भारत में इन्टरनैट प्रयोग करने के खतरे

आज एक खबर पढी कि कैसे एक तकनीकी गलती, एक कम्पयूटर प्रोग्रामर को जेल की हवा खिला गयी। ये खबर किसी और देश की नही, बल्कि अपने भारत देश की है। बैंगलौर मे रहने वाले एक कम्पयूटर प्रोफ़ेशनल, लक्ष्मणा जो कि नामी कम्पनी मे काम करते है और अपने रोजमर्रा के जीवन मे कम्पयूटर का अच्छा खासा इस्तेमाल करते है। इनको पिछले साल 31 अगस्त, 2007 को महाराष्ट्र पुलिस के 6 जवान इनको इनके बैंगलौर वाले आवास से उठाकर ले गए और इनको पुणे जेल मे डाल दिया गय। वजह? वजह ये कि किसी व्यक्ति ने आरकुट कम्यूनिटी पर शिवाजी महाराज के बारे मे अपशब्द लिखे, किसी सज्जन ने पुलिस को बताया। पुलिस ने तहकीकात की और इस गलत काम करने वाले  बन्दे का आई पी एड्रेस ढूंढने के लिए एयरटेल को बोला। एयरटेल ने जो आईपी एड्रेस दिया वो लक्ष्मणा का निकला। नतीजा, पुलिस ने बिना ज्यादा तहकीकात किए, इन पर आईपीसी दफ़ा 295 और आईटी एक्ट सैक्शन 67 लगाकर इनको बुक कर दिया और पुणे जेल भेज दिया। एयरटेल और पुलिस ने अपना काम कर दिया। ये बेचारे बिला वजह जेल मे अन्य कैदियों के बन्द रहे, वो ऐसे अपराध के लिए जो इन्होने कभी किया ही नही।

 

लेकिन बाद मे पता चला कि एयरटेल ने गलत आईपी एड्रेस दिया था। अभी तो इनको और भी दिन जेल मे रहना पड़ता, लगभग 50 दिनो इनके चाहने वालों की प्रार्थनाएं रंग लायी और असली अपराधी पकड़े गए और तब जाकर लक्ष्मणा के रिहा होने का रास्ता साफ़ हुआ। पुलिस से जब कारण पूछा गया तो उन्होने एयरटेल के आईपी वाले कागज को सबूत बनाकर, इनको बुक कर दिया। एयरटेल वालों से पूछा गया तो उन्होने कहा कि तकनीकी गलतिया हो सकती है, पुलिस को सिर्फ़ इसी को सबूत ना मानकर, अपनी आगे की तहकीकात करनी थी। अब लक्ष्मणा ने एयरटेल और महाराष्ट्र पुलिस  पर २० करोड़ का मानहानि का मुकदमा ठोंक कर दिया। ये घटना कई अनुत्तरित सवाल खड़े करती है:

  1. किसी निर्दोष को पचास दिनो तक जेल मे बंद करना वो भी बिना किसी ठोस सबूत के, क्या ये सब जायज है?
  2. क्या हम छदम डेमोक्रेसी मे रह रहे है?
  3. क्या ये हादसा चीन की घटनाओं की याद नही दिलाता?
  4. लक्ष्मणा की जगह हममे से कोई और भी हो सकता था, क्या इन्टरनैट प्रयोग करना गुनाह है?
  5. क्या किसी और की गल्ती की सजा की वजह से कल को हममें से किसी एक भी जेल की हवा खानी पड़ सकती है?
  6. क्या इन्टरनैट पर कुछ भी बेबाकी से कहना/लिखना गुनाह है?
  7. क्या अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की बात करना बेमानी है?
  8. आईटी एक्ट की धाराएं कड़ी करके, पुलिसिया तंत्र के हाथ मे दे दिया गया है, जिसको आईटी की अकल तक नही, क्या ऐसे मे इसका दुरुपयोग नही होगा?

आपका क्या कहना है इस बारे में?

लक्ष्मणा की पूरी दास्तान और उसका साक्षात्कार यहाँ पर देखिए

12 Responses to “भारत में इन्टरनैट प्रयोग करने के खतरे”

  1. मुझे पढ़्ते वक्त पहले एक ही डर हुआ… कही ये हादसा मेरे साथ ना हो…..

