हिन्दी ब्लॉगिंग का व्यवसायिक भविष्य

(नोट: इस लेख मे व्यक्त किए गये विचार लेखक के व्यक्तिगत है। किसी भी तरह के व्यवसायिक जोखिम उठाने से पहले आप स्वयं अच्छी तरह से जाँच पडताल करें,लेखक की कोई जिम्मेदारी नही होगी।हो सकता है यह लेख वक्त से पहले प्रकाशित हो गया हो, लेकिन भविष्य मे इस विषय पर विचार विमर्श अवश्य किया जाएगा)

क्या इन्टरनैट पर हिन्दी ब्लॉगिंग का व्यवसायिक भविष्य है?
क्या हिन्दी ब्लॉगिंग से रोजी रोटी चलायी जा सकती है?

इसका जवाब हाँ भी हो सकता है और नही भी। इसको समझने के पहले आइए समझते है ब्लॉगिंग के विभिन्न चरण।

ब्लॉगिंग के कई चरण हो सकते है। ब्लॉगिंग के शुरुवाती हफ़्तों मे यह सिर्फ़ खुमार हो सकता है, यानि कि शौंक।धीरे धीरे यह शौंक एक आदत मे बदल जाता है।धीरे धीरे ये आदत एक नशे मे तब्दील हो जाती है।कई लोग इसे मानसिक खाज मिटाने का साधन मात्र मानते है लेकिन कई लोग विचारों की स्वतन्त्र अभिव्यक्ति का माध्यम।लेकिन थोड़े समय बाद, लगातार ब्लॉगिंग करते करते, एक दिन ब्लॉगर को खुद एक जिम्मेदारी का अहसास होता है। धीरे धीरे वो वैब पत्रकारिता की प्रथम सीढी पर कदम रख देता है।यह सब अपने आप होता है,इसके लिए किसी को दोष/उपकृत देना ठीक नही।लेकिन क्या यह वैब पत्रकारिता किसी का पेट भर सकती है? यदि आप मेरे से छ: महीने पहले पूछते तो मेरा जवाब नही मे होता।लेकिन आज स्थितियां तेजी से बदल रही है।

अंग्रेजी ब्लॉगिंग मे आज कई ब्लॉगर नियमित रुप से पत्रिकाओं के लिये लिखते है।दूसरी तरफ़ ऐसे कई लोग है जो ब्लॉगिंग को अपना पेशा भी बना चुके है। कई अंग्रेजी ब्लॉगरों की रोजी रोटी ब्लॉगिंग से चलती है। लेकिन क्या हिन्दी ब्लॉगिंग से रोजी रोटी चलायी जा सकती है। आइए इस बारे मे बात करें। हिन्दी ब्लॉगिंग का जहाँ तक सवाल है, हिन्दी की वैब साइट बहुत कम होती है, लेकिन अब MSN जैसी साइटों के भारत मे आने से दूसरी साइटों को भी हिन्दीकरण करने की सूझेगी और धीरे धीरे कन्टेन्ट की जरुरत महसूस होगी। और जैसा कि दिख रहा है, डिमान्ड और सप्लाई मे काफ़ी गैप होने की सम्भावना है। मेरे विचार से हिन्दी ब्लॉगिंग को और परिपक्व होने की जरुरत है।जरुरत है कि :

हिन्दी के लेख अपने आप मे पूर्ण हो।
व्याकरण सम्बंधी अशुद्दियों से मुक्त हो।
तकनीकी रुप से लेख पठनीय हो।
यदि आपके लिखा विचारोत्तेजक है, तकनीकी रुप से पूर्ण है और आप पाठक तक अपनी बात पहुँचाने मे पूरी तरह से सक्षम है तो जरुर आप अपने ब्लॉग पर पाठकों की खींच पाने मे सक्षम होंगे और उन्हे ब्लॉग से बांधे रखने मे भी सक्षम होंगे।

ब्लॉगिंग और वैब पर हिन्दी सेवाओं से पैसा :ब्लॉगिंग और वैब पर हिन्दी सेवाओं से से पैसा भी कमाया जा सकता है। कुछ उदाहरण ये रहे:
१. हिन्दी विज्ञापनो द्वारा (गूगल एडसेन्स द्वारा) : हालांकि अभी इससे कमाई होनी शुरु नही हुई है।हिन्दी मे आने के बाद अब शायद कुछ स्कोप बढे।
२. लेखों को पत्रिकाओं/वैबसाइट को देने मे: जी हाँ, इस एरिया मे काफी स्कोप है।यदि आपका लेखन अच्छा है तो आप बीबीसी हिन्दी जैसी प्रतिष्ठित वैब साइटों मे भी लेख छपवा सकते है। जैसे कि अपने भाई शशि सिंह जी ने किया है।अब इस लेखन मे कितना पैसा बनता है वो या तो शशि भाई बता सकते है या रवि रतलामी जी।
३. हिन्दी कन्टेन्ट प्रोवाइड करना : आप हिन्दी अखबारों/साइटो को कन्टेन्ट प्रोवाइड कर सकते है।बशर्ते आपका कन्टेन्ट अपने आप मे परिपूर्ण हो।
४. अंग्रेजी साइट को हिन्दी अनुवादीकरण : इसमे भी पैसा बन सकता है।आपका GPL साफ़्टवेयर जैसे वर्डप्रेस,जूमला आदि का स्थानीयकरण का अनुभव यहाँ काम आ सकता है।
५. हिन्दी वैब साइट डिजाइन एन्ड डेवलपमेन्ट : इसमे तकनीकी लोगों को काफी फायदा हो सकता है।
६. हिन्दी साइट डिजाइन

इसके अतिरिक्त भी कई तरीके हो सकते है, मै चाहूंगा आप लोग और तरीके सुझाएं। आप लोगों के क्या विचार है इस बारे में, बताना मत भूलिएगा।

11 Responses to “हिन्दी ब्लॉगिंग का व्यवसायिक भविष्य”

  1. ड़ा प्रभात टन्डन on जुलाई 30th, 2006 at 3:38 pm

    [क्या इन्टरनैट पर हिन्दी ब्लॉगिंग का व्यवसायिक भविष्य है?]

