पप्पू भइया की इन्डिया ट्रिप

पप्पू भइया को पहला झटका तो कुवैत एयरपोर्ट पर लग ही चुका था….लेकिन उनको क्या पता था कि अभी तो बहुत सारी चीजे उनका इन्तजार कर रही है.आपको तो पता ही है, पप्पू बिहार के प्राणी है, सो सबसे करीबी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट दिल्ली है, उनके लिये……सो सुबह सुबह दिल्ली मे उतरे…दो सवारी,ऊपर से इतना सारा सामान, एयरपोर्ट पर ही कस्टम वालों की नजर मे आ गये…पप्पू ग्रीन चैनेल से निकल रहे थे… कस्टम वाले ने रास्ते मे रोका और पूछा…. टीआर (Transfer of Residence) है क्या? …..पप्पू बोले नही… तो अधिकारी ने कहा… आ जाओ फिर किनारे… किनारे ले जा कर पूछा… क्या क्या लाये हो, अपने आप बता दो, खांमखा सामान क्यो खुलवाते हो… पप्पू पहली बार लौटे थे, सो उनको कुछ पता तो था नही, कि कितना अलाउन्स अलाउड है,पप्पू ने बड़े प्यार से उन्हे बताया कि इलेक्ट्रानिक्स,कास्मेटिक्स और ना जाने क्या क्या है, उनके पास. कस्टम अधिकारी को मोटी मुर्गी लगी.. बोले १०,००० दे दो और निकल लो, बिना कुछ चैक करवाये… पप्पू अड़ गये..बोले नही देंगे.. कस्टम वाले ने समझाया कि अगर कस्टम ड्यूटी लगाई तो १०,०० से ज्यादा बैठेगी… फिर उसको ऊँच नीच समझाई, मिसेज पप्पू बोली दे दो ना.. क्यो खामंखा मे पन्गा लेते हो.. वैसे भी कस्टम वालो से पन्गा अच्छा नही होता…..आखिरकार साढे चार हजार मे सौदा तय हुआ, और कस्टम वाले ने भी इनको टोपी पहना ही दी., अब जब फंस ही चुके थे, तो पैसे देने मे ही भलाई समझी. पप्पू के लिये यह दूसरा झटका था, पहला झटका तो मीठी मुस्कान के साथ लगा था इसलिये जोर का झटका धीरे से लगा था…. इस बार तो सामने कोई सुन्दर बाला नही थी सामने बल्कि मुच्छड़ कस्टम आफिसर था, सो इस बार उन्हे खल गयी.

पप्पू भइया ने टेक्सी ली, नयी दिल्ली स्टेशन के लिये ….टेक्सी वाले ने ढाई सौ मांगे तो पप्पू भइया फिर अड़ गये बोले मीटर से चलेंगे… टैक्सी वाले ने रास्ते मे उनसे पूरा समाचार ले लिया था, इवेन गांव देहात का पता तक नोट कर लिया था….. सारी जानकारी लेने के बाद टैक्सीवाले ने बहती गंगा मे हाथ धो लेने की सोची….और फिर वह उनको जाने कंहा कंहा से ले नयी दिल्ली स्टेशन पर जाकर पटका और मीटर का बिल पूरे साढे तीन सौ का बना… अब लुट तो चुके ही थे… चुपचाप पैसे देने मे ही भलाई समझी… टेक्सीवाला मन्द मन्द मुस्करा रहा था.. बोला साहब मै तो आपको पहले से ही बोल रहा था… अच्छा हुआ आपने मीटर चालू करवा दिया, अब से मै भी फिक्सड रेट पर नही चलाउंगा…. पप्पू ने सामान उतरवाया और रेलवे स्टेशन मे दाखिल हो गये.कुली ने भी उन्हे ठीक से पहचान लिया था, शायद टैक्सीवाले ने हिन्ट दे दी थी… उसने भी जम कर लूटा….

