मिर्जा का बुलावा

मेरे कई मित्रो ने मिर्जा के बारे मे और जानकारी मांगी है,और लिखा है कि मिर्जा के बारे मे जरूर लिखे. लगता है उनको मिर्जा साहब पसन्द आये है.चलिये साहब पब्लिक डिमान्ड पर ही सही… मिर्जा साहब फिर हाजिर है.उस दिन हमारी इच्छा तो नही थी, मिर्जा साहब के यहाँ जाने की, लेकिन फिर पाठक मित्रो का ख्याल आ गया और लगा कि चलो शायद कुछ मसाला ही हाथ लग जाये.

मिर्जा साहब के बुलावे पर मै पहुँच तो, गया, लेकिन मन ही मन यह सोच कर गया था कि इस बार किसी भी चर्चा मे नही पड़ूंगा. लेकिन भला ऐसा कैसे हो सकता था, मिर्जा के घर से बुलावा और राजनीतिक चर्चा ना हो.

खैर जनाब हम जा पहुँचे उनके द्वारे, काल बैल को पुश किया, कौनो आवाज नाही सुनाई पड़ी, हम फिर कालबैल का बटन दबाय दिये, मिर्जा अलसियाते हुँए बाहर निकले, स्वागत किया,बहुत ही सुस्त दिखाई पड़ रहे थे, मैने पूछा का बात है, तबियत तो ठीक है, वैसे ही बदलते मौसम मे सभी बीमार पड़े है, छूटते ही बोले, बीमार हो हमारे दुश्मन,हम तो भले चंगे है, बस थोड़ा मूड खराब है, वो भी उस नामुराद अमर सिंह की वजह से, अपना वजन का ध्यान रखते नही, लद लेते है हर हिरोइन के साथ,लालू सही कह रहा था.इसका कुछ करैक्टर ठीक नही दिखता. अब लो,हमारी जया प्रदा के साथ नागपुर की रैली मे मंच तोड़ डाला, हाय हाय हमारी नाजुक सी जया प्रदा का क्या हाल हुआ होगा.अब हमारा माथा ठनका, हम समझ गये, इस बार भी राजनीतिक चर्चा का आगाज करने की पूरी प्लानिंग करे बैठे है मिर्जा साहब.

मिर्जा साहब की पत्नी कनाडा जाने से पहले उनके लिये एक बांग्लादेशी नौकर का इन्तजाम कर गयी थी, यह नौकर भी अजीब करैक्टर है, इसका खुलासा फिर कभी…., इनका नाम मोहम्मद रफीक है,अपने दोस्त जैसा है. हम लोग इन्हे प्यार से छुट्टन मिंया कहते है,छुट्टन मिंया कोआपरेटिव(मोहल्ले का Shopping Center) गये थे, हमारे लिये कुछ खाने पीने का इन्तजाम करने.

अब जहाँ तक मिर्जा का फिल्मी प्रेम की बात है, वैसे तो मिर्जा की वफादारी किसी एक हिरोइन मे कभी नही रही.. बाकायदा नर्गिस,मीनाकुमारी से लेकर ऐश्वर्या राय,अम्रता राव तक को समान रूप से चाहते रहे , उनके खुशी गम मे हँसे रोये,….सिन्सीरियली सब पर पूरा मालिकाना हक जताते रहे,मजाल थी जो हीरो किसी हिरोइन को छू ले….. तुरन्त चैनल बदल देते ….शायद मिर्जा की बदौलत ही ऐश्वर्या और सलमान का इश्क परवान नही चढ पाया…..अभी रामपुर के चुनाव मे जया प्रदा की कैम्पेनिंग देखकर, उसके मुरीद हो गये थे… बार बार आहे भरते रहते थे. हाँ जब रानी मुखर्जी डांस कर रही हो तो मिर्जा की हालत देखने जैसी होती है, मुंह खुला का खुला,आंखे फटी हुई,और लार जैसे टपकने ही वाली हो.खैर इस विषय पर फिर कभी……

