रंगदारी व्यवस्था का समाधान

जैसा कि आप सभी को पता ही है बिहार मे रंगदारी का कितना जोर है, क्या कहा? रंगदारी नही पता? अरे भैया! आपको कैसे पता होगा, आप तो बिहार मे रहे ही नही हो ना, रंगदारी एक तरह का गुण्डा टैक्स होता है जो मोहल्ले का सो काल्ड दादा, मोहल्ले के दुकानदारो और अमीर लोगों से वसुलता है, बोले तो हफ़्ता। रंगदारी का जोर इतना बढ गया है कि बिहार का हर दुकानदार और व्यापारी अपने आपको असुरक्षित महसूस करता है और जल्द से जल्द बिहार से अपनी दुकान बढाकर दूसरे प्रदेशों मे बस जाना चाहता है। लेकिन आप लोग तो सुरक्षित है, क्योंकि आप बिहार मे नही रहते ना..लेकिन अपने भाई कन्हैया रस्तोगी जो बिहार मे ही रहते है ने एक लिंक भेजा है
अपने कन्हैया रस्तोगी जी रहते है वहाँ, लिंक तो ये रहा जरुर देखिये (लिंक को IE मे ही खोलियेगा नही तो हिन्दी मे नही दिखेगा)

खबर पढकर मजा आ गया, खबर ये है कि बिहार की जनता ने बदमाशों की रंगदारी वसूली से त्रस्त होकर और पुलिस प्रशासन की बेरूखी से परेशान होकर बिहार के अपराधियों को खुद सबक सिखाना शुरु कर दिया है। मधेपुरा और किशनगंज इलाके की जनता ने रंगदारी वसूलने आये ११ अपराधियों को दबोच कर पीट पीट कर मार डाला। वाह! क्या समाधान है। अब तो लगता है कि यही एक समाधान बिहार के लिये काम आयेगा। वैसे भी बिगड़ते हालात और राजनेताओ द्वारा अपराधियों को दिये गये संरक्षण का यही एकमात्र हल दिखाई देता है।

आपका क्या कहना है इस बारे में?

One Response to “रंगदारी व्यवस्था का समाधान”

  1. अनूप शुक्ला on अक्तुबर 17th, 2005 at 9:46 am

    हमारा तो ये सोचना है कि जिसने बदमासों को पीटने में पहल की होगी काफी संभावना है कि कुछ दिन में वह रंगदारी टैक्स वसूलने लगे।