आप से गिला ….

आप से गिला आप की क़सम
सोचते रहें कर न सके हम

उस की क्या ख़ता लदवा है गम़
क्यूं गिला करें चारागर से हम

ये नवाज़िशें और ये करम
फ़र्त-व-शौक़ से मर न जाएं हम

खेंचते रहे उम्र भर मुझे
एक तरफ़ ख़ुदा एक तरफ़ सनम

ये अगर नहीं यार की गली
चलते चलते क्यूं स्र्क गए क़दम
सबा सिकरी

आप इन्हे भी पसंद करेंगे

One Response to “आप से गिला ….”

  1. आप से गिला आप की क़सम
    सोचते रहें कर न सके हम

    उस की क्या ख़ता लदवा है गम़
    क्यूं गिला करें चारागर से हम

    ये नवाज़िशें और ये करम
    फ़र्त-व-शौक़ से मर न जाएं हम

    खेंचते रहे उम्र भर मुझे
    एक तरफ़ ख़ुदा एक तरफ़ सनम

    ये अगर नहीं यार की गली
    चलते चलते क्यूं स्र्क गए क़दम
    सबा सिकरी