छुट्टन मिंया की पार्टी

सारा दिन अपने काम मे मशगूल रहे… पता ही नही चला कैसे पार हो गया, शाम आते आते, पार्टी की याद सताने लगी, दिल फिर धड़कने लगा…तभी मोबाइल बज उठा दूसरी तरफ मिर्जा थे… मैने पूछा मिर्जा ये सब पार्टी वार्टी क्या चक्कर है, क्यो अपना भट्ठा बिठवाने मे तुले हो…ज्यादा दीनार कमा लिये हो तो, कुछ इधर भी ट्रान्सफर करो, मेरा इतना कहना था कि. मिर्जा की आवाज मे दर्द आ गया, शायद मैने उनकी दुखती रग पर हाथ धर दिया था. बोले यार क्या बताऊ, मैने कितना समझाया छुट्टन को…. कि ये सब ना कर, फिल्म इन्डस्ट्री का साइज बढता ही जा रहा है, चिविन्गम की तरह से खिंचती जा रही है, कब तक सबका जन्मदिन मनाया जाय… कंही ऐसा ना हो ये सब करते करते अपनी जेब खाली हो जाये. और लोग हमारा मरणदिन भी भूल जाये…….लेकिन छुट्टन,उस नामुराद को तो फिल्मो का ऐसा भूत सवार है, कि किसी की नही सुनता……लालू यादव का भी बाप है… ऊपर से उसको चने के झाड़ पर चढाने वाले ये वीडीयो वाले तो है ही…..हालांकि मैने हाइकमान को भी प्रोटेस्ट किया था.. लेकिन वो भी आंखे मूंदे बैठी है, अब सैया भये कोतवाल फिर डर काहे का… अब यहाँ कोई सुप्रीम कोर्ट तो है नही जो मै स्टे ले आऊँ. मै मिर्जा की व्यथा समझ गया, और ज्यादा कुरेदना ठीक नही समझा. मैने पूछा फोन किसलिये किया था.. मिर्जा बोले यार अपने आफिस के पास वाली दुकान से एक जोड़ी इयरप्लग (हवाई यात्रा के दौरान,शोर से बचने के लिये,कानो पर लगाने वाला लगाने वाला साधन) लेते आना, लेकिन देख कर लाना, जो कान के भीतर सैट हो जाता हो और बाहर से दिखाई भी ना देता हो,मैने पूछा क्यो यार क्या काम पड़ गया इयरप्लग का, मिर्जा ने बोला ले आना फिर समझा दूंगा.अब मिर्जा का आदेश, मैने एक की जगह दो सैट इयरप्लग खरीद लिये, और मिर्जा के घर की तरफ चल पड़ा… अब जब पर पार्टी पर जा ही रहा था तो मेरा भी फर्ज बनता है मेहमान का फर्ज निभाने का, सो मैने बाजार से एक अमिताभ(AB) के नाम वाला परफ्यूम खरीदा…आनन फानन मे उसे छुट्टन के अमिताभ प्रेम को समर्पित किया .. मेरे ख्याल से उससे अच्छा गिफ्ट नही हो सकता था और फिर निकल पड़ा मिर्जा के घर की तरफ.

मिर्जा के घर के बाहर पहुँच कर देखा तो बाहर ही दो वीडियोवाले खड़े, सिगरेट फूंक रहे थे, वही छुट्टन को चने के झाड़ पर चढाने वाले…उनकी बाते सुन कर पता लगा, कि उनको अमिताभ से कुछ लेना देना नही था, बस खाना खाने आये थे. घर के भीतर, छुट्टन ने पार्टी की पूरी तैयारी कर रखी थी, दीवारो पर अमिताभ के फोटो…म्यूजिक सिस्टम पर अमिताभ की फिल्मो के गाने,…… जगह जगह अमिताभ की फिल्मो के पोस्टर और यहाँ वहाँ वीडियो कैसैट और डीवीडी के कवर फैले हुए थे…..एक तरफ बड़ा सा प्रोजेक्शन टीवी रखा था…..पूरा का पूरा माहौल अमिताभ मय था…… कुल मिलाकर अमिताभ की थीम पार्टी का पक्का जुगाड़ था. माहौल देख कर मै भी अमिताभमय हो गया…मैने इधर उधर देखकर मिर्जा और छुट्टन को ढूंढने की नाकाम कोशिश की, मै सीधे किचन मे चला गया.. बड़ी जबरदस्त खुशबू आ रही थी, बड़ी मुश्किल से कन्ट्रोल किया, मिसेज का दिया हुआ टिफिन किचन मे पटका, और बाहर निकलकर मिर्जा के कमरे मे झांका, जब नही दिखे तो तो मै भी ड्राइंगरूम मे आकर सोफे पर पसर गया.मै गाने सुनते हुए मिर्जा का इन्तजार करने लगा….तभी एक एक करके मेहमान आने लगे…..कुल मिलाकर दस बारह लोग थे.सभी को तो मै नही पहचानता था….हाँ कुछ को मैने देखा हुआ था, उनमे से एक थे अपने स्वामीनाथनजी,