ट्रेन की रिजर्वेशन तो मिल गयी थी….. वो भी टीटी के हाथ गरम करने पर… अटैचियों पर एयरलाइन्स के टैग देखकर टीटी ने भी अपने भाव बढा लिये थे… सो यहाँ पर भी पप्पू भइया को पूरे भारत दर्शन हो गये थे…. पप्पू अपने गांव के करीबी रेलवे स्टेशन पर पहुँचे… घर से लगभग सभी लोग लेने आये थे…….जिस वैन मे लेने आये थे, वो तो पहले से ही भरी हुई थी,अब सामान और पप्पू की फैमिली कहाँ फिट होती… बहुत देर तक एडजस्टमेंट होता रहा.. कोई रास्ता नही निकला…..कोई भी वैन से उतरने के लिये तैयार नही था.. सबको यही डर था कि कोई अगला उसके सामान को रास्ते मे ही ना टिपिया ले, जब काफी देर तक कोई रास्ता ना निकलते देख पप्पू ने ऐलान किया कि ठीक है मै ही बैलगाड़ी मे चला जाता हूँ, तुम लोग घर पहुँचो. अब इतना सुनना था कि सारे लोग वैन से उतर आये और पप्पू भइया के लिये जगह बन गयी… किसी तरह से गांव के रास्तो पर धक्के धुक्के खाते पप्पू भइया घर पहुँचे.. फूल मालाओ और आरती से स्वागत हुआ…. इधर पप्पू का स्वागत हो रहा था, उधर वैन से सामान उतारते उतारते लोग अचरज से बड़ी बड़ी अटैचियां देख रहे थे और मन ही मन अटैचियों के अन्दर के सामान की कल्पना कर रहे थे.सभी को इन्तजार था कि कब अटैचिया खुलें और सामान पर कब्जा होये.

आखिर इन्तजार की घड़ी आ ही गयी जब पप्पू ने गिफ्ट का पहला लाट निकाला , काफी मंहगी महंगी गिफ्ट खरीदी थी, पप्पू और भौजी ने मिलकर.. सबकी पसन्द का पूरा पूरा ध्यान रखा था…. गिफ्ट की वकत समझ मे आये सो प्राइस के स्टीकर नही हटाये थे….खैर जनाब सबको गिफ्ट बांटी गयी… लेकिन कोई भी अपनी गिफ्ट से ज्यादा दूसरे के गिफ्ट मे आंखे गड़ाये था…किसी को भी गवारा नही था कि दूसरा उससे महंगी गिफ्ट ले जाये…इसलिये किसी को भी अपनी गिफ्ट पसन्द नही आयी………सो जनाब चिल्लमपौ तो होनी ही थी… थोड़ी देरे मे ही पप्पू से सामने बहुत सारे प्रपोजल आ गये कि एक एक गिफ्ट काफी नही है… दूसरी गिफ्ट भी दी जाये…पप्पू और भौजी के होंश ही उड़ गये…सारा कैलकुलेशन बिगड़ गया… बहुत समझाया, लेकिन कोई नही माना.. आखिर पप्पू बोलो अटैची खुली पड़ी है, जिसकी जो मर्जी मे आये ले ले. गौर करने वाली बाते ये है कि सबने कई कई गिफ्ट लपकी……. ठीक उसी तरह से जैसे दंगे मे जैसे दुकाने लुटती है,बेचारी अटैचियाँ कब तक झेलती फिर प्रशासन भी तो नही था इस बार…….सबने गिफ्ट लपकी लेकिन इस बार प्राइस टैग का पूरा पूरा ध्यान रखा गया……. लल्ला के हाथ लिपिस्टक का सैट लगा तो छुटकी के हाथ शेविंग किट ………..ताई ने लपकी सिल्क की शर्ट तो ताया बेचारे नाइटी पर सन्तोष कर गये. यह सब बन्दरबाट देख कर हमारे पप्पू और भौजी को बहुत दुख हुआ… दुख माल के लुटने/बंटने का नही था…बल्कि दुख इस बात का था कि लोगो ने इन दोनो की फीलिंगस की ऐसी तैसी कर दी थी.गिफ्ट मिलने के बाद अब दौर आया उसके उपर प्रतिक्रिया देना का दौर…..सबने इम्पोर्टेड गिफ्टस की तारीफ तो की लेकिन कुछ इस तरह से जैसे सीसामऊ बजार(इसे अपने शहर के सस्ते बाजार पढे) मे मिलने वाली चीजे इन सबसे ज्यादा अच्छी हों……लोगो का व्यवहार भी गिफ्ट के पसन्द और नापसन्द आने के हिसाब से था…. पप्पू को बहुत दुख हुआ, पर अब वो कर भी क्या सकता था….कुल मिलाकर लगभग सभी का मुंह फूला हुआ था…. लोगो के प्रतिक्रिया देने के दौर को भौजी झेल नही सकी और उनका गुस्सा फूट पड़ा, सबको छाँट छाँट कर खरी खोटी सुनायी, तब कही जाकर सबका मुंह बन्द हुआ और भड़ास निकालने के बाद भौजी को भी सकून का एहसास हुआ और उनका खाना हजम हो पाया.

भौजी पप्पू से नाराज हो गयी थी, क्योंकि अब भौजी के मायके मे देने के लिये पर्याप्त गिफ्ट नही बची थी…. भौजी ने कुवैत वापस जाने की धमकी दे डाली, तब जाकर पप्पू को आश्वासन देना पड़ा कि कही किसी कस्टम वाली शाप से कुछ खरीदकर, भौजी के मायके मे बाँटेंगे….. खैर बाकी बातो से तो हमारा कोई मतलब नही है… काफी कुछ भौजी ने भी सेन्सर करवा दिया है…. अब पप्पू के ससुराल मे भी इस एपीसोड को दोहराया गया….बस करैक्टर बदले हुए थे….स्क्रीन प्ले वही था. पप्पू और भौजी जो गिफ्ट दूसरे रिश्तेदारो को अपने हिसाब से देने के लिये लाये थे.. पप्पू की सास ने उसमे से भी काफी कुछ झटक लिया था…. यह कहकर कि दूसरो को गिफ्ट देने की क्या जरूरत है ….. पप्पू दम्पत्ति को बहुत बुरा लगा कि उनके रिश्ते और इमोशन्स की रिडेफिनिशन की जा रही थी और उनके अधिकारक्षेत्र मे दखलन्दाजी की जा रही थी. यहाँ भी पप्पू दम्पत्ति को काफी दुख झेलना पड़ा.. ऊपर से पप्पू की सास ने पूछा लिया… कि कोनौ कायेदे की चीज नही मिलती का कुवैत मे…. पप्पू को तो जैसे काटो तो खून नही……..किसी तरह से गुस्सा दबाय गये… बोले आपकी लिस्ट के हिसाब से तो सारा सामान लाया ही हूँ, अब क्या कमी रह गयी है….. सासूजी बोली, जो हमने लिखवाया वो तो ठीक ही ठाक है, लेकिन अपनी मर्जी से जो लाये हो वो आइटम टाप का नही है…… यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि पप्पू ने इस बार समझदारी का परिचय देकर प्राइस टैग हटा दिये थे…जिसको सासूजी अच्छा बोल रही थी वो आइटम हाफ दिनार वाले एवरेज आइटम जैसे ही थे… और जिसको खराब बोल रही थी.. वो सब ब्रांडेड स्टफ था……. और भी कई घटनायें घटी थी इनके इन्डिया विजिट मे, लेकिन भौजी के डर के कारण हम सारी बातें छाप नही सकते…….. आप तो जानते ही हो….वैसे ही धमकी मिल चुकी है…

कुल मिलाकर पप्पू ने कसम खायी कि अगली बार किसी के लिये भी कुछ नही ले जायेंगे……. लेकिन हमें पता है… जब भी दोबारा प्रोग्राम बनेगा, पप्पू वही गलती दोहरायेंगे… पप्पू क्या सभी प्रवासी लोगों की करते है… अब क्या करें फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी………………

3 Responses to “पप्पू भइया की इन्डिया ट्रिप”

  1. दरवाजा खोला तो सामने दो महानुभावो पप्पू भइया और स्वामी को साक्षात सफेद कपड़ […]

  2. वाह भाई वाह, पप्पू भाई के दोनों एपिसोड पढ़े गये..वाकई, गजब लिखे हो.अपनी भी पहली भारत यात्रा याद आ गई.अब तो हम काफी अनुभवी हो चुके हैं मगर फिर भी हर बार कुछ न कुछ तो चोट खा ही जाते हैं

  3. […] हर कथाकार अपने कुछ खास चरित्र बनाते हैं। जीतेंद्र ने भी मिर्जा,छुट्टन,पप्पू,बउआ,छोटू आदि को अपने गैंग में शामिल किया। आजकल दिख नहीं रहे हैं वे ,लगता है कि दोनों में खटपट चल रही है। जीतेंद्र बताते हैं कि छुट्टन के कारण लोग उनको कहते हैं कि किन लोगों का साथ है तुम्हारा। उधर छुट्टन का रोना यह है कि भइया पेट के लिये आदमी को सब कुछ करना पड़ता है,जिस जगह हम अपनी मर्जी से जाना नहीं चाहते वहाँ उछलना कूदना पड़ता है। […]