लिटिल टैरोरिस्ट एक शानदार फिल्म

लिटिल टैरोरिस्ट
लिटिल टैरोरिस्ट यह लघु फिल्म, अकादमी अवार्ड्स मे भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है. फिल्म की अवधि कुल पन्द्रह मिनट की है.फिल्म की कहानी भारत और पाकिस्तान की सीमा पर बसे दो गाँवों और वहाँ बसे लोगो की है,जो अलग अलग देशो मे है. सीमा पर कंटीली बाड़ लगी है, पाकिस्तान की तरफ वाले गाँव मे बच्चे क्रिकेट खेल रहे है, बाँल भारतीय सीमा मे आ जाती है. ना बाँल सीमाये जानती है और ना बच्चे. दस साल का एक मासूम सा पाकिस्तानी बच्चा “जमाल” बाँल लेने के लिये सीमा पार करके भारतीया सीमा मे घुस आता है. अभी वो कुछ समझता कि क्या हो रहा है, चारो ओर से अचानक गोलियों की बौछार होने लगती है, बच्चा जान बचाकर भागता है और एक मास्टरजी के घर पनाह लेता है, जो काफी रहमदिल है, लेकिन मास्टरजी की भतीजी को इस बच्चे के घर आने पर एतराज है क्योंकि वो बच्चा एक मुसलमान है.मास्टरजी बच्चे को घर मे शरण देते है और सेना से छुपाने के लिये गन्जा बनाकर चुटिया बना देते है, ताकि वो हिन्दु दिखे ‌और उसका नामकरण “जवाहर” करते है. फिल्म मे इन्सानी रिश्तो पर बेहतर तरीके से रोशनी डाली गयी है.मास्टर साहब की भतीजी का जमाल के प्रति नफरत कई तरह के शैड लिये हुए है.

बाद मे मास्टर और उसकी भतीजी जमाल को सीमा पार छोड़ आते है,जमाल अपने घर पहुँच चाता है.जहाँ उसकी माँ उसका बेसब्री से इन्तजार कर रही होती है, लेकिन उसके कटे बाल और चुटिया देखकर उसको मारती है.

लेकिन बच्चा रोने के बजाय सीमा पर कंटीली बाड़ो को देखकर जोरदार तरीके से हँसता है, उसकी हँसी मे भय, आतंक,दर्द,तिरस्कार और विस्मय का अदभुत मिलाप है, निर्देशक ने इस सीन को बहुत अच्छे तरीके से फिल्माया है.

लेकिन बच्चा रोने के बजाय सीमा पर कंटीली बाड़ो को देखकर जोरदार तरीके से हँसता है, उसकी हँसी मे भय, आतंक,दर्द,तिरस्कार और विस्मय का अदभुत मिलाप है, निर्देशक ने इस सीन को बहुत अच्छे तरीके से फिल्माया है. और मेरे ख्याल से यह फिल्म का सबसे बेहतर शाट है.

फिल्म यंही पर खत्म हो जाती है, और हमारे जहन मे छोड़ जाती है ढेर सारे सवाल.निर्देशन अश्विन कुमार ने कलाकारो से बहुत अच्छा अभिनय कराया है.जुल्फिकार अली ने जमाल के रोल मे जान डाल दी है.अच्छी पटकथा और बेहतर फिल्मांकन ने फिल्म मे चार चाँद लगा दिया. आपको यदि मौका मिले तो जरूर देखियेगा.

इस बारे मे ज्यादा जानकारी यहाँ देखिये.

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6 Responses to “लिटिल टैरोरिस्ट एक शानदार फिल्म”

  1. जीतू भाई, मैंने भी इस फिल्म के बारे में एक रिपोर्ट बीबीसी से “आजकल” में सुनी। अच्छी फिल्म जान पड़ती है। कहाँ देखी जा सकती है यह फिल्म?

  2. चन्‍द्रभूषण on फरवरी 18th, 2005 at 3:34 am

    जीतू जी,
    क्‍या आपने कोइ लेख निर्माण पर भी लिखा है । अगर नाहीं तो कया आगे कभी लिखने का विचार है।

  3. bahut badhiya chalchitra lagta hai, aab to dekhna hi padega. Dhoondai shuru desitorrents etc per.
    Bhaiye agar aap moderator hain gmail wale group ke to hame pending se member ki taraf tanik badhaiye na.

  4. test

  5. काली भाई,
    आपकी गूगल मेल के ग्रुप की सदस्यता एप्रूव कर दी है,
    अब से आपको भी मेल मिलने लगेगी, आप गूगल मेल पर जाकर लागिन करके देख ले.
    किसी समस्या के आने पर तुरन्त सम्पर्क करें.

  6. 1940 ford

    1940 ford