठीक है, देखना होता है तब वही देखता हूँ. बाकी….

  8. जैसा देस वैसा भेस.. जैसे लोग वैसी तस्वीर.. रिमोट आपके हाथ में हैं.. ताक़त आपके पास.

  9. अरे भई अधिकतर लोगों को यही पसंद आता है तभी तो ये चैनल चल रहे हैं, वर्ना यदि लोग देखने बंद कर दें तो कैसे चलेंगे, टीआरपी नहीं बढ़ेगी!! अभी सुनने में आया कि वो “जनसत्ता” चैनल को किसी विदेशी चैनल ने खरीद लिया है और उसके स्टॉफ़ को बाहर कर ऐसा स्टाफ़ रखा जा रहा है जो ऐसी ही गर्मा-गर्म चटपटी खबरें दिखा सके ताकि कुछ कमाई हो चैनल की!! तो अपना चैनल ले भी आए तो थोड़े दिन में ही नुकसान में चले जाओगे, क्या फायदा होगा? जन-कल्याण के लिए यदि बिना कमाई धन लुटाया जाए तो कुबेर का खज़ाना भी खाली हो जाए!!

  10. Aapne sahi kaha bhai. kuchh channel to pharji khabre dikhate hai. til ka tad banane ki kahawat to ye channel wale charitarth kar rahe hai.

  11. मेरा तो खबरी चैनल खोलने का नं. ही नही आता क्योंकि क्लीनिक से लौटने पर रात मे एक टी. वी. पर सास-बहू और दूसरे पर शिनचैन कार्टून के दीवाने जो बैठे रहते हैं . 🙂

  12. इन सब चीजों से बचने का बेहतर उपाय है टी वी न देखना
    मैं तो ऐसा ही करता हूं 🙂

  13. अपुन भी टीवी देखताइच नईँ। खबरें चाहिए तो ऑनलाइल देख/पढ़ लो। 🙂

  14. ऑनलाइल –> ऑनलाइन

  15. मर्ज का इलाज किये बिना यह बीमारी कम नहीं होगी — शास्त्री जे सी फिलिप

    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.Sarathi.info

  16. ब्लॉग जगत वाले मिलकर अपना चैनल बनाएं?

    –क्या उम्मीद लगाये हो??
    फिर फंसोगे बैन सैन के चक्कर में. 🙂

  17. न्यूज़ तो बस एक ही बार देखनी चाहिऐ क्यूंकि एक ही न्यूज़ तो ये सारे चैनल बार-बार दिखाते है।

    वैसे भाई जनों की बातें गौर फरमाने योग्य है।

  18. सही है!

  19. अब इसमें बेचारे ख़बरिया चैनलों की क्या ग़लती है? दर्शकों को ये सब बहुत सुहाता है, तभी तो ऐसे कार्यक्रमों को दिखाने पर टीआरपी बढ़ती है। इसीलिए तो एनडीटीवी की टीआरपी सबसे कम है। अब दुकानकार तो वही माल रखेगा, जो जनता मांगेगी। और जनता इसलिए ये देखना चाहती है क्योंकि अपनी इच्छाओं का दमन कर-करके बेचारे देख कर ही ख़ुश हो जाते हैं। अब क्या ग़लत है? दिक़्क़त तो समाज की जड़ में है।

  20. जीतू जी,
    हमने तो अपना चैनल खोल भी दिया था, जरा अयियेगा देखने, ब्लॉगर ने इसे अब लोक करदिया है, आजकल आवाज़ उठाना इतना आसान नही है इतनी तरक्की के बाद, आपसे निवेदन है कि इस बात को उठाया जाये।
    http://mrindia4u.blogspot.com/

  21. Par baat nikal kar aati hai ki kasoor kiska hai News channel ka ya logo ka, ji haan logo ka kyunki ab woh samchar nahi chahtey woh chahtey hai manoranjan channel ek doosrey par unglee uthay usse pehley aap apne gireban main jhak kar dekhe aur soche ki aap apne band kamrey main kya dekhna pasand kartey hain Bhashan dena kafee asan hota hain par khud ko us jagah rakh kar dekh le aap ke saamne hakikat byan ho jaayegi…………….. baat rahi news ki usse is jagah laane wale bhi log hai aur use sudharne waale bhi…… Ravish kumar (NDTV) mujhe Goenka Award main itne ashay nazar aaye ki unhone India TV ka naam le liya… mere sujhaav aam logo tak ki bhi pahuche is blog ke saahaarey yeh mere prayatan hain