    भगवान जी बचाये ऐसी व्यवस्था से

  2. महाराष्‍ट्र पुलिस और एयरटेल ने जो गलती की उसके लिए मानहानि का मुकदमा जो किया गया वह अपनी जगह सही है लेकिन एक निर्दोष को जो मानसिक पीड़ा भोगनी पड़ी उसका क्‍या। क्‍या एयरटेल के कर्ताधर्ता सुनील भारती खुद इस सजा को भोगने के लिए तैयार हैं। क्‍यों नही एयरटेल वालों ने अपने कर्ताधर्ता सुनील भारती का ही आईपी दे दिया ताकि उनका मालिक तो जेल चला जाता और कर्मचारी मजे करते। इस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। कल ये तो मेरा आईपी नंबर देकर मुझे बर्बाद कर सकते हैं। सभी इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को इस कंपनी को लिखित शिकायत करनी चाहिए और कोर्ट में घसीटना चाहिए। पुलिस ने लगता है जल्‍दबाजी में कार्रवाई की लेकिन अब उल्‍टी पड़ी गई होशियारी।

  3. ह्म्म, यह घटना हम सभी को चेताती है कि हम इंटरनेट का प्रयोग करते हुए किसी भी पल सुरक्षित नही है। गलती कोई भी करे लेकिन बदले मे हम ही निपट सकते हैं।

    अपने शहर के सायबर थाने का जो हाल देखता हूं उसे देखकर तो यही लगता है कि भगवान ही मालिक है।

  4. जीतू भइया, बिल्कुल सही फरमाया आपने। यह अभाग्य है इस देश का। बिना गलती के किसी को कैद में रखना कहां तक सही है। क्या गुजरी होती लक्ष्मणा पर। ऐसे पुलिसवालों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए जो बिना छानबीन किए कुछ भी कर गुजरते हैं। और कंपनी (एअरटेल) भी पूरी तरह से जिम्मेदार है।

  5. हर दिन अपनी खैर मनाओ…और क्या?

  6. और कोढ़ में खाज यह है कि एयरटेल के आईपी डायनामिक होते हैं, यानि हर बार लॉगिन करने पर बदल जाते हैं!! मेरे हैथवे के केबल कनेक्शन वाले से पहले मुझे स्टैटिक आईपी प्राप्त था लेकिन उसने भी अब यह बंद कर दिया!! मैं तो प्रतीक्षा में हूँ कि कब एयरटेल वाले स्टैटिक आईपी देने शुरु करें और कब मैं वह लूँ।

  7. ओह! बीएसएनएल के आईपी का क्या हाल है? मुझे तो हर बार बदला नजर आता है।

  8. बिल्कुल सही अमित जी। मैने भी एयरटेल का कनेक्शन लिया है और यही देख कर परेशान हूँ। वैसे जीतू जी ऐसे मुद्दे को सभी मीडिया मे जोर-शोर से उठाने की जरूरत है ताकि कोई बेगुनाहो को फसाने की हिमाकत नही करे।

  9. यह खबर तो मैंने भी पढ़ी थी । मैं इस खुशफहमी में हूँ कि ना पुलिस ना मुझे आइ टी का कोई ग्यान है । सो शायद मुझ जैसे आइ टी अनपढ़ लोगों को बक्श दिया जायेगा ।
    घुघूती बासूती

  10. क्या इससे ये सिद्ध नहीं होता कि भारतीय कम्पनियों में काफी मात्रा में ऐसे लोग काम कर रहे हैं जिन्हें ठीक से लॉगफाइल्स भी देखना नहीं आता? हम न सिर्फ छद्म लोकतंत्र में रह रहे हैं, बल्कि इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी के छद्म नेता भी बने फ़िर रहे हैं।

  11. निशांत बाबू बात छद्म नेता होने की नहीं है। यह सारी समस्या ही इसी से हुई है कि यहाँ आईटी बूम आया और हर ऐरा गैरा नत्थू खैरा चला आया यहाँ बहती गंगा में हाथ धोने। बढ़ती माँग और मैनपॉवर की कमी के कारण कंपनियाँ दसवीं फेल लड़कों को(जिन्हें कंप्यूटर ऑन करना नहीं आता) पकड़-२ एक-दो महीने की ट्रेनिंग दे नेटवर्क आदि के काम में लगा रही हैं। चाय की दुकानों की भांति आईटी ट्रेनिंग की दुकाने वैसे ही बहुत खुली हुई हैं जो दो-दो हज़ार रूपए में थोक के भाव आईटी प्रोफेशनल निकाल रही हैं! 🙂

    यह तो मेरे से पूछो कि मैंने कैसे-२ चमन लोगों को प्रोजेक्ट मैनेजर और टीम लीडर बनते देखा है सिर्फ़ फट्टों के ज़ोर पर। प्रोग्रामिंग का क ख ग नहीं पता और टीम लीडर बनते देखा है अच्छी खासी कंपनियों में!! 😉

  12. kya kahate hai ese hi meri jaan ko jail jana hai