Tweet अनुगूँज 24: हिन्दुस्तान अमरीका बन जाए तो कैसा होगा – पाँच बातें लो जी, आलोक भाई तो बहुत ही फास्ट निकले, अभी आधा घन्टा पहले ही अनुगूँज की बात उठाए थे, अभी दन्न से अनुगूँज का आयोजन भी कर डाला, बहुत ते ही फास्ट है भई। तो भैया आज का विषय है अगर अपन […]
अगस्त 1st, 2007 | Posted in Uncategorized | 12 Comments
Tweet सबसे पहले तो तरुण भाई से माफ़ी चाहूंगा कि चाहकर भी इस विषय पर समय से नही लिख सका। अव्वल तो मेरे होस्ट ने परेशान किया हुआ था, कई कई बार संचित करने के बाद दोबारा देखो तो पोस्ट उड़ी मिलती थी। आज जाकर कुछ ठीक हुआ है, लेकिन तीन बार का लिखा उड़ने […]
मार्च 27th, 2007 | Posted in Uncategorized | 10 Comments
Tweet साथियों, काफी समय के अन्तराल के बाद अनुगूँज फिर से आपके सामने प्रस्तुत है। इस बार अनुगूँज का आयोजन कर रहे है, तरुण भाई, जो निठल्ला चिंतन करते है। इस बार का विषय है, हम काहे बताएं, आप खुद ही यहाँ जाकर देखो ना। हमारे कई नए साथियों को पता नही होगा कि अनुगूँज […]
फरवरी 27th, 2007 | Posted in Uncategorized | 4 Comments
Tweet अनुगूँज रवि भाई, आप घबड़ाना नही, अब हम आ गया हूँ, बस कुछ दिन की मोहलत दी जाए, ताकि हम नए पुराने कुछ चुटकुलों को एक जगह परोस सकें। शुरुवात के लिये पेश है कुछ सुने सुनाए चुटकुले। १. पंजाब के एक रेलवे स्टेशन पर एक सरदारजी दौड़ते हुए स्टेशन मास्टर के पास आए, […]
जुलाई 16th, 2006 | Posted in Uncategorized | 9 Comments
Tweet टैगः anugunj, अनुगूँज अनुगूंज 18: मेरे जीवन में धर्म का महत्व सबसे पहले तो संजय भाई को बहुत बहुत बधाई, इस बार के अनुगूँज के आयोजन के लिये। संजय भाई ने विषय भी बहुत सही चुना है। मेरे जीवन मे धर्म का महत्व। काफ़ी विवादास्पद विषय है, हर व्यक्ति की धर्म की परिभाषा अलग […]
अप्रैल 5th, 2006 | Posted in Uncategorized | 21 Comments
Tweet अनुगूँज १६: (अति)आदर्शवादी संस्कार सही या गलत? मिर्जा साहब, हमारे राजनीतिक सलाहकार है। कुवैत मे है, ये हमारे लिये वरदान और श्राप दोनो है, वरदान इसलिये कि इनसे अच्छा इन्सान दुनिया मे नही दिखता, दोस्ती निभाने मे दिन और रात नही देखते।श्राप ऐसा कि अपनी बात थोपने मे कोई कोर कसर नही छोड़ते। ना […]
दिसम्बर 15th, 2005 | Posted in Uncategorized | 4 Comments
Tweet अनुगूँज १६: (अति)आदर्शवादी संस्कार सही या गलत? (इस लेख मे कुछ कड़वे शब्द होंगे, कृप्या पढने मे सावधानी बरतें) सबसे पहले तो अपने ईस्वामी जी का धन्यवाद, इस बार की अनुगूँज के आयोजन का और इतने सुन्दर विषय के लिये। बचपन मे हमे कई बाते सिखाई जाती है जैसे झूठ बोलना पाप है , […]
दिसम्बर 13th, 2005 | Posted in Uncategorized | 4 Comments
Tweet अनुगूँज १५: हम फ़िल्में क्यों देखते हैं? काहे ना देखें? कोई मनाही है का? क्या आपको हमारे चाचाजी ने भेजा है हमे रोकने के लिये? बचपन मे तो चाचाजी ने भरसक प्रयास किये कि हम बच्चे सिनेमा हाल के आसपास भी ना फ़टकने पायें।जब कभी भी फ़िल्म के लिये जिद करते तो खूब डाँट […]
नवम्बर 22nd, 2005 | Posted in Uncategorized | 9 Comments
Tweet अनुगूँज 14: हिन्दी जाल जगत: आगे क्या? सबसे पहले तो आलोक भाई को धन्यवाद, कि वे अनूगूँज के आयोजन के लिये आगे आये. आलोक भाई ने विषय भी बहुत शानदार चुना है. मै अपने विचारो को आसान तरीके से प्रकट करने की कोशिश करूंगा. अब जब हिन्दी की बात आती है तो मुझे एक […]
सितम्बर 21st, 2005 | Posted in Uncategorized | 1 Comment
Tweet हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है । — महाभारत अनुगूँज आयोजन अनुगूँज १३ :संगति की गति महाभारत मे कहा गया उपरोक्त वाक्य सौ प्रतिशत सही है, कैसे? […]
सितम्बर 18th, 2005 | Posted in Uncategorized | 2 Comments