म्यूचल फंड का फंडा : भाग दो

पिछले लेख मे मैने आपको म्यूचल फंड से सम्बंधित प्राथमिक जानकारी दी थी, लेकिन कई सवाल अनुत्तरित रह गए थे। आइए आज उन कुछ अनुत्तरित सवालों के बारे मे बात करते है।

लेकिन म्यूचल फंड के क्या फायदे है और ये शेयरों से किस तरह से अलग है?

म्यूचल फंड के कई फायदे है, अव्वल तो इसमे आपको कम पूँजी, कम समय और काफी कम तकनीकी जानकारी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा इसमे जोखिम भी (अपेक्षाकृत शेयर बाजार के) कम रहता है। म्यूचल फंड के फायदों को संक्षेप मे इस तरह से बताया जा सकता है:

  1. म्यूचल फंड महंगे शेयरों मे निवेश करने का सस्ता तरीका है।
  2. म्यूचल फंड मे जोखिम कम होता है क्योंकि आपका पैसा किसी एक शेयर मे ना लगाकर, कई शेयरों मे एक साथ लगाया जाता है।
  3. म्यूचल फंड पेशेवर फंड व्यस्थापकों (Fund Managers) द्वारा चलाए जाते है, जिनको शेयर बाजार की काफी अच्छी जानकारी होती है। इनको किसी भी शेयर मे प्रवेश करने और बाहर निकलने के अवसरों का बेहतर ज्ञान रहता है।
  4. म्यूचल फंड हाउस (AMCs) के पास अपनी रिसर्च टीम होती है, इनके पास शेयरों के सम्बंध मे तकनीकी जानकारी और विश्लेषण मौजूद रहता है। कुल मिलाकर इनकी रिसर्च टीम किसी भी निवेशक के मुकाबले शेयर बाजार की अधिक जानकारी रखती है।
  5. छोटे निवेशक का समय और श्रम बचता है।
  6. म्यूचल फंड की गतिविधियों पर सेबी की कड़ी नजर रहती है, इस तरह से छोटे निवेशकों के हितों को अनदेखा नही किया जाता।
  7. म्यूचल फंड मे आप निश्चित अवधि मे आटोमेटिक तरीके से (SIP) से निवेश अथवा निकासी (SWP) कर सकते है।
  8. चूँकि म्यूचल फंड बड़े स्तर पर खरीदारी करते है इसलिए उनको ब्रोकरेज और अन्य खर्चों पर भी बचत होती है।
  9. म्यूचल फंड के निवेश मे काफी ज्यादा पारदर्शिता होती है।
  10. निवेशक को किसी भी प्रकार का निवेश खाता (Demat Account) नही खोलना पड़ता।
  11. निवेशक सही समय पर किसी भी एक स्कीम से दूसरी स्कीम मे जा सकता है।

म्यूचल फंड के नुकसान

दुनिया मे कोई ऐसी चीज नही जिसके फायदे हों और उसके नुकसान ना हो। म्यूचल फंड मे भी कुछ नुकसान हो सकते है, उदाहरण के लिए:

  1. म्यूचल फंड हाउस के खर्चों पर निवेशक का नियंत्रण नही रहता।
  2. निवेशक को अपनी पसन्द के शेयर खरीदने(Customized Portfolio) का आप्शन नही रहता। निवेशको को म्यूचल फंड की किसी स्कीम को ही चुनना होता है।
  3. म्यूचल फंड की सही स्कीम का चुनाव करना भी एक टेढी खीर है।

म्यूचल फंड किस तरह से बाजार मे पैसा लगाते है।

म्यूचल फंड, अपने निवेशको द्वारा प्रदान किए गए पैसों को एक जगह एकत्रित करते है और उस फंड से शेयर बाजार मे खरीद फरोख्त करते है। चूँकि फंड हाउस काफी बड़े स्तर पर खरीद फरोख्त करते है इसलिए इनको बाजार के उतार चढावों का अच्छा ज्ञान होता है। सही समय पर शेयरों मे खरीद बिक्री की जाती है और आने वाले नफ़े-नुकसान को उसी एकत्रित फंड मे रखा जाता है। म्यूचल फंड कम्पनिया अपने खर्चो को इसी फंड से निकालती है। म्यूचल फंड के निवेश को सार्वजनिक किया जाता है और प्रतिदिन फंड को अपनी नैट एसैट वैल्यू (NAV) अर्थात हर यूनिट का खरीद और बिक्री मूल्य प्रकाशित करना होता है। इसी मूल्य पर निवेशक, म्यूचल फंड मे अपना निवेश और निकासी कर सकते है। नैट एसैट वैल्यू से किसी भी फंड के स्वास्थ्य की जाँच की जा सकती है। निवेशक को यह अधिकार है कि वह किसी भी समय अपना पैसा लेकर फंड से बाहर निकल सकता है।

क्या सेबी ने म्यूचल फंड हाउस पर कुछ नियमावली जारी की है?

