सुरक्षा परिषद और भारत की दावेदारी
जैसा कि सर्वविदित है कि अमरीका सहित सुरक्षा परिषद के सारे सदस्यों मे से ज्यादतर ये मानते है कि सुरक्षा परिषद की स्थायी समिति मे दुनिया भर के सारे राष्ट्रों का समुचित प्रतिनिधित्व नही है. लेकिन बात सिर्फ मानने तक सीमित नही है. सुरक्षा परिषद के बनने से लेकर अब तक परिस्थितियाँ बहुत बदल गयी है. भारत,जापान समेत बहुत सारे देश अब सुरक्षा परिषद मे स्थायी सदस्यता के लिये मांग उठा रहे है. चार देशो ब्राजील,जापान,जर्मनी और भारत ने मिलकर एक समूह भी बनाया है, जो एक दूसरे का समर्थन करने के अलावा स्थायी सदस्यों की समिति के विस्तार की बात जोर शोर से उठायेगा.
भारत की पूरी पूरी विदेश नीति का आधा समय तो दूसरे देशों से ये पूछने मे लग जाता है कि हमारी दावेदारी का समर्थन करोगे या नही. अब अगर वो देश हाँ बोलता है, तो इन्डिया मे बल्ले बल्ले होती है, सरकार वाह वाही बटोरने की कोशिश करती है, अपने हाथों से अपनी पीठ थपथपाती है, और ना होती है तो येन केन प्रकारेण उस देश को पटाने की कोशिश की जाती है, ये प्रोसेस लगातार जारी रहता है. कुल मिलाकर देशवासियों की खूनपसीने की गाढी कमाई को इस तरह की वाहियात कोशिशों मे जाया किया जाता रहा है.
अब और सुनिये…. इन्डिया का मानना है कि इस बार अमरीका उनकी दावेदारी का समर्थन करेगा, अब अमरीका का अपना राग है, वो बोलता है, भारत आर्थिक,सामयिक,सैनिक और राजनैतिक साझेदारी के लिये तो उपयुक्त है लेकिन सुरक्षा परिषद की दावेदारी के लिये अभी उतना परिपक्व नही है, ऊपर से भारत और पाकिस्तान के सर्द गर्म रिश्ते और परमाणु अप्रसार सन्धि जैसे मुद्दे भी भारतीय दावेदारी को कमजोर करते है.इसलिये अमरीका का मानना है कि जापान की दावेदारी तो सही है, उसका वो खुलकर समर्थन करता है, लेकिन भारत के मामले मे हमेशा चुप्पी या ढुलमुल रवैया अपनाता है.
अब दूसरे देशों की बात समझिये, रही बात जर्मनी की, तो फ्रांस और इग्लैंड तो है ही उसका विरोध करने के लिये, वो द्वितीय विश्वयुद्द से लेकर आज तक जर्मनी को माफ नही कर पायें है,अब बचा ब्राजील, वो तो अमरीका का पक्का समर्थक रहा है, सो उसकी चाँदी है इसबार, शायद उसका दाँव लग जाय. लेकिन मामला इतना सीधा नही है जितना दिख रहा है, इसलिये अमरीका भी चुप्पी साधे बैठा है.
देखिये ऊँट किस करवट बैठता है इस बार….. इस बारे मे विस्तार से खबर यहाँ भी देखिये.
भाई साहब , ये अमेरिका क्या सोनिया गाँधी है कि जिसे चाहेगा वही सुरक्षा परिषद में आयेगा ?
अनुनाद