नारद २ का वृतान्त

साथियों,
आपका चहेता हिन्दी ब्लॉग एग्रीगेटर “नारद” आपके समक्ष पुन: प्रस्तुत है। जैसे जैसे हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ रही थी, वैसे वैसे नारद को उसके पुराने होस्ट के पास चलाने मे दिक्कत आ रही थी। हम लोगों को इसके बारे मे पता तो था, लेकिन स्थायी समाधान बहुत महंगा उपाय था। हर बार सोचकर, चुप रह जाते थे। लेकिन एक दिन पंकज नरुला ने खबर दी कि उनके होस्टिंग सर्विस प्रोवाइडर ने अपने हाथ खड़े कर दिए है। और हमे मजबूरन नारद को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा। हमे इस बात की उम्मीद तो थी, लेकिन इतनी जल्दी, यह आशंका ना थी। दरअसल नारद के पहले हमने ब्लॉगफीडर लगाया था, तब भी मेरे होस्टिंग प्रोवाइडर ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे, और हमारा एकाउन्ट सस्पेन्ड कर दिया था। इस बार (पंकज नरुला का) एकाउन्ट सस्पेंड होने की नौबत आ गयी थी। हमने विचार विमर्श किया और यह तय हुआ कि हम नारद को अपने सर्वर पर ले जाएंगे। यानि कि डेडीकेटेड होस्टिंग। इसके लिए समस्या था, रिसोर्सेस की, जिसको हल किया गया कि सामुदायिक आर्थिक सहयोग से।

सचमुच मै तो नारद भक्तों के प्यार और स्नेह को देखकर अभिभूत हो गया। विशेषकर महिला चिट्ठाकारों से। हमने आर्थिक अनुदान देने वालों को साफ साफ कह दिया था, हम आपसे आर्थिक अनुदान तभी लेंगे जब आप आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर हो। यदि आप छात्र है, अथवा गृहणी है तो हम आपसे अनुदान नही लेंगे। कई महिला चिट्ठाकारों की इमेल आयी थी, जिनको पढकर मै तो भावविभोर हो उठा था। सभी नारद के लिए सहयोग करना चाहती थी। मै उन सभी महिला चिट्ठाकारों का हृदय से आभारी हूँ, जिन्होने इस संकट की घड़ी मे नारद की मदद की।

ऐसा नही कि सिर्फ़ महिला चिट्ठाकार ही नारद के लिए आगे आए हो। सभी चिट्ठाकार, चाहे वो सक्रिय हो अथवा असक्रिय। नवांगतुक हो या स्थापित चिट्ठाकार, सभी ने बढ चढकर यथाशक्ति नारद के लिए आर्थिक सहयोग किया। मै उन सभी को भी हार्दिक धन्यवाद देना चाहूंगा। हम समय समय पर आपको नारद की गतिविधियों से अवगत कराते रहे है। नारद से सम्बंधित आर्थिक योगदान एवं खर्चों को शीघ्रातिशीघ्र पंकज नरुला जी सार्वजनिक करेंगे। कुछ भी हो नारद की साइट के डाउन होने ने हमारी हिन्दी चिट्ठाकारों को एकजुटता और वचनबद्दता का शानदार नमूना पेश किया।

अब समस्या थी होस्ट पसंन्द करने की। लेकिन उससे पहले समस्या थी, तकनीकी टीम के गठन की। तो जनाब सभी की रजामन्दी और उपलब्धता के हिसाब से तकनीकी टीम का गठन किया गया जो इस प्रकार है। (यह टीम अक्षरग्राम की सभी साइटों का संचालन और प्रबन्धन करेगी। इसमे अभी और भी नाम जुड़ सकते है। )

पंकज नरुला जी उर्फ़ मिर्ची सेठ: पंकज इस समय आफिस मे अतिव्यस्त चल रहे है, फिर भी उन्होने हमारा टीम लीडर होने का अनुरोध स्वीकार किया उसके लिए उनका बहुत बहुत धन्यवाद। पंकज नरुला जी के निर्देशन मे काम करने का मजा ही कुछ और है।