आइये इनका भी परिचय करवा दूँ,स्वामीनाथन जी हमारे कौमन फ्रेन्ड है और क्रिकेट के विशेष जानकार है…भले ही बल्ला कभी हाथ मे ना पकड़ा हो.. क्रिकेट की लफ्फाजी करने मे सबसे आगे रहते है. वैसे तमिलनाडू के है लेकिन काफी साल दिल्ली मे बिताये…सो हिन्दी अच्छी बोलते है. लगभग १० साल तक वे दिल्ली के आर के पुरम मे रह चुके थे, अब उनके गांव वाले उनको दिल्ली/यूपी का भइया मानते .. और दिल्ली वाले मद्रासी….दोनो जगह अजनबी थे… बड़े तकलीफ मे थे बेचारे……पिछले आठ सालो से कुवैत मे है और इनके बस दो हो शौंक है, क्रिकेट देखना,उसके बारे मे चर्चा करना और शेयर बाजार मे निवेश करना.बहुत ही मिलनसार बन्दे है. इनकी बात करने के अन्दाज से नही लगता कि ये साउथ इन्डियन है.. हम लोग प्यार से इन्हे स्वामी कहते है.. लेकिन मिर्जा ने इनकी चोक लेने के लिये इनका नाम मद्रासी रखा है…. स्वामी को इस शब्द से काफी चिढ है.स्वामी की बातचीत थोड़ी ही देर मे शेयर बाजार से होती हुई क्रिकेट के मैदान मे पहुँच जाती है.जब तक झिलता है तब तो हम झेलते है. नही तो पतली गली से निकल लेते है या फिर मिर्जा को उन पर छोड़ देते है फिर मिर्जा का गाली गलौच और स्वामी की क्रिकेट कमेंट्री, दोनो आपस मे बिजी हो जाते थे, हमारा काम आसान हो जाता है.

स्वामी भी अकेले आये थे.. मेरे को पता था वो भी टिफिन लाये होंगे, उन्होने मेरे से पूछा कहाँ रखना है, मैने किचिन की ओर इशारा कर दिया.स्वामी की एक आदत बहुत खराब थी, चोरी छुपे खाने की, मिसेज स्वामी कई बार ये बात बता चुकी थी, कि रात मे उठकर स्वामी फ्रिज मे से चाकलेट और हाई कैलोरी वाली चीजे उठाकर खाते है..लेकिन फ्रिज का दरवाजा ठीक से बन्द करना भूल जाते है….. हालांकि यह सब डाक्टर ने खाने के लिये मना किया था.पर अब दिल है कि मानता ही नही… स्वामी किचेन मे चले तो गये, काफी देर हो गयी, मै समझ गया.. अन्दर क्या हो रहा होगा….तभी उन्होने मेरे को वही से आवाज लगायी, मै पंहुँचा तो पया, स्वामी के हाथ मे खजूर का डब्बा था, और स्वामी धकाधक लगे पड़े थे, खजूर को डब्बे से अपने मुंह तक ट्रान्सपोर्ट करने मे.मैने जाकर उनसे डब्बा छीना, बोला यार ये क्या कर रहे हो…कुछ तो लिहाज करो.. मैने डिब्बा वापस फ्रिज मे रखा और स्वामी को हाथ पकड़कर वापस ड्राइंगरूम मे ले आया, रास्ते मे स्वामी ने मेरे को पार्टी का पूरा मेनू कार्ड बता दिया, आखिर उन्होने सारे बर्तनो मे झांककर जो देखा था, शायद चखकर भी.

तभी मेनडोर से मिर्जा अवतरित हूए, हाथ मे बड़ा सा डिब्बा था जो शायद बर्थडे केक का था….उन्होने डिब्बा टेबिल पर रखा और केक कम्पनी को देसी तरीके से झाड़ना चालू किया…बोले साले पचास तो सवाल पूछते है, काम दस मिनट का पूरा एक घन्टा लगा दिया, ऊपर से पार्किंग की प्रोब्लम सो अलग…..बड़ी मुश्किल से बचते बचाते बिना भिड़े निकाल के लाया हूँ, मै समझ गया मिर्जा का मूड केक वालो ने ही खराब किया है, दरअसल केक कम्पनी बर्थडे केक बनवाने पर पर्सनलाइज्ड सर्विस देती है सो बर्थडे बेबी के बारे मे बाते जरूर करते है… और मिर्जा तो आप जानते ही है.. पहले ही चिढे बैठे थे.. ऊपर से ये केक वाले.

अब तक छुट्टन मिंया का कोई अता पता नही था.. तफ्शीश करने पर पता चला छुट्टन मिंया खाना वगैरहा बनाने के बाद से ही बाथरूम मे बन्द है, कुछ बनाव सिंगार मे लगे हुए थे.. मिर्जा ने छुट्टन को आवाज लगायी.. बोले “अबे बर्थडे अमिताभ का है या तेरा.. इतना तो वो भी तैयार नही होता होगा….चल जल्दी से बाहर निकल, अगर मै अन्दर आ गया तो तू बाहर निकलने के लायक भी नही रहेगा”. छुट्टन ने अब तक उनकी बात सुन ली थी, इसलिये चुपचाप बाहर निकल आया.. हम लोग देख कर दंग रह गये.. छुट्टन हूबहू अमिताभ के गैट अप मे था.. वैसी ही ड्रेस,सफेद दाढी… शक्ल पूरी तरह से नही मिलती थी, इसलिये धूप वाला चश्मा लगा लिया था.खैर जनाब हम सब लोगो ने छुट्टन मिंया को बधाई दी…मुफ्तखोर वीडियोवालो ने छुट्टन मिंया की शान मे कसीदे पढे, कुछ ने उनको अमिताभ का सच्चा भक्त बताया, किसी ने पंखा, कुछ ने अमिताभ का छोटा भाई, वगैरा वगैरा, छुट्टन मिंया ने अमिताभ के पोर्ट्रेट पर अगरबत्ती जलायी…आलमोस्ट पूजा के तरीके से आरती वगैरहा परफार्म की… हमको क्या किसी को भी यह सब नही झिल रहा था लेकिन क्या करे… पापी पेट का सवाल था, और घर पर भी खाने का जुगाड़ नही था,इसलिये डटे रहे…छुट्टन मिंया ने अमिताभ की शान मे भाषण दिया, और बाकायदा उनकी फिल्मो के डायलाग भी बोले……..छुट्टन मिंया ने अब केक की तरफ रूख किया… चलने का अन्दाज बिल्कुल अमितजी वाला था… उन्होने केक काटा… मिर्जा ने भी मदद की… वो भी इसलिये ताकि केक के बड़े हिस्से उन मुफ्तखोर वीडियोवालो के हिस्से मे ना चले जाये.मिर्जा को छुट्टन के ये मुफ्तखोर दोस्त कतई पसन्द नही थे,खैर जनाब सबने केक गटका और दुबारा बधाई दी..

मिर्जा अड़ गये कि अब तुरन्त खाना लगाया जाये.. क्योंकि दिन मे भी खाना ठीक से नही खाया था, छुट्टन मिंया के कुछ और ही इरादे थे, बोले इस बार फिल्म नही देखेंगे,हमे लोग अमितजी के गाने देखेंगे… सभी को ये सस्ता सौदा लगा… तुरन्त सब राजी हो गये..मै बोला गाने चलते रहे तब तक स्टार्टर्स तो लगवा दो.. छुट्टन मिंया ने पूरी तैयारी कर रखी थी… तुरन्त किचेन मे गये.. और कबाब,पकौड़े,स्प्रिंगरोल,पापड़ और दूसरे स्टार्टर्स की प्लेटे लेकर हाजिर हुए, जब वो प्लेटे ला रहे थे ,तो लगातार स्वामी को तीखी नजरो से घूरे जा रहे थे…हम समझ गये स्वामी ने इन प्लेटो के माल को भी कुछ कुछ चखा है, अब स्वामी की तो यह आदत ही थी, खैर प्लेटे लग गयी… और हम सभी लोग गिद्द भोज मे शामिल हो गये…..सबकी यही कोशिश थी तो सामने वाला उससे ज्यादा ना खा पाये.आखिरकार प्लेटे भी कब तक सस्टेन करती.

