Tweet आजकल हर तरफ जिधर देखो उधर रैनसमवेयर की ही चर्चा है, लेकिन ये है क्या? सभी लोग इस से भयभीत क्यों है? आइये कुछ जानकारी करते है। मै हूँ जीतेन्द्र चौधरी, हर तकनीकी विषय को आपकी भाषा और आपके लेवल पर समझाने वाला, आपका दोस्त, हमदम और मददगार । रैनसमवेयर क्या होता है? पुराने समय में हम […]
मई 16th, 2017 | Posted in विविध | Comments Off on रैनसमवेयर
Tweet सबसे पहले तो आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं, आइए कुछ ब्लॉगिंग से सम्बंधित चुटकुलों की बात करते है: चैट पर एक मित्र और चिट्ठाकार (ब्लॉगर) को कैसे पहचानेंगे? जवाब : सिम्पल है यार! मित्र आपसे घर परिवार की बातें करेगा और ब्लॉगर अपनी पोस्ट के लिंक टिकाएगा। कवि और ब्लॉगर मे क्या […]
नवम्बर 9th, 2007 | Posted in Uncategorized | 15 Comments
Tweet जनाब आज हम बात कर रहे है..अपहरण, फिरौती, डॉन और बीमा कम्पनी…..लेकिन रुकिए, आगे बढने से पहले एक खबर पढ ली जाए, अब बीमा कम्पनियां अपहरण की फिरौती का भी क्लेम देंगी। ये कोई ऐसी वैसी खबर नही है, बल्कि एक नए युग का सूत्रपात है ये, ये एक रिवाल्यूशन है, एकदम टेलीकाम रिवाल्यूशन […]
अगस्त 20th, 2007 | Posted in Uncategorized | 4 Comments
Tweet नही जी, ये किसी कहानी का शीर्षक नही है। लेकिन पिछली हुई एक वारदात मे इन तीनो शब्दों का आपस मे बहुत तगड़ा सम्बंध है। एक चोरी हुई और सजा के तौर पर पुलिस ने चोर को केले खिलाए….नही नही, ये बात कुछ हजम नही हुई। अरे जनाब हजम तो वो चोर कर गया […]
अगस्त 7th, 2007 | Posted in Uncategorized | 7 Comments
Tweet अनुगूँज 24: हिन्दुस्तान अमरीका बन जाए तो कैसा होगा – पाँच बातें लो जी, आलोक भाई तो बहुत ही फास्ट निकले, अभी आधा घन्टा पहले ही अनुगूँज की बात उठाए थे, अभी दन्न से अनुगूँज का आयोजन भी कर डाला, बहुत ते ही फास्ट है भई। तो भैया आज का विषय है अगर अपन […]
अगस्त 1st, 2007 | Posted in Uncategorized | 12 Comments
Tweet इधर गुल्लू मन ही मन सोच रहा था, हाय! हम गोरी चमड़ी वाले क्यों ना हुए। गुल्लू भारी मन से बाहर निकला। जैसे ही वो पंडाल से बाहर निकला, एक मीडिया वाले ने उसे पकड़ लिया और दे दनादन (किस नही बे!) सवालों की बौछार कर दी। लीजिए आप भी झेलिए ये सवाल जवाब। […]
अप्रैल 17th, 2007 | Posted in Uncategorized | 14 Comments
Tweet आप सोचेंगे कि हमे ये क्या हो गया? ये मेरे शब्द नही है, ये गुल्लू के है, गुल्लू बोले तो गुलशन। ट्रक ड्राइवर है, अभी कल ही दिल्ली मे इसको इसका साथी दिलबाग सिंह पकड़कर ले गया था, एक जलसे में। गुल्लू जाना तो नही चाहता था, लेकिन जब उसको पता चला कि शिल्पा […]
अप्रैल 16th, 2007 | Posted in Uncategorized | 10 Comments
Tweet लो जी, हम फिर से हाजिर है। पिछले लेख मे मैने सख्त ताकीद की थी कि इस लेख को कोई मेरी पत्नी को फारवर्ड ना करे, लेकिन जनाब दोस्त तो होते ही इसी काम के लिए है, जिस चीज के लिए मना करो, उसी को करते है। छुट्टन ने चिकन बिरयानी बनायी तो अपनी […]
नवम्बर 20th, 2006 | Posted in Uncategorized | 15 Comments
Tweet मेरे पिछले लेख़ लड़कियॉ क्या चाहें को लेकर कई लोगों ने टिप्पणियां की है, और कई लोगो ने अन्य बाते सुझायी है, इसलिए मैने यह निर्णय लिया है कि इस लेख़ को आगे बढाया जाएगा, आप सभी के सुझावों को ध्यान मे रखते हुए, इसका अगला भाग लिख़ा जा रहा है। आपके पास भी […]
नवम्बर 19th, 2006 | Posted in Uncategorized | 2 Comments
Tweet ये लेख मै विशेष तौर पर उन कुँवारे साथियों के लिए लिख रहा हूँ जिन्होने डन्डा और बांस कर कर के मुझे मेरे अनुभव शेयर करने को बोला। देखो भई, मै शादीशुदा शरीफ़ आदमी हूँ, इस पचड़े मे नही पड़ना चाहता था, लेकिन क्या करूं भाई लोगों से प्यार इस कदर है कि रिस्क […]
नवम्बर 15th, 2006 | Posted in Uncategorized | 48 Comments