सरहद के पार, दिल के पास

कहते है संगीत सरहदे नही जानता, सीमाए नही मानता। अच्छा संगीत भाषाओं के बन्धनों को भी नही मानता। एकदम सही है यह। यदि ऐसा ना होता तो हम अंग्रेजी, अरबी,स्पैनिश और ना जाने किस किस भाषा के संगीत को पसन्द ना करते होते। लेकिन जनाब, हमारी सीमा पार पाकिस्तान मे तो संगीत प्रतिभाओं का खजाना है। चलिए आज बात करते है, मेरे पसंदीदा पाकिस्तानी फनकारों की। हाँ यह लिस्ट संगीत पर ही सीमित नही रहेगी। आज पेश है इसका पहला भाग।
जनाब नुसरत फतेह अली खान
नुसरत फतेह अली खांसंगीत की बात हो और जनाब नुसरत फतेह अली खां की बात ना हो ऐसा कैसे हो सकता है। खां साहब की गायी हुई कव्वालियों, सूफ़ी कलामों, गज़लों और काफि़यों को किसने नही सुना। जनाब नुसरत फतेह अली खां के १२५ से भी ज्यादा कव्वालियों के एलबम गिनीज रिकार्ड मे दर्ज है, किसी भी कव्वाल द्वारा गाए गये ये सर्वाधिक एलबम है। कव्वाली को आधुनिक रूप देने मे और परम्पराओं को तोड़ते हुए संगीत मे नए नए प्रयोग करने के लिये ये मशहूर है। नुसरत साहब के चाहने वालों की तादाद हिन्दुस्तान पाकिस्तान मे से ज्यादा ही होगी। तभी तो कहते है संगीत सीमाएं नही जानता। वैसे तो उनकी गायी सभी कव्वालियां अपने आप मे सर्वश्रेष्ठ है लेकिन मुझे उनकी गायी यह कव्वाली सबसे ज्यादा पसन्द है, आपकी पसन्द क्या है?

नित खैर मंगां सोणेया मैं तेरी, दुआ न कोई होर मंगदी ..

४८ साल की उमर में नुसरत साहब का १६ अगस्त, १९९७ को लंदन मे इन्तकाल हो गया। अल्लाह उनको जन्नत नसीब करें। नुसरत साहब हमारे बीच नही है, लेकिन उनका संगीत हमेशा हमारे दिलो दिमाग पर छाया रहेगा।

गजलों के शहंशाह : मेहंदी हसन
mehandi hasanमेहंदी हसन को कौन नही जानता, गजलों के एक जादूगर ने दुनिया भर मे सबका मन मोह रखा है। किस शब्द को किस सुर से उठाना है कहाँ तक ले जाना और कैसे अंजाम तक पहुँचाना है उसके लिए मेहंदी हसन साहब उस्ताद है। जनाब मेहंदी हसन की गायी गज़ल

रँजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ
आ फिर से मुझे छोड के जाने के लिये आ

को सुनते सुनते आप कब बीती यादों मे खो जाएं, पता ही नही चलेगा। हिन्दुस्तान में जनाब मेहंदी हसन के चाहने वालों के बाकायदा क्लब तक है। पिछली बार जब पाकिस्तानी सरकार ने मेहंदी हसन के इलाज के लिये मदद की घोषणा करके भी पैसे मुहैया नही कराए थे, तब उनके भारतीय प्रशंसको ने उनके इलाज का पूरा खर्चा उठाया था। मेहंदी हसन आजकल नही गाते, क्योंकि वो बीमार चल रहे है, लेकिन पाकिस्तान सरकार को गज़लों के इस शहंशाह की कोई कद्र नही है।

ghulam aliअब अगर बात गज़लों की हो रही हो और गुलाम अली खां साहब का नाम ना लिया जाए तो यह सरासर नाइन्साफी होगी। गुलाम अली खां साहब का अलग गायकी का अंदाज, गज़लों का सिलेक्शन और सुर ताल की लय, देखते ही बनती है। गुलाम अली के चाहने वाले भी हिन्दुस्तान की गली गली मे मिल जाएंगे। हिन्दी फिल्मों मे भी उन्होने काफी गाया है। गुलाम अली ने पंजाबी गज़लें भी गायी है उनकी कुछ पंजाबी गज़ले तो बहुत मशहूर हैं। उनकी गायी उर्दू गज़लों मे मुझे ये विशेष तौर से पसन्द है।

  1. हंगामा है क्यूं बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है…
  2. चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है…
  3. चमकते चाँद को टूटा हुआ तारा बना डाला…
  4. दिल मे एक लहर सी उठी है अभी….

