मेरा पन्ना के डाउन होने का किस्सा

चलो भइया,हम वापस कुवैत सही सलामत तो पहुँच गये.
जब कुवैत से चले थे, अपनी साइट मेरा पन्ना को आटो पायलट मोड मे डालकर गये थे, ताकि दिन प्रतिदिन गज़ले और प्रविष्टिया अपने आप छपती रहें, लेकिन मार पड़े हमारे वैब होस्टिंग कम्पनी को जिन्होने बैठे बिठाये मेरा एकाउन्ट सस्पैन्ड कर दिया. क्यों? भाई लोग बोलेंगे, पैसे नही दिये होंगे…नही भई पैसे तो एडवान्स मे दे रखे है, ये तो कुछ और ही माजरा था. अरे भइया हुआ कुछ यों कि हमने दो साइट ब्लागनाद और ब्लागफीडर लगायी थी, वो साइट बहुत ज्यादा ट्रेफिक अट्रेक्ट कर रही थी, ब्लागनाद से दुनिया भर के रेडियो स्टेशन हिन्दी ब्लाग की MP3 डाउनलोड कर रहे थे. अब जहाँ MP3 की बात आती है तो होस्टिंग वालों की नजरे टेढी हो जाती है.और फिर ज्यादा लोगो की लाइन से साइट वालों के सारे रिसोर्सेस की मा बहन हुई जा रही थी, सो एक दिन उन्होने हमे चिट्ठी थमाई और साइट को बन्द कर दिया. अब ये अमरीकी लोग भी ना गालियाँ को भी शक्कर मे लपेट कर देते है, इसलिये हम उनका कुछ ज्यादा उखाड़ ना सके. वैसे भी हमे हिन्दुस्तान के दौरे पर थे, इसलिये कुछ चाहते हुए भी ज्यादा बोल ना सके, अव्वल वहाँ के कैफे मे गूगलमेल तो चलता नही था, क्योंकि सारे के सारे कैफे विन्डोज 98 चलाते है, पता नही क्या सोचकर ये वाला आपरेटिंग सिस्टम लगाया है, ये सिफी कैफे वालों का जिसने कन्फिगरेशन डिसाइड किया है, अगर वो मेरे सामने आ जाये तो मै उसकी ऐसी तैसी कर दूँ. खैर हम क्या बोले इस बारे मे. दूसरा हिन्दुस्तान मे समय का बहुत अभाव था. तो हमने सोचा कि अब वापस कुवैत जाकर ही इन सालों से निबटूँगा.

रफ्ता रफ्ता करके हमारी साइट चालू तो हुई है, लेकिन अभी भी अंकल सैम इस पर नजर रखे हुए है, देखता हूँ, और क्या क्या डाउन करना पड़ेगा. अब इस बुढापे मे ये दिन भी देखने पड़ेंगे, ये तो ना सोचा था. तो भइया बकिया खबरें बाद मे, अभी के लिये सिर्फ इतना ही.

One Response to “मेरा पन्ना के डाउन होने का किस्सा”

  1. क्योँ भई, ९८ में भी जीमेल अ‍ोपन होता है, नहीँ? हम यहाँ अफिस मेँ तो ९८ में भी जी मेल अ‍ोपन करते हैँ, हाँ कुछ फिचर्स डिसेबल्ड होता है।
    जहाँ तक क्याफे मे ९८ अपरेटिङ सिस्टम की बात है, मुझे सुनकर दुःख लगा। २००५ के जमाना में ९८ ? यहाँ तो एक्सपी ही होता है अक्सर क्याफे में।