Archive for 2004
Tweet एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी ऐसा तो कम ही होता है वो भी हो तन्हाई भी यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगतीं हैं कितनी सौंधी लगती है तब मांझी की स्र्स्वाई भी दो दो शक़्लें दिखती हैं इस बहके से आईने में मेरे साथ चला आया है आप का […]
दिसम्बर 18th, 2004 | Posted in Uncategorized | Comments Off on एक पुराना मौसम
Tweet अनुगून्ज तीसरा आयोजन आतंकवाद से मुख्य धारा की राह जब इस मामले पर लिखने का आदेश हुआ, तो रोज सोचा कि कल लिखेंगे… यह सब करते करते आज आखिरी दिन आ गया, पेपर सब्मिट करने का…. और निबन्ध तो बहुत दूर की बात है, विचारों का अब तक तो कुछ भी अता पता नही […]
दिसम्बर 17th, 2004 | Posted in Uncategorized | 2 Comments
Tweet बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे ये भी पूछेंगे कि तुम इतनी परेशां क्यूं हो उगलियां उठेंगी सुखे हुए बालों की तरफ इक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ चूड़ियों पर भी कई तन्ज़ किये जायेंगे कांपते हाथों पे भी फिकरे कसे जायेंगे लोग ज़ालिम हैं […]
दिसम्बर 16th, 2004 | Posted in Uncategorized | 1 Comment
Tweet बात उन दिनो की है, जब मुम्बई को बम्बई के नाम से ही जाना जाता था. काफी साल पुरानी बात है, कि हमारे एक रिश्तेदार बम्बई से कानपुर किसी शादी मे पधारे… तब मोहल्ले मे किसी के घर भी आया मेहमान, सबका मेहमान होता था, काफी आवभगत होती थी. लोग हालचाल पूछने आते थे, […]
दिसम्बर 15th, 2004 | Posted in Uncategorized | 4 Comments
Tweet गूगल भइया अब आपके ढूंढने मे सलाह भी देने लगे है. जरा यहाँ देखिये http://www.google.com/webhp?complete=1&hl=en जैसे जैसे आप टाइप करेंगे, आपको लिस्ट दिखायेगा, है ना मजेदार चीज?
दिसम्बर 15th, 2004 | Posted in Uncategorized | 3 Comments
Tweet अब मै आप लोगो को क्या बताऊ, इस ब्लागर की बदमाशियां, पहले पहल तो इसने परेशान किया ब्लाग की टिप्पणी को लेकर, फिर ब्लाग की पोस्ट को लेकर, और अब परेशान कर रहा है, पोस्ट को एक्सपोर्ट को लेकर……..ऊपर से तुर्रा ये कि दिन मे दो दो बार डाटाबेस बन्द करते है………ये लोग गूगल […]
दिसम्बर 13th, 2004 | Posted in आपबीती | 4 Comments
Tweet रोशनी के दिल मे बउवा के प्रति प्यार फिर से उमड़ने लगा……लेकिन पहलवान के डर से कुछ लिख नही पा रही थी…….बस सही समय था….तो हम लोगो ने रोशनी की तरफ से बउवा को एक प्रेम पत्र लिखा…..जिसका मसौदा कुछ इस प्रकार था……………… गतांक से आगे. मेरे प्रिय भोलेराम, जब से तुमको देखा है, […]
दिसम्बर 12th, 2004 | Posted in विविध | 5 Comments
Tweet माफी चाहूँगा, कि बउवा के प्रेम पत्र वाला किस्सा अधूरा छोड़ा है….. लेकिन इस बीच कुछ घटनाये हुई, जिस पर लिखने के लिये हाथ मचल रहे है.अभी कल ही दो चार बाते सामने आयी है, जिस पर हमने मिर्जा साहब की प्रतिक्रिया दर्ज की है, पहली घटना था, कि बिहार के हाईकोर्ट ने बिहार […]
दिसम्बर 9th, 2004 | Posted in Uncategorized | 1 Comment
Tweet भाईलोगो ने कुवैत ने नजारों की फरमाइश की है, मैने कुछ फोटो खींची थी..जिनको मै आपको दिखाना चाहता हूँ. कृप्या यहाँ पर क्लिक करें. इस बारे मे आपको सुझाव और आलोचनाये सादर आमन्त्रित है.
दिसम्बर 8th, 2004 | Posted in विविध | 6 Comments
Tweet उस दिन की घटना के बाद वर्माजी ने बउवा को अपने घर पर रख तो लिया लेकिन उस बार ढेर सारी पाबन्दियां लगा दी….. साथ ही ये भी ताकीद कर दी कि मोहल्ले के लड़कों से ना उलझे और किसी भी तरह से पहलवान के घर की तरफ ना जाये. अब यहाँ पर पहलवान […]
दिसम्बर 7th, 2004 | Posted in विविध | 1 Comment