तूने जो न कहा….

अभी पिछले दिनो फिल्म न्यूयार्क देखी, फिल्म अच्छी है, लेकिन आज बात करते है उसके एक गीत की। गीत के बोल है तूने जो ना कहा…..। बहुत ही सुन्दर गीत है। ज्यादा बात ना करते हुए पहले आपको गीत सुनाया जाए।

सुनने के साथ इसके बोल भी गुनगुनाइए तो बहुत अच्छा लगेगा।


तूने जो ना कहा, मै वो सुनता रहा
खांमखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा।
ह्म्म…..ह्म्म………..ह्म्म…।

तूने जो ना कहा, मै वो सुनता रहा
खांमखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा।
जाने किसकी हमे लग गयी है नज़र
इस शहर में ना अपना ठिकाना रहा।
दूर चाहत से मै अपनी चलता रहा
खांमखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा।

गर वो पहले से है ज्यादा, खुद से फिर किया वादा
खामोश नज़रे, रहे बेजुबान।
ह्म्म…..ह्म्म………..ह्म्म…
अब न पहले सी बाते है, बोलो तो लब थरथराते है
राज ये दिल का ना हो बयां।

हो गया कि असर कोई हम पे नही
हम सफर में तो है, हमसफर है नही।
दूर जाता रहा, पास आता रहा
खांमखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा।

ह्म्म…..ह्म्म………..ह्म्म…।

आया वो फिर नज़र ऐसे, बात छिड़ने लगी फिर से
आखों मे चुभता कल का धुंआ।
हाल तेरा ना हमसा है, इस खुशी मे क्यूं गम सा है
बसने लगा क्यूं फिर वो जहा।
वो जहाँ दूर जिससे गए थे निकल।
फिर से यादों मे कर दी है जैसे पहल
लम्हे बीता हुआ, दिल दुखाता रहा
खांमखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा।

तूने जो ना कहा, मै वो सुनता रहा
खांमखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा।
जाने किसकी हमे लग गयी है नज़र
इस शहर में ना अपना ठिकाना रहा।
दूर चाहत से मै अपनी चलता रहा
बुझ गयी आग थी, दाग जलता रहा।


Movie: New York (2009)
Music Director: Pritam Chakraborty, Pankaj Awasthi, Julius Packiam
Lyrics:Sandeep Srivastava, Junaid Wasi

Singer :None other than Mohit Chauhan

मोहित चौहान, कुछ नाम याद आया? जी हाँ ये एक मशहूर बैंड सिल्क रुट के लीड सिंगर थे। इस बैंड का डूबा डूबा रहता हूँ काफी हिट हुआ था। बैंड बन्द होने के बाद मोहित को लगभग भुला ही दिया गया था। ये तो ए आर रहमान का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उन्होने अपनी फिल्म रंग दे बसंती मे मोहित से गवाया। फिर मोहित ने पीछे मुड़कर नही देखा। जब वी मेट का “तुम से ही..” याद है? या फिर गुंचा कोई या फिर दिल्ली-6 का मसकली
। लाजवाब आवाज के मालिक मोहित का सबसे अच्छा गीत मुझे गुंचा कोई लगता है लीजिए आप भी सुनिए। यकीन मानिए, आप भी मेरी तरह मोहित के फैन बन जाएंगे।

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7 Responses to “तूने जो न कहा….”

  1. शाम के समय जब यह पोस्ट पढ़ रहा हूँ, माहौल भी संगीतमय लग रहा है….बादल घीरे हुए हैं…मजा आया. तूने जो ना कहा के बोल सुन्दर है.

  2. अरसे बाद गीत में शब्द सुंदरता से पिरोए हैं.. अच्छा लगा पहली बार जब सुना था..

  3. इसी मोहित को कोई दो वर्ष पहले कुतुब उत्सव के दौरान लाईव सुना था

    ऊपर जो “तूने जो न कहा” का गाना लगाया है वह कहीं से रिकॉर्ड किया मालूम होता है, ओरिजिनल कॉपी नहीं है, बास बहुत है, अकाऊस्टिक भी ठीक नहीं हैं। और यदि ओरिजिनल में भी ऐसा है तो इसमें संगीत देने वाले का हिला हुआ है ऊपरी माला, गाने की वाट लग रही है।

    बाकी नीरज दादा से सहमति है, मोहित ने गाया तो बढ़िया है ही लेकिन काफ़ी अरसे बाद किसी हिन्दी फिल्म के गाने में औकात के शब्द दिखे, अन्यथा नूडल सूप छाप गाने ही नज़र आते हैं। 😉
    .-= amit´s last blog ..आईस एज: डाएनासोरों का उदय =-.

  4. बोल पसंद आये, अच्छा गीत सुनवाने का शुक्रिया!
    .-= Nitin´s last blog ..सेतु | Bridge =-.

  5. इधर के फ़िल्मी गीत-संगीत से सायास कटा हुआ हूं . पर ’तूने जो न कहा’ और ’गुंचा कोई’ — ये दोनों प्रस्तुतियां सुनकर लगा कि नहीं अच्छा और दिलकश संगीत हर समय रहेगा , और तमाम शोर-शराबे के बीच भी आता रहेगा .

    आभार !
    .-= Priyankar´s last blog ..कृतज्ञ हूं मैं …. =-.

  6. अच्छे गीत हैं दोनों ही।
    पहले गीत को एकाद बार सुने तो ठीक है लेकिन ज्यादा देर तक (उसके लाऊड संगीत की वजह से) सुन पाना मुश्किल होता है। बहुत ज्यादा वाद्ययंत्र भी कभी कभी ज्यादा अच्छे नहीं लगते। जबकि गुंचा को बार बार सुना जाये तो भी मन नहीं भरता।
    गुंचा .. वाले गीत को मैं मेरी पत्‍नी और वोफिल्म में भी शामिल किया गया था…
    http://www.youtube.com/watch?v=fsTHApdZpEc

  7. अरे! जे क्या हमारी अंतिम पोस्ट का लिंक दिखा ही नहीं!!
    .-= सागर नाहर´s last blog ..डॉ नौतम भट्ट- एक अज्ञात भारतीय-वैज्ञानिक =-.