अच्छा सवाल। एक निवेशको को यह सवाल जरुर पूछना चाहिए। सेबी सभी फंडो पर नज़र रखता है और समय समय पर नए दिशा निर्देश भी जारी करता है।सेबी ने फंड हाउस के लिए निम्नलिखित नियमावाली जारी की है।

  • सभी म्यूचल फंड हाउस की स्थापना भारतीय ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत होगी और इन फंड कम्पनियों को पेशेवर लोगों द्वारा चलाया जाएगा।
  • इन फंड हाउस का निर्दॆशकों का एक बोर्ड होगा।
  • प्रत्येक फंड हाउस की न्यूनतम पूँजी 5 करोड़ (Five Crores) होनी चाहिए।
  • फंड हाउस के ट्रस्टी और चलाने वाले अलग अलग व्यक्ति (संस्था) होने चाहिए।
  • प्रत्येक फंड हाउस को सेबी से अनुमति लेना आवश्यक है।
  • फंड हाउस को अपनी हर योजना को सेबी के पास पंजीकृत कराना अनिवार्य है।
  • फंड हाउस अपने लाभ का कम से कम 90% अपने निवेशकों मे बाँटना आवश्यक है।
  • इसके अतिरिक्त समय समय पर सेबी द्वारा प्रदान की जाने वाले दिशा निर्देशों का पालन अनिवार्य है।

म्यूचल फंड की योजनाए किस प्रकार की होती है?

म्यूचल फंड की योजनाए मुख्यत: दो प्रकार की होती है।

असीमित अवधि वाले फंड (Open Ended Funds)

इस प्रकार के फंड सभी के लिए खुले हुए होते है। निवेशक जब चाहे फंड मे निवेश अथवा विनिवेश(निकासी) कर सकते है। म्यूचल फंड निवेश के लिए प्रवेश शुल्क (Entry Load) लेती है और कभी कभी विनिवेश के लिए निकासी शुल्क(Exit Load) लेती है।

सीमित अवधि वाले फंड (Closed Ended Funds)

इस प्रकार के फंड मे निवेश की सीमा की अवधि तक निवेशक को इस फंड मे बने रहना होता है। निश्चित अवधि के उपरान्त ही निवेशक अपना पैसा इस फंड से निकाल सकता है।

  • म्यूचल फंड कितने प्रकार के होते है?
  • म्यूचल फंड के खर्चे किस प्रकार के होते है?
  • एक निवेशको को म्यूचल फंड मे निवेश करते समय क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
  • म्यूचल फंड की किसी भी स्कीम का चुनाव कैसे करें?
  • किस तरह के फंड मे निवेश करें?

इस बारे मे बात अगली बार करेंगे। इंतजार करिए अगली कड़ी का….

नोट: मेरा यह लेख मोलतोल पत्रिका पर पूर्व प्रकाशित हो चुका है।

7 Responses to “म्यूचल फंड का फंडा : भाग दो”

  1. thanks 4 valuable gyan

  2. mutual fund ke raste share market me pravesh karke uski sabhi jankari bhi dena sir , please

  3. Dear Sir,

    thanks for valuable knowledge sir have u written any book regarding share market and MF.

  4. thank you jitu sir give me some mutual found information.give me any time mutual fouond informatin on my mobile 09575758090

  5. thanx for expln

  6. sir mare pass 60 thousend hai mai mutual funds mai rupess invest karna chata hu . you inform me best mutual funds , my salary 10000 par month hai . mai sip mai invest karu . ya mutual funds mai . aur mai long tarm ( kam say kam 3 years ) invest karna chata hu . you tell me best solution .

  7. sir i ask ki main 5 thousand se share market me shuruat krna chahtha hu…..kya ho ho jayega