आडवानी के बाद कौन?

अब जब इतने मान मनौव्वल के बाद लाल कृष्ण आडवानी ने अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार करने से मना कर दिया तो बीजेपी मे उनके उत्तराधिकारी के लिये सोच विचार चालू हो गया है.हालांकि उनके उत्तराधिकारी के बारे मे सोच विचार करना, बहुत जल्दबाजी होगी. हमको लिखने की जल्दी नही है, लेकिन क्या करें, अपने मिर्जा साहब है कि सुबह सुबह टपक पड़े, और बिना मांगे अपनी राय देने लगे, झेलिये आप भी

मिर्जा बोले,

“देखो बरखुरदार! बीजेपी अब एक ऐसी राह पर निकल पड़ी है जहाँ उसके पास सिर्फ दो ही रास्तें है, एक तो उग्र हिन्दू विचारधारा या फिर सबको साथ कर चलते हुए राष्ट्र की मुख्यधारा. आडवानी बहुत परिपक्व नेता है, वे जानते है, मुसलमानों के वोट मिले बगैर कांग्रेस और वामपंथियों को हराना आसान नही होगा, इसलिये उन्होने बहुत सोच विचार कर अपने पत्ते खेले, लेकिन मार पड़े, इन मीडिया वालों को बात का बतंगढ बना दिया, साथ मे नासमझ पार्टी वालों ने साथ नही दिया, एक भी बन्दा खुलकर बचाव मे नही आया, जो बची खुची कसर थी वो प्रवीण तोगड़िया जैसे लोगो ने पूरी कर दी, अब बेचारे इस्तीफा ना देते तो क्या करते, और कोई रास्ता बचा ही नही था, दबाव बनाने का.”

मैने पूछा ” तो क्या अटल आडवानी का युग खत्म?
मिर्जा मुस्कराये और बोले ” आगे आगे देखो होता है क्या……………….आडवानी जैसा समझदार नेता, अपनी राजनीतिक विदाई, इस तरह से तो नही चाहेगा, उन्होने जरूर कुछ ना कुछ सोचा होगा”
मैने फिर पूछा ” तो आडवानी के बाद कौन?
मिर्जा ने आंखे तरेरकर मेरी तरफ इस तरह देखा जैसे मुझसे बड़ा अहमक इस दुनिया जहां मे ना हो, फिर चाँदी की डिबिया से पान का बीड़ा मुंह मे रखकर, अपना मूड ठीक करते हुए, दार्शनिक की तरह बोले “सवाल तो तुम्हारा बहुत वाहियात है, फिर भी जवाब दिये देता हूँ” ‌‌और फिर उनकी गाड़ी गियर मे लग गयी और जबान से राजनीतिक टिप्पणियाँ निकलने लगी. बोलेः

नये अध्यक्ष मे कुछ खूबियाँ होनी चाहिये, जैसेः
१. युवा हो
२. उग्र हो, ताकि रामजन्मभूमि मुद्दा जीवित रह सके और हिन्दू वोटबैंक हाथ से ना जा सके.
३. संघ का विश्वासपात्र हो.
४. और हाँ सबको साथ लेकर चल सके.

अब बीजेपी की दूसरी कतार के नेता तो वैसे ही आपसी सिरफुट्टवल के लिये मशहूर रहे है, सभी लोग अपने आप को दूसरे से बेहतर मानते है, फिर भी कुछ लोगों की लाटरी खुल सकती है
जिसमे से नरेन्द्र मोदी,राजनाथ सिंह,उमा भारती,वैंकया नायडू प्रमुख हो सकते है.

अब नरेन्द्र मोदी के बारे मे कुछ कहना तो सूरज को दिया दिखाने के बराबर है, दुनिया जहान के लोगों ने नरेन्द्र मोदी के बारे लिख रखा है, हम तो बस इतना ही कहेंगे कि वही सबसे उपयुक्त दावेदार दिख रहे है, क्योंकि अव्वल तो वे संघ के विश्वासपात्र है, युवा भी है, जमीन से जुड़े नेता है और साथ ही आडवानी से भी उनकी कैमिस्ट्री सही ही है. फिर वे दूसरी श्रेणी के नेताओं की नकेल कसने मे भी सक्षम होंगे.

राजनाथ सिंह के बारे मे क्या कहा जाये, वो तो बेचारे अपने प्रदेश से ही बाहर है, लेकिन उन्होने बिहार और झारखन्ड मे पार्टी की जीत दिलाकर अपनी काबलियत साबित कर दी है, लेकिन अभी भी उनको जमीनी नेता नही माना जाता. फिर भी आज की स्थिति मे उनके पत्ते सही जमे दिख रहे है.

उमाभारती का क्या कहा जाये, पार्टी से अन्दर बाहर ऐसे होती रहती है जैसे फ्लाइट बदल रही हों, फिर भी संघ से काफी समय तक जुड़ी रही है, महिला है, उग्र है, पार्टी से ज्यादा संघ के दफ्तरों के चक्कर लगाती रहती है, उनके चान्सेस भी बहुत उज्जवल दिखते है.अगर बात महिला अध्यक्ष बनाने की हुई तो उनके पास पूरे मार्कस है.

वैंकया तो वैसे भी सही चल रहे थे, ये तो बस लोकसभा चुनाव के कारण पंगा हो गया, जो उनकी पत्नी को अचानक बीमार होना पड़ा और उनको अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा, खैर वे भी है कतार मे.

इसके अतिरिक्त मुरली मनोहर जोशी, तो बेचारे उम्र के कारण मार खा जायेंगे, रही बात सुषमा,जेटली और महाजन की तो वे एक दूसरे के पैर की कालीन खींचने मे ही समय गंवा देंगे.संजय जोशी तो अभी सीख ही रहे है, और किसी की चर्चा करके मै टाइम वेस्ट नही करना चाहता.

हमने बात का रूख बदलने के लिये एक आखिरी सवाल दाग दिया
“मिर्जा ये बताओ, क्या कायदे आजम जिन्ना सेक्यूलर थे?”
मिर्जा आगबबूला हो गये,
आव देखा ना ताव, बोले “अबे, जब कांग्रेस सेक्यूलर हो सकती है, तो जिन्ना ने किसी की भैंस खोली है क्या?
मिर्जा ने साथ मे काफी गाली गलौच के साथ जवाब दिया, इस जवाब मे काफी सारे जन्नत नशीं लोगो के साथ बेअदबी की गयी, ढेरों बददुआयें और लानतें भेजी गयी वो सब तो मैने सेन्सर कर दिया है, मिर्जा के मूड को देखते हुए मैने बातचीत का रूख निजी बातचीत की तरफ मोड़ दिया, और मिर्जा को शान्त किया.

मेरी चाय भी खत्म हो चुकी थी, और मेरे को आफिस की जल्दी थी, मैने मिर्जा को बोला, गाड़ी लाये हो, मिर्जा ने सहमति मे सिर हिलाया, मैने घड़ी की ओर देखते हुए पूछा, अब आगे का क्या प्रोग्राम है, मिर्जा बोले, छुट्टन को बाजार मे छोड़कर आया हूँ, उसको घर पहुँचाकर ही आफिस जाऊँगा, नही तो सारा दिन फिर किसी फिलिपीनी लड़की के साथ टहलता रहेगा. फिर मिर्जा और मै साथ साथ निकले, मिर्जा अपने रास्ते और मै अपने.

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