ईस्वामी जी : ईस्वामी जी, तकनीकी मास्टर है, उनके टीम मे आने से काम मे तेजी आयी। सभी काम सुचारू रुप से होने लगे। कोई भी मसला हो, स्वामी जी उस समस्या का तोड़ ढूंढ लाते है। नारद के लिए अक्सर रात रात भर जागने वाले ईस्वामी के साथ ये मेरा दूसरा प्रोजेक्ट था, हमेशा की तरह, इस बार भी मै ईस्वामी की कार्यकुशलता का मुरीद हूँ।

संजय बेंगानी : बड़े भैया (बेंगानी) ग्राफिक्स के मास्टर है, कोई भी ग्राफिक सम्बंधी समस्या हो, संजय के पास जाने के बाद उसका हल मिलना निश्चित है। हर समस्या का हल इनके पास रहता है। स्वभाव से सौम्य, कार्यकुशलता मे चपल, संजय भाई इस ग्रुप की शान है।

पंकज बेंगानी उर्फ मास्साब : अति उत्साही,नयी चीजे सीखने के लिये हमेशा आतुर, कैसा भी काम हो, हमने इनके चेहरे पर कभी शिकन नही देखी, हमेशा मुस्कराते हुए काम स्वीकार करते है।

विशाल पाहूजा : तकनीकी मार्गदर्शन देने के लिए विशाल भाई का बहुत बहुत धन्यवाद।

अमित गुप्ता : अति उत्साही, हमेशा डिस्कशन को तैयार रहने वाले अमित ने, पीएचपी की कमान सम्भाली और सबसे अच्छी बात, इस बार अमित किसी से भी नही भिड़े, अच्छे बच्चे की तरह अपना सारा काम नियत समय पर किया।

निशान्त शर्मा :हमारी टीम के नए सदस्य, लेकिन इनके आने से पूरा सीन ही बदल गया। निशान्त मे होस्ट मैनेजमेन्ट मे काफी योगदान दिया।

और मै यानि जीतेन्द्र चौधरी : अब मै अपनी तारीफ काहे करूं? इत्ते सारे अलग अलग सोच वाले लोगो को एक सूत्र मे पिराना भी कोई आसान काम नही था।

राह की बाधाएं

वैबसाइट होस्टिंग दो तरह की होती है:

शेयर्ड होस्टिंग, जिसमे एक ही सर्वर (कम्प्यूटर) को कई कई लोग शेयर करते है, एक होस्ट मास्टर होता है जो सबको उनके मनमाफिक स्पेस देता है। कम्प्यूटर का संचालन एवं रखरखाव उसकी जिम्मेदारी होती है। किसी भी समस्या के आने पर यह वैबमास्टर संकट मोचन का काम करता है।

डेडीकेटेड होस्टिंग :इसमे आपको एक खाली कम्प्यूटर मय आपरेटिंग सिस्टम के दे दिया जाता है, सारा रखरखाव, साज सज्जा, सिक्योरिटी वगैरहा सब कुछ आपने करना होता है। यकीनन आपको अपना कम्प्यूटर प्रयोग करने की पूरी आजादी होती है, लेकिन आपकी जिम्मेदारियाँ बढ जाती है। यहाँ कोई संकटमोचन नही होता। आपको ही संकटमोचन बनना होता है।

शेयर्ड होस्टिंग काफी सस्ती होती है और डेडीकेटेड काफी महंगी, लेकिन इसके बीच का भी एक रास्ता होता है जिसे VPS वर्चुअल प्राइवेट सर्वर कहते है। ये डेडीकेटेड टाइप की होती है, लेकिन यहाँ कम्प्यूटर के रिसोर्सेस के कुछ हिस्से करके अलग अलग लोगों को दे दिया जाता है यानि व्यवहारिक रूप से शेयर्ड लेकिन तकनीकी रुप से डेडीकेटेड।

सबसे पहले तो नारद को खड़ा करना था, सो हमने रेटिंग सिस्टम पर काम करके, नारद को अपने सर्वर पर चालू कर दिया। लेकिन अभी मंजिल बहुत दूर थी। आलोक भाई एक दिन चैट पर पूछते है कि नारद को रेत की बोरी (sandbox) मे काहे बन्द किया है? अब बताइए हम इसका का जवाब दें?