    जीतू भाई आप ठीक कह रहे हैं, अभी कुछ दिन पहले जब मुझे एक नये लेकिन बहुत छोटे से ब्लागर http://cyberz.info/ जिसकी आयु मात्र 14 साल है ,ने बताया कि उसके खाते में 50 डालर हो गये हैं जो उसने विज्ञापनो द्वारा (गूगल एडसेन्स द्वारा) कमाये हैं ,मुझे बहुत ताज्जुब हुआ। हालाकि वह ब्लागिग हिन्दी मे नही कर रहा है।

  2. पैसा वही बना पाता है जो नये विचारों तक सब से पहले पंहुचता है सो समय से पहले नहीं, इसका समय आ चुका है। आपको याद है शेयर बाजार का IT बूम। एकदम से IT कंपनियों को पहचान लिया गया और फिर बाकी इतिहास है, उसी तरह का एक बूम हिंदी इंटरनेट मेंआने वाला दिखता है, इसका समय और मौका बहुत ही पास है।

  3. सबसे बड़ी बात कि अभिव्यक्त करते रहने से पता चलता है कि आपकी सोच क्या है?

  4. ज़ीहाँ, इस क्रांति का व्यवसायिक दृष्टि से उपयोगी होना निकट भविष्य में दिख सकता है. गुगल एडसेंस जो हिन्दी के लिए फिलहाल शायद उपलब्ध नही है, पर हो सकता है, यह काफी उपयोगी होगा.

    हिन्दी वेब डिजायन, पोर्टल तथा अन्य कंटेंट के लिए हमारी कम्पनी प्रयासरत है ही. और अब हम भारतीय भाषाओं मे वेब बनाने के फायदे अपने क्लाईंटो को समझा पा रहे हैं. पर सफर काफी लम्बा है. और धेर्य अतिआवश्यक है

  5. मुझे जो कहना था पंकज ने पहले ही कह दिया है, मुझे अभी तो यही लगता हैं की निकट भविष्य में हिन्दी से पैसा बनाया जा सकेगा. इस समय हम हिन्दी के पन्ने अंग्रेजी वाली साइट के साथ निशुल्क बना कर देने का प्रस्ताव भी अपने ग्राहको को रख रहे हैं, इसे आप भविष्य के लिए निवेश मान सकते हैं.

  6. सही सोच है आपकी । वक्त थोड़ा जरूर लग सकता है। वेसे पूर्ण व्यवसायीकरण हो ना हो, लोगों की हिन्दी पढ़ने-लिखने की रुचि जरूर तेजी से बढ़ेगी।

  7. हिंदी चिट्ठाकारिता और Internet Content कुछ niche market, जैसे पत्रकारिता, NRI’s और कुछ अन्य मार्केट तक ही आया है। उम्मीद और personal experience से ऐसा लगता है, जल्द ही यह और बडे तबके जैसे की कालेज-विश्वविद्यालयो, हिंदी-भाषी नगर-कस्वो की ओर जाएगा। इंटरनेट के हिंदी मार्केट को स्थानीय कंपनीयो और स्थानीय विचारो से साहयता मिलेगी। गूगल और MSN जैसी कंपनीयो से शायद $$ तो नही मिलेगे मगर स्थानीय कंपनीयो से रू जरुर मिल सकते है। आज अगर आप किसी बडे बजट की हिंदी फिल्म के वेब साईट को देखे तो यह English मे होती है, जल्द ही उन्हे हिंदी मे भी विकासित किया जाएगा। इंटरनेट मे हिंदी को वो चाहे ब्लॉगिंग हो या कुछ और, शायद रूपयो की जरुरत है, डौलर की नही।

  8. इस विषय पर मेरी टिप्पणी के लिए कृपया निम्न लिंक देखें:
    http://srijanshilpi.wordpress.com/blogging
    जो बात इसके अतिरिक्त मैं कहना चाहता हूँ उसे 4 अगस्त को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में रखूँगा।

  9. We can compare Internet blogging with Old age TV Stations which was ownwed by the Govt and they dont make any money from Advertisements , BUT when they start reaching to masses then these TV Stations are making millions.

    So definetly Blogging is the future where people get to know each other.

    Hindi Blogging can only make money if most of the hindi readers regularly visits them and clicks on their advertisements.

  10. हिंदी को कम से कम बढ़ावा जरूर तो मिल रहा है भविष्य उज्जवल है बस तेज तर्रार और स्तरी लेखनी करनी है हमारा प्रयास सफल होगा और पैसा भी कामया जा सकता है बशर्ते हमें अछा लिखना लोगो जोड़ना है तकनीक अपना विकास कर हमें हिंदी से आगे बढ़ाना है
    .-= abhishek kant pandey´s last blog ..Prakhar Chetna: रिअलिटी सो का नया जन्म =-.

  11. welcome-newspaper nadi ghati aur pahad jamani tehrigarhwal uttarakhand