हमने मिर्जा से कहा, जल्दी से शतरन्ज बिछाई जाये….. ताकि गेम शुरू किया जाये, मिर्जा ने छुट्टन मिंया (जो इस बीच लौट चुके थे)को आवाज दी, शतरंज लग गयी…छुट्टन मिंया ने हमे चुपके से बताया, जब से जया प्रदा वाली खबर आयी है, मिर्जा बड़े चिढचिढे हो गये है, बात बात पर पंगा लेते है.जरा ध्यान रखना…..अब हम क्या बोले बस मिर्जा के अमर सिंह के कंमेन्ट पर मुस्करा दिया,बस फिर क्या था, मिर्जा को तो शह मिल गयी, लग पड़े अमर सिंह की सातो पुश्तो को गालिया निकालने, मै बोला मिर्जा तुम्हारे घर से क्या गया, वैसे न तो जया प्रदा तुम्हारे गांव की तो है नही और वो है भी तो तुम्हारी बेटी की उम्र की, तुम क्यो किसी के फटे मे टांग अड़ा रहे हो? मिर्जा ने मेरे को टेढी नजर से देखा, मै सोचा, आज भी पंगा हुआ समझ लो. ना जाने मिर्जा ने क्या सोचा और अचानक मिर्जा मे बदलाव आ गया, ठीक वैसे ही, जब नेताजी चुनाव के लिये वोट मांगने मोहल्ले मे आते है,और किसी ने बुरा भला या गालिया दे दी हो, तब भी खून का घूंट पीकर भी मुस्करा कर जवाब देते है, या शायद मिर्जा साहब ने अवधी तहजीब का लिहाज किया होगा….. लेकिन मिर्जा और लिहाज….नामुमकिन

मिर्जा ने फिर महाराष्ट्र चुनावो की बात छेड़ दी, लगे बहन मायावती को खरी खोटी सुनाने,बोले इस #$X#*&()~ (Censored) मायावती ने तो कान्ग्रेस और बीजेपी दोनो के वोटो की गणित बदल दी है, क्या जरूरत थी महाराष्ट्र चुनाव मे कूदने की, सुना है हर एक कैन्डीडेट से टिकट के बदले एक करोड़ लिये है, मै बोला मिर्जा ये सब चन्डूखाने की न्यूज तुम्हारे पास कंहाँ से आ जाती है, तुम तो समुन्दर पार बैठे हो , तुम्हे क्या पता कौन कितने की टिकट बेच रहा है……. मिर्जा मुस्कराकर इस सवाल को टाल गये, और अपने शतरंज के गेम मे खो गये.थोड़ी देर मे फिर मिर्जा ने गियर बदला इस बार मुलायम की बारी थी, उसको भी खरी खोटी सुनाई, बोले अपना प्रदेश तो सम्भलता नही, चले है, दूसरे प्रदेश मे चुनाव लड़ने.. क्या महाराष्ट्र को भी यूपी जैसा बनायेंगे, वगैरहा वगैरहा, अब यदि मै पूरी बाते यहा छाप दूंगा तो मुलायम सिंह नाराज हो जायेंगे…. इसलिये मैने बाकी बाते सेंसर कर दी है.क्यो सेंसर की….. अरे भइया हम यहाँ ब्लाग लिखने बैठे है या गालियां?…………चर्चा के साथ साथ शतरंज का खेल चल रहा था… मानना पड़ेगा… मिर्जा शतरंज मे हमसे ज्यादा माहिर है, हमने लाख उलझाने की कोशिश की,लेकिन मजाल है कि बातो के चक्कर मे एक भी गलत चाल चल दे.

फिर पवार और मैडम की बात पर लटक गये. बोले कुछ तो है .. पवार और मैडम खिंचे खिंचे से है. जबसे ये BCCI वाला काण्ड हुआ है तब से आपस मे पंगा चल रहा है, मैडम के बूते ही पवार ये मैच नही जीत पाये, यह बात न पंवार भूले है ना मैडम. दोनो मुस्कराकर वोट तो मांग रहे है, लेकिन मन ही मन सोंच रहे है, बेटा ये चुनाव हो जाने दे, फिर तुमको देख लेंगे. सौ फीसदी कोई खिंचड़ी जरूर पक रही है.अब हम क्या बोलते… बस एक ही काम कर सकते थे.. मुस्कराना सो हम अपनी खींसे निपोरकर, मुस्कराने की कोशिश कर रहे थे.मिर्जा ने ठाकरे और अटल को भी नही छोड़ा, बोले इस बार बंटाधार हुआ तो ठींकरा नये नेताओ के सर डालने की वजह से ही चुनाव सभाये नही कर रहे है.मै एक अच्छे बच्चे की तरह से मिर्जा का मसला ए महाराष्ट्र , का भाषण सुन रहा था.

अचानक हमारे मोबाइल की घंटी टनटना उठी, दूसरी तरफ श्रीमतीजी थी.. …जिनको सीरियल के कमर्शियल ब्रेक मे हमारी याद आ गयी थी, बोली कंहाँ पर हो.. जल्दी घर पर पहुँचो, बहुत सारा काम पड़ा है,दूसरी तरफ से हुक्म की तामील का फरमान देकर, फोन रख दिया गया.मैने मिर्जा को फरमान के बारे मे बताया.. मिर्जा बोले, शर्त लगा लो, जब तक ये सारे सीरियल खत्म नही होते तब तक दुबारा फोन नही आयेगा.तब तक तो तुम आजाद हो,ऐसा ही हुआ,आखिरी सीरियल के लास्ट कमर्शियल ब्रेक मे अल्टीमेटम आ ही गया, हम समझ गये अब टालना मुश्किल होगा.हम भी अपनी दुकान समेट कर, मिर्जा से मा सलामा किया, और निकल पड़े घर की तरफ.

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5 Responses to “मिर्जा का बुलावा”

  1. ड़ी की रात को फिर से हंगामा हो गया….मिर्जा साहब लटक गये, बोले कि हम भी डान्स क […]

  2. य लालू यादव बगले झांक रहे थे. हमारे मिर्जा की प्रतिक्रिया “देखो बरखुरदार, […]

  3. […] खैर इस विषय पर फिर कभी […]

  4. shoes for ladies

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  5. […] हमारे एक पुराने मित्र है, मिर्जा साहब। यदि आप मिर्जा से परिचित ना हो तो यहाँ पर क्लिक करें, ये हमारे ब्लॉग सबसे पुराने पात्रों मे से एक है। नए पाठकों के लिए बता देते है मिर्जा अच्छे खासे व्यक्ति है, काफी प्रभावशाली व्यक्तित्व के मालिक है। अभी पिछले कुछ महीनों से उन पर कविताएं लिखने का भूत सवार हो गया है। वो भी ऐसी वैसी नही भारी भरकम शब्दों वाली। उनकी अगर माने तो कविता सृजन ही अभिव्यक्ति का एकमात्र माध्यम है। परेशानी यहाँ तक नही है, यदि उनकी कविता ना सुनो तो गुस्से मे आगबबूला हो जाते है, यूपी इश्टाइल मे गाली गलौच तक करने लगते है और अगर एक कविता पर वाह! वाह! करो, तो पूरे हफ़्ते भरे का कोटा झिला देते है। इसे कहते है इधर कुँआ उधर खाई। कुछ मिलाकर इनकी इन कविता प्रेम ने सारे दोस्तों का जीना हराम कर रखा है। अब हमारा उनके साथ रोज का उठना बैठना है, इसलिए बातचीत तक तो हम साथ रहते है, लेकिन जहाँ वो कविता की बात शुरु करते है, हम किसी ना किसी बहाने कट लेते है। एक दिन उन्होने हमे पकड़ ही लिया, हमे लांग ड्राइव पर ले गए, शहर से लगभग पचास किलोमीटर दूर, रेगिस्तान के बीचो बीच, स्प्रिंग कैम्प में । इधर उधर की बातचीत के बाद सुनाने लगे अपनी नयी नवेली रचनाएं। अब हम भागने की स्थिति मे भी नही थे, रेगिस्तान मे दूर दूर तक ना कोई बन्दा ना बन्दे की जात, इच्छा तो यही हो रही थी, अभी रेतीला तूफान आ जाए, और ये मिर्जा किसी रेतीले टीले के नीचे धंस जाए, फिर हम दोस्ती का धर्म निभाते हुए, उसको बचाने के एवज मे कभी कविताएं ना सुनाने का वादा लें लें। खैर..ऐसा ना होना था, ना हुआ, हमने कविता सुनने मे  ना नुकर की तो मिर्जा पूछने लगे अमां बरखुरदार आप कविता से इतना भागते काहे हो? कविता तो अभिव्यक्ति का माध्यम है, तुम भी तो लिखते हो अपना वो टुच्चा सा ब्लॉग मेरा पन्ना, हमने कभी मूंह बनाया? सारी की सारी पोस्ट पढी है कि नही? बेवजह और ऊलजलूल विषयों पर लिखी धीर गम्भीर पोस्ट पर भी हमने कभी मजाक उड़ाया? आयं दायं बाएं हर विषय पर लिखते हो, हमने कोई  टोका टाकी की है कभी? […]