  22. http://myoenspacemyfreedomhindi.blogspot.com/2007/07/blog-post_21.html
    मै जानना चाहती हूँ क्या चिटठा समुदाये मिल कर कोई ऐसी मुहिम शुरू कर सकता है जिसमे हम सब जुड़ कर कुछ सार्थक कर सके । चिटठा समुदाय मे आने के बाद से मैने ये देखा है कि इसमे काफी चिटठे पत्रकार समुदाय के है । क्या वह सब आपस मे जुड़कर किसी मुहिम को आगे ले जा सकते है । या मदद कर सकते है ।
    ऐसा प्रयोग इन्टरनेट समुदाय कर चूका है । जब भी कभी इन्टरनेट पर कुछ प्रॉब्लम होती है वह एक जुट होकर ट्राई को petition देते हें .
    मुझे लगता है हम सब को भी कुछ ऐसा करना चाहिये । आज कल हर न्यूज़ चेंनेल पर इतने advertisement आते है कि टीवी देखना ही बेकार लगता है । हर दिन एक नयी पट्टी दिखती है । ब्रेक इन न्यूज़ , आज का तापमान , आज के ट्रेन timetable , ओर भी पता नहीं क्या क्या । कभी कभी तो न्यूज़ तो दिखती ही नहीं है ।
    पता नहीं ये समस्या कितनी गम्भीर है पर कुछ समस्या तो जरूर है । आप सब कि राय की प्रतीक्षा है ।

  23. jitu dada , ye kya ho gaya hai aapko? balatkaar kee khabaro ka virodh kar rahe hain ?? ek to waise hi anginat balatkar hote hain jo saamne nahi aa paate , upar se jo saamne aa rahe hain unki roshni me kam se kam court kuch sakht kadam to utha raha hai , sarkaar ko sharmindagi to jhelni pad rahi hai. aap kanpur ke hain , aapko to jyada achchi tarah se pata hoga ki gharon me rishtedaar hi ladkiyon se kis tarah se jabardasti awaidh sambandh banate hain. nahi nahi … maine galat kaha , inhe awaidh sambandho ka naam nahi diya jana chahiye , ye bhi balatkaar hote hain. 100 % balatkaar. agar sachchai samne aa rahi hai to usse muh chupane se ya muh chupane ke liye virodh roopi awaran odh lene se kiska bhala ho jayega. haan , ye baat main manta hoon ki star wale ye sab TRP ke chakkar me kar rahe hain lekin anjane me ya jaanboojhkar unse ek nek kaam to ho raha hai. kam se kam un doshiyon kee halat tv par dekhkar baaki ke balatkariyon ke churkhi tight to ho rahi hai. itna hi nahi , ladkiyon aur mahilaon me bhi ye bhavana aa rahi hai ki balatkaar ka we jamkar virodh kare. use chupaye nahi. jitu dada , thoda sa…meri request hai…thoda sa un masoomo ke baare me sochiye jo ek clipping ko dikhane ke baad balatkariyon ke vahshat se bach jaati hain….

  24. Saans bahu dekhne se toh accha hai kam se kam Jitu bhai.. Baaki khaali baithe news channelo ko naya kaam milne par badhai..

  25. Dear,
    i was searching to write in hindi, but sorry to write here in English, yeah u are right, this all channels are becoming senseless day by day, they even dont know the meaning of humanity, showing a nude girl on a tv is a business, not a news !!

  26. मेरा नाम दीपक राय है on अगस्त 28th, 2008 at 1:26 pm

    सहि बोला जित्तु भै तुम तो आसथा और सनसकार हि देखो।

  27. jitu y to tum hi jano.but youa bhi rong nhi h. y sub fasan ka kmal h.

  28. yeh samachar baki smacharo se schhe he. Baki samachar kisi n kisi pax ke feover me dikhaye ja te hen aap ko eddit kar ke matlab nikal na padta he socho bhi mat ki is dhanbal ke yug men chenal desh ke bare men kuch sochhege

  29. sir ji news chanel kholenge to vaise hi ho jayenge