मेरा पक्का विश्वास है इस लेख को पढकर आपका दिल गुलाम अली को सुनने के लिए बेकरार हो जाएंगा। ये लिस्ट अभी यही पर थमी नही है जनाब,तो आप सुनिए अपनी पसंदीदा गज़लें और हम बढते है अपनी लिस्ट की अगली फनकारा की तरफ़। अगला नाम है …. नही, नही। अभी नही बताएंगे इसके लिए इन्तजार करिए अगली पोस्ट का।

आगे जारी है……

10 Responses to “सरहद के पार, दिल के पास”

  1. ताऊ, दिवंगत नुसरत साहब ने अपने दौर में परम्परागत धुनों के साथ साथ आधुनिक वाद्ययंत्रो का जो प्रयोग किया था, वो बेहतरीन था।

    आज दुःख इस बात का होता है हम तो इनकी इतनी कद्र करते हैं पर भारतीय कलाकारों के लिए पाकिस्तान के दरवाजे बन्द हैं

  2. दिवंगत नुसरत साहब ने अपने दौर में परम्परागत धुनों के साथ साथ आधुनिक वाद्ययंत्रो का जो प्रयोग किया था, वो बेहतरीन था।

    आज दुःख इस बात का होता है हम तो इनकी इतनी कद्र करते हैं पर भारतीय कलाकारों के लिए पाकिस्तान के दरवाजे बन्द हैं

  3. बहुत सुन्दर लेख,
    मेहंदी हसन साहब की ” तेरी आँखों को जब देखा कवँल कहने को जी चाहा- मैं शायर तो नहीं लेकिन गज़ल कहने को जी चाहा” भी बह्त ही सुन्दर गज़ल है।
    आपके लेख से इस श्रंखला के और फ़नकारों को जानने की उम्मीद है।

  4. बढिया है.नारद के चक्कर में छोटे परिचय देने की कंजूस आदत डाल ली!

  5. गुलाम अली साहिब की मेरी सबसे पसंद गजल है “दिल ये पागल दिल मेरा”, पर नुसरत फतह अली खान की आवाज़ में तो कुछ भी सुनलो अच्छा ही लगता है.

  6. नुसरत फतेह अली को मै तकरीबन 1996 से सुन रहा हूं – अगर से उनकी कवालियों मे बहुत सारी भषाएं होती है जो मेरी समझ मे नही आती मगर उनकी आवाज़ और म्यूज़िक मुझे बहुत पसंद है, उनके सभी आडियो कैसट और सीडीज़ मेरे पास हैं। नुसरत को सिर्फ भारत, पाकिस्तान मे ही नही बल्कि जापान, युरोप आदी मे उन्हें आज भी सुना जाता है। पोलैंड मे हमारी एक दोस्त नुसरत की आवाज़ पर फिदा है हालांकि उसे कुछ समझ मे आता नही।

  7. मुझे तो मेंहदी हसन बहुत अच्छे लगते हैं । लिस्ट बनाऊँ तो बहुत लंबी हो जायेगी 🙂

  8. आपकी टिप्पणियों का धन्यवाद।
    दर असल यह लेख बहुत दिनो पहले लिखा था, (शुरुवात की थी बस), आजकल नारद मे लगे रहने के कारण लिखना सम्भव नही हो पाया, बस पिछले वाले को थोड़ा पोछ पांछ कर लगाया है, उम्मीद है आप लोगों की शिकायत अगले भाग मे पूरी होगी।

  9. नुसरत साहब का बड़ा कलेक्शन मेरे पास है. नुसरत साहब की वजह से ही सूफ़ियाना कलाम को समझना संभव हुआ. नुसरत साहब की गाई और अमीर खुसरो की लिखी ”छाप तिलक सब छीनी तौसे नैना मिलाइके”… बहुत पसंद है. इसके अलावा ”तुम एक गोरखधंधा हो..” ज़रूर सुनना चाहिए. जीतू भाई ने संगीत को सरहद के पार कहा है. यानी संगीत का आदान-प्रदान दोनों देशों के लोगों को एक सूत्र में पिरोता है. मैं भी इसी मत का हूं. संगीत तो उपासना है. संगीत बिना जीवन सूना, जग सूना.

  10. मुझे नुसरत फतेह अली खान जी की सभी रचनाए पसन्द हॅ .गुलाम अली जी की गजल दिल मे उतर जाती हॅ.