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सड़क पर हमारा व्यवहार

Tweet आज बहुत दिनो बात लिखने का मौका मिला है, चलो जी जित्ता हो सके निबटा लिया जाए। आजकल तो पढने लिखने का मौका ही मिलता, क्या करें, तीन तीन प्रोजेक्ट सर पर है, सबको निबटाना है। एक अकेली जान, हैरान परेशान क्या क्या करूं, इसलिए ब्लॉगिंग बैक बर्नर पर चली गयी है। खैर जनाब […]

09/09/2009 यानि एक साल और कम

Tweet आज 09/09/09 है। यानि कि नौ सितम्बर दो हजार नौ। एक ऐसा दिन जो दोबारा मेरी जिन्दगी मे नही आएगा। वैसे आज का दिन कुछ खास भी है, क्योंकि आज के दिन ही मै पैदा हुआ था। अब कितने साल का हो गया, ये मत पूछना, मै शरमा जाऊंगा। वैसे दिल से तो मै […]

मेरा पन्ना के पाँच साल पूरे

Tweet लीजिए जनाब, मेरे हिन्दी ब्लॉग मेरा पन्ना के इसी सप्ताह पाँच साल पूरे हो गए। ये पाँच साल कब गुजर गए पता ही नही चला। पाँच साल के जीवन काल मे मै ब्लॉगिंग के विभिन्न चरणो से गुजरा। नव ब्लॉगर से उत्साही ब्लॉगर, उत्साही ब्लॉगर से स्थापित ब्लॉगर, अच्छी कमाई करने वाला ब्लॉगर होते […]

ठलुआ पार्टी

Tweet आप लोग पूछेंगे ठलुआ क्या होता है? ठलुवा बहुत विस्तृत शब्द है, ठलुआ मतलब बिना काम काज वाला बन्दा। वैसे तो अपने हिन्दी ब्लॉगजगत मे भी ठलुआ ब्लॉगर हुए है, जो बड़े शान से अपने आप को ठलुआ कहलाते है, ये बात और है कि अपने (ब्लॉग के) नाम के अनुरुप, व्यवहार नही कर […]

बहती नाक, खिसकती निक्कर

Tweet लगता है ये हफ़्ता, बचपन की यादें सप्ताह होकर रहेगा। बचपन की यादों मे जब भी गोते लगाओ, काफी मजा आता है। इसी बहाने वर्तमान की परेशानियों से कंही दूर हँसता खिलखिलाता बचपन याद करके हम तरोताजा हो उठते है। सच है कितना अच्छा था अपना बचपन। सभी लोगों की बचपन की कुछ खट्टी […]

जरुरी सूचना : होस्टिंग सर्वर की समस्या

Tweet साथियों, मेरे होस्ट, जिस पर मेरा पन्ना साइट होस्टेड है, के हार्डवेयर मे कुछ दिक्कत आ गयी थी। इसी कारण साइट  दो दिन डाउन रही। अब होस्ट ने साइट तो चालू कर दी है, लेकिन बैकअप कुछ पुराना है। नतीजा ये हुआ कि बचपन सीरीज के पिछले तीनो लेख गायब हो गए। साथ ही […]

रीठेल : मोहल्ले का प्रेम प्रसंग

अब जब रीठेल का मौसम चल ही रहा है तो हमने भी बहती गंगा मे हाथ धोना सही समझा। लीजिए पेश है, चार साल पूर्व (नवम्बर 2004) लिखा हुआ मेरे एक लेख का रीठेल। अब आप इसे मौके की नजाकत कहिए या समय की मांग, बढते ब्लॉगरों और घटते ब्लॉगिंग समय के कारण, अब रीठेल जरुरी हो गया है। तो जनाब आज हम आपको रुबरु कराने जा रहे है, हम अपने मोहल्ले के एक प्रेम प्रसंग से। ऐसे प्रेम प्रसंग हर मोहल्ले मे होते है, लेकिन हर मोहल्ले मे हमारे जैसे शैतान बच्चे नही हुआ करते थे। आप भी देखिए और पढिए हमारे बचपन की शैतानियों से भरे इस मोहल्ले के प्रेम प्रसंग को। वैसे तो इस प्रेम प्रसंग के सभी पात्र वास्तविक है, अलबत्ता हमने उनके नाम बदल दिए है, ताकि हमे जूते ना पड़े, फिर भी आप इसे मस्ती के लिए पढिए, इवेस्टीगेशन के लिए नही।

निन्यानवे के फेर मे हम भी…

Tweet बहुत दिनो से कोई खेला नही खेला था, टैगिंग भी बन्द है, ब्लॉगिंग तो बहुत दूर हो गयी। तो आजकल हम कर क्या रहे है? अरे भई, ऑफिस के काम से थोड़ा समय मिलता है तो कभी कभी माइक्रो ब्लॉगिंग (एक लाइना) कर लेते है। आपको देखना है तो इधर देख लेना, भाषा की […]

काफी दिनो बाद, रिलेक्स हूँ

Tweet सचमुच काफी दिनो बाद कुछ कुछ रिलेक्स महसूस कर रहा हूँ। आज अपनी मर्जी से दस बजे के बाद उठा, सब कुछ अच्छा अच्छा सा लग रहा है। इतने दिनो मे तो मै देर से उठना ही भूल गया था। इन सभी बदलावों का कारण ये है कि मुझे अपनी वार्षिक छुट्टियों के बचे […]

हमारे बहाने और मिर्जा के उलहाने

पिछले बहानेबाजी वाली पोस्ट लिखी तो मिर्जा ने एक बैठक रखी और सारे बहानों का पोस्टमार्टम किया है।सो इसे देखा जाए और भरपूर मजा लिया जाए इस पोस्टमार्टम पोस्ट का।