हमने नारद के लिए VPS प्लान लिया है। अब समस्या थी, इसको काम मे करने के लायक बनाने के। पंकज भाई अचानक आफिस के कार्यों मे इस कदर बिजी हो गए, किन इमेल के जवाब मिलने मे भी दिक्कत होने लगी। इधर अमरीका मे ईस्वामी, गल्फ मे मै और भारत मे अमित, लगे पड़े थे। जानकारी हासिल करते हुए, सर्वर मे जरुरी साफ़्टवेयर लोड करने मे। साथ ही हमे इसको हैकर्स से भी बचाना था, इसके लिये भी काफी पापड़ बेलने पड़े। कई कई बार दिक्कत आयी, लेकिन हमारे बांके जवानों ने स्थिति को बिगड़ने नही दिया। ये तो था पहला चरण।

अगले चरण मे हमे अक्षरग्राम की सभी साइटों को नए सर्वर पर ले जाना था, अब यदि हम अक्षरग्राम डाट काम के डोमेन को ऐसे ही ले जाते तो हमारी साइटें जैसे अक्षरग्राम, परिचर्चा और सर्वज्ञ सभी अनाथ हो जाती, मतलब लोग नारद से तो गए गए, साथ साथ बाकी साइट भी डाउन होती तो लोग तगादा करने लगते। ऐसे मे हमे मिर्ची सेठ ने अपने एक और डोमेन ichaupal.com का प्रयोग करने की सलाह दी, हमने उस पर एक टेस्ट साइट बनायी, जो आज भी चल रही है, हम सारी टेस्टिंग वंही पर करते है।

इस चरण मे निशान्त का आगमन हुआ, निशान्त कई साइटों को वैब सर्वर को कर चुका है। उसे तकनीकी अनुभव था, हमे व्यवहारिक। बस बात बन गयी। फिर राह के रोड़े एक एक करके दूर होते गए और अभी की स्थिति आपके सामने है।

नारद २ बीटा: नया क्या है?

नारद मे काफी कुछ नया है। कुछ जानकारी तो यहाँ पर है, बाकी साइट पर आते जाते रहिए, खुद ही पता चल जाएगा।

नया कलेवर : नया कलेवर पिछले वाले वाले से मिलता जुलता रखा गया है। हालांकि रंगो के संयोजन मे थोड़ा बदलाव किया गया है। परिकल्पना को समय समय पर बदला जाएगा।

नारद की रेटिंग, हालांकि हम अभी इसको दरकिनार करके, सभी ब्लॉग क्रमवार एग्रीगेट कर रहे है। हम हर आधे घन्टे मे प्रथम श्रेणी के ब्लॉग एग्रीगेट कर रहे है, और हर २४ घन्टे मे पाँचवी श्रेणी के ब्लॉग एग्रीगेट कर रहे है। इन श्रेणियों को हमने सर्वर के लोड हैन्डिल करने के अनुसार बनाया है।

लेखकों के चित्र : इस बारे इस पोस्ट पर काफी जानकारी है।

पिछ्ले वर्ष इसी सप्ताह : इसमे हम पिछले वर्ष इसी सप्ताह हिन्दी मे लिखे चिट्ठों का लिंक देंगे। पुरानी यादें भी ताजा हो जाएंगी और हमारी विरासत भी हमे याद रहेगी।

नए चिट्ठे : नए चिट्ठों के बारे मे सूचना

समेवत स्वर : अक्षरग्राम समूह की सारे वैब स्थलों के बारे मे एक जानकारी।

पुराने माल पर ताजा तड़का : यानि रिसेन्टली मोडीफाइड ब्लॉग्स । यानि वