ये भी कोई बात हुई?

जब से बिपाशा बसु ने बोला है कि पाँच साल बाद फ़िल्मे छोड़ दूंगी तब से अपने छुट्ट्न मिंया को ना दिन मे चैन है ना रातो को नींद। अब उन्होने खाना पीना छोड़ दिया है(बनाना नही)। अब तो इनके सर पर एक ही भूत सवार है कि विपाशा बसु के दीदार करने है।छुट्टन मियां तो कई कई बार इन्डियन एम्बैसी चक्कर लगा आये,वीजा के लिये। अब एम्बैसी वाले परेशान।एम्बैसी वालों ने उनकी तरफ़ ऐसे देखा कि वो चाँद से उतर आये हों। चूंकि छुट्टन मिंया बांग्लादेशी है इसलिये एम्बैसी वाले हैरान थे, क्योंकि आज पहली बार कोई बांग्लादेशी आधिकारिक तरीके से वीजा मांग रहा था। वैसे तो सभी तहमद कमर तक खोंस कर, मुहँ उठाये चले आते थे, कोलकाता। बस थोड़े दिनों मे कांग्रेसियों के साथ लगे रहते थे, फ़िर वोटर आई कार्ड और राशन कार्ड बनने मे कितनी देर लगती है। लेकिन अपने छुट्टन मिंया वैसे नही है, बहुत आदर्शवादी है, बोलते है जब तक वीजा नही मिलेगा, तब तक इन्डिया नही जायेंगे। यहीं से बिपाशा बसु को चिट्ठी पर चिट्ठी लिखेंगे। अगर मेरे को उनका कोई खत हाथ लगता है तो मै यहाँ छाप दूंगा, तब तक आप भी इन्तजार करिये।

इधर बिपासा बसु ने इन्टरव्यू दिया, उधर गोविन्दा है कि इन्टरव्यू देने के लिये बैचेन है लेकिन कोई उन्हे घास ही नही डाल रहा। सुना है पुराने जमाने मे डी कम्पनी के साथ दुबई शारजाह मे थ्री नाइट्स फ़ोर डेज का पैकेज टूर लिया था और पंद्रह साल बात किसी दुशमन ने इस टूर का वीडियो नामुराद इन्डिया टीवी वालों को दिया। अब न्यूड सॉरी न्यूज चैनल वालों को तो बस इसी का ही तो इन्तजार था। ठेल दिये बाजार में। एक और कामेडी हो गयी, इन पंद्रह सालों मे मुम्बई की जनता ने ना जाने क्या सोचकर गोबिन्दा को एमपी भी बनवा दिया। अब एक एमपी किसी आतंकवादी के साथ फ़ोटो खिचवाये तो देश की सुरक्षा तो खतरे मे पड़नी ही थी ना, सो जुट गये भाजपाई गोबिन्दा की कब्र खोदने में। अब गोबिन्दा तो बस फ़ोन पर बैठे है। लगातार दस जनपथ को फ़ोन मिलाये पड़े है, किसलिये? अरे सफ़ाई देने के लिये, और किस लिये। लेकिन कोई सुने तब ना। बेचारे गोबिन्दा।

अब अकेले बेचारे गोबिन्दा है ऐसा भी नही है, अपने गांगुली दादा भी बेचारे है, अब बैठे बिठाये उन्हे टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कारण ? टेनिस एलबो। अब ये क्रिकेट मे टेनिस कहाँ से आ गया, ये दादा तो क्या कईयों की समझ में नही आया।हमारे स्वामी की माने तो ”

जब क्रिकेटरों को अच्छी खासी क्रिकेट की बड़ी बॉल , छोटी से टेनिस(टेबिल टेनिस वाली) बॉल दिखाई देती है और वे बैट की जगह एलबो का प्रयोग करने की कोशिश करते है और दनादन आउट होना शुरु हो जाते है तो इस बीमारी को टेनिस एलबो कहते है।”

फ़िर उन्हे तब तक बाहर बिठाया जाता है जब तक दोबारा उन्हे बॉल सही नही दिखायी पड़ती। खैर अपने दादा ने दलीप ट्राफ़ी मे सैकड़ा ठोक कर बता दिया कि हमे बॉल सही दिख रही है, टीम मे वापस लो। लेकिन अपने बकैत और चपल कोच कहते है, दो मैच के बाद सोचेंगे वो भी तभी, जब दूसरे प्लेयर अच्छा प्रदर्शन न करें। बेचारे गांगुली,तब से बैठे है मुंह मे नाखून चबाते हुए।लेकिन चपल कोच तो आश्वस्त है अपनी टीम इन्डिया के प्रदर्शन पर।

अब अकेले चैपल अपनी टीम इन्डिया के प्रति आश्वस्त है ऐसा नही है, बेगुसराय के बसपा प्रत्याशी नारायण प्रसाद हिसारिया भी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है।क्यों? क्योंकि उन्होने नौ नौ बेटे जो पैदा कर दिये है। हिसारिया का चुनाव लड़ने का पुराना इतिहास रहा है। किसी भी चुनाव मे इनकी जमानत जब्त ना हो ऐसा तो हो ही नही सकता। इस बार बहनजी ने पोटली लेकर टिकट टिका दिया है, इसलिये बल्ले बल्ले कर रहे है। उनके सपुत्र के पास जीतने का अजीब फ़ार्मूला है वे कहते है:

“जब लालू यादव जिसके नौ बच्चे है, मुख्य मंत्री बन सकता है तो हमारे पिताजी के तो ग्यारह ग्यारह बच्चे है जिसमे से नौ बेटे है, वे तो प्रधानमन्त्री भी बन सकते है।”

भई लाजिक मे तो दम है….लेकिन ये सुनकर मिर्जा भड़क गये, बोले ” अबे ये विधान सभा का चुनाव है, खेतों का बँटवारा थोड़े ही, कि ज्यादा लड़के तो ज्यादा बड़ी जमीन।” अब इन नेताजी जैसे कुछ और हो गये तो देश का तो कल्याण हो गया समझो। अब मिर्जा को कौन समझाये, हिन्दुस्तान की राजनीति भी तो खेतों के बँटवारे जैसे ही है। जिसमे जितना दम, लूट कर ले जाता है। जनता बेचारी भूखी प्यासी वैसे की वैसी रह जाती है। है कि नही?

3 Responses to “ये भी कोई बात हुई?”

  1. तुम्हारे छुट्टन मियां रागदरबारी के लंगड़ हैं जो कायदे से मुकदमे की नकल लेने के चक्कर में निपट गये बिना नकल पाये।लेख बढ़िया लिखे हो।तुम्हारी राजनीतिक समझ के साथ न्याय हो रहा है। छुट्टी का सदुपयोग हो गया। अब हफ्ते भर तारीफ बटोरो और ये पोस्ट पढ़वाओ।

  2. bhadiya likhe ho guru. lekh main hasya hai, rajniti hai, desh ki immigration samasya hai, khel hai aur bipasha ke filme chodne jaisa dard bhi hai.

  3. कुछ तीखा ,कुछ मीठा,
    मज़ा आ गया.
    प्रत्यक्षा