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बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी

Tweet ये नज्म पेश ए नज़र है मेरे एक अनाम दोस्त को , जो आज मेरी यादों मे है.इसका अंग्रेजी अनुवाद उन साथियों के लिये है, जो हिन्दी नही पढ पाते, यह अंग्रेजी अनुवाद मैने एक ब्लाग से उठाया है, अब ये कितना सही है, इसका फैसला आप करें. तो जनाब पेश है वो नज्म […]

कोई ये कैसे बताए

Tweet कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा क्यों है वो जो अपना था वोही और किसी का क्यों है यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों है यही होता है तो आख़िर यही होता क्यों है एक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो पकड़ले दामन उसके सीने में समा जाए हमारी धड़कन इतनी […]

गजल की पैरोडी

Tweet अब जब गजलों की बात चल ही रही है, तो हम भी अपनी बात रख दे तो हुआ जनाब यों कि आज इन्टरनेट पर ब्लाग पढते पढते हमने भी एक गजल की पैरोडी पढी, एक भाई के अंग्रेजी ब्लाग पर. आपने जगजीत सिंह की यह गजल तो सुनी ही होगी… ये दौलत भी ले […]

तुम आओ तो सही….

Tweet तुम को हम दिल में बसा लेंगे तुम आओ तो सही सारी दुनिया से छुपा लेंगे तुम आओ तो सही एक वादा करो अब हम से न बिछड़ोगे कभी नाज़ हम सारे उठा लेंगे तुम आओ तो सही बेवफ़ा भी हो सितमगर भी जफ़ा पेशा भी हम ख़ुदा तुम को बना लेंगे तुम आओ […]

मुझको यक़ीं है….

Tweet मुझको यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं जब मेरे बचपन के दिन थे चांद में परियां रहती थीं इक ये दिन जब अपनों ने भी हमसे रिश्ता तोड़ लिया इक वो दिन जब पेड़ की शाख़ें बोझ हमारा सहती थीं इक ये दिन जब लाखों गम़ और काल पड़ा है […]

ज़ख्म़ जो आप की इनायत है..

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चांद मद्धम है आस्मां चुप है …

Tweet चांद मद्धम है आस्मां चुप है नींद की गोद में जहां चुप है दूर वादी में दूधिया बादल,झुक के परबत को प्यार करते हैं दिल में नाकाम हसरतें लेकर,हम तेरा इंतज़ार करते हैं इन बहारों के साए में आ जा,फिर मोहब्बत जवां रहे न रहे ज़िन्दगी तेरे ना-मुरादों पर,कल तलक मेहरबां रहे न रहे […]

मैं ख़याल हूं किसी और का….

Tweet मैं ख़याल हूं किसी और का, मुझे सोचता कोई और है सर-ए-आईना मेरा अक्स है, पस-ए-आईना कोई और है मैं किसी के दस्त-ए-तलब में हूं, तो किसी के हऱ्फ-ए-दुआ में हूं मैं नसीब हूं किसी और का, मुझे मांगता कोई और है कभी लौट आएं तो न पूछना, सिऱ्फ देखना बड़े गौ़र से जिन्हें […]

साफ़ ज़ाहिर है…..

Tweet साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं मुंह से कहते हुए ये बात मगर डरते हैं एक तस्वीर-ए-मुहब्बत है जवानी गोया जिस में रंगों की इवज़ ख़ून-ए-जिगर भरते हैं इवज़:instead of इशरत-ए-रफ़्ता ने जा कर न किया याद हमें इशरत-ए-रफ़्ता को हम याद किया करते हैं इशरत-ए-रफ़्ता:happiness of the days gone by […]

चांदनी छत पे चल….

Tweet चांदनी छत पे चल रही होगी अब अकेली टहल रही होगी फिर मेरा ज़िक्र आ गया होगा वो बऱ्फ-सी पिघल रही होगी कल का सपना बहुत सुहाना था ये उदासी न कल रही होगी सोचता हूं कि बन्द कमरे में एक शमा-सी जल रही होगी तेरे गहनों सी खनखनाती थी बाजरे की फ़सल रही […]