सो मामला खात्मे तक पहुँचे इससे पहले ही छुट्टन ने गानो की डीवीडी लगा दी….. लोग गाने देखते रहे और बार बार किचन की तरफ आशा भरी निगाहो से देखते रहे.क्योंकि स्टार्टस ने भूख और बड़ा दी थी. इधर छुट्टन मिंया, वो तो गानो मे खो गये थे….. आंखे बन्द और मानो योगी महाराज गहरे ध्यान मे मग्न हो. मिर्जा ने हमे इशारा किया और थोड़ी देर मे हम और मिर्जा किचन के अन्दर थे.. मिर्जा ने मेरे को प्लेट थमाई बोले, गुरू अब फटाक से निपट लो, क्योकि बाहर तो साले पक्के गिद्द बैठे, हम लोग इनसे पार नही पा पायेंगे….मिर्जा ने पहले मेरे और स्वामी के टिफिन भरे, फिर हम दोनो ने अपनी अपनी प्लेटे भरी, और मिर्जा के कमरे की तरफ प्रस्थान किया.. मै बोला यार स्वामी को भी बुला लो.. मिर्जा ने कहा अगर स्वामी भी निकल आयेगा तो सबको शक हो जायेगा.. इसलिये तुम निबटो और स्वामी को भेजो, मेरे से रहा नही गया, मैने स्वामी को SMS मारा और मिर्जा के कमरे मे आने के लिये बोला.स्वामी भी तुरन्त अपनी प्लेट बना लाया, हम ने छक कर चिकन,मटन और बिरयानी खायी… सब्जियो की तरफ हाथ भी नही डाला.आराम से खाने के बाद, मिर्जा बोला, तुम इयरप्लग तो लाये हो ना.. मै बोला हाँ, बोला जल्दी से लगा लो, और बाहर आ जाओ, हम दोनो ने इयरप्लग लगाया..बाहर निकले और आराम से सोफे पर पसर गये.. और आंखे बन्द करके ऐसी एक्टिंग करने लगे कि जैसे म्यूजिक मे बहुत मजा आ रहा हो.स्वामी अभी भी मिर्जा के कमरे मे डटा हुआ था.खटाखट चीजो पर हाथ साफ कर रहा था, कुछ देर बाद जब उसके पेट ने भी जवाब दिया तो वो भी बाहर आ गया.

सात आठ गानो के बाद मुफ्तखोर वीडियो वालो मे खलबली मचने लगी.. लेकिन मिर्जा के खौफ के कारण कोई भी किचन की तरफ जाने की हिमाकत नही कर पा रहा था, और छुट्टन, वो तो ध्यान मग्न था ही…. हम तीनो इस स्थिति का पूरी तरह से मजा ले रहे थे.मिर्जा,जो इस डीवीडी का पूर्वावलोकन कर चुके थे, बोले इस डीवीडी मे लगभग अस्सी गाने है,तब तो सालो को तड़पने दो. डीवीडी खत्म होते ही मिर्जा बोला यार गानो की दूसरी डीवीडी भी लगा दो, वीडियोवालो के तो होंश ही उड़ गये.. बोले यार खाना लगवा दो, घर भी पहुँचना है, हम लोगो ने भी सहमति दी, क्योंकि स्वीट डिश तो अभी बाकी थी, सबने खाना खाया,स्वीट डिश ली..अपने अपने टिफिन उठाये.. छुट्टन को फिर बधाई दी…. अगले कलाकार के जन्मदिन की तारीख के बारे मे पूछा.. और पतली गली से निकल लिये.

मिर्जा बाहर तक छोड़ने आये तो स्वामी ने क्रिकेट टीम का मामला छेड़ दिया…… वो अगली बार….इतना सब झेलने के लिये आपका शुक्रिया.

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One Response to “छुट्टन मिंया की पार्टी”

  1. […] हर कथाकार अपने कुछ खास चरित्र बनाते हैं। जीतेंद्र ने भी मिर्जा,छुट्टन,पप्पू,बउआ,छोटू आदि को अपने गैंग में शामिल किया। आजकल दिख नहीं रहे हैं वे ,लगता है कि दोनों में खटपट चल रही है। जीतेंद्र बताते हैं कि छुट्टन के कारण लोग उनको कहते हैं कि किन लोगों का साथ है तुम्हारा। उधर छुट्टन का रोना यह है कि भइया पेट के लिये आदमी को सब कुछ करना पड़ता है,जिस जगह हम अपनी मर्जी से जाना नहीं चाहते वहाँ उछलना कूदना पड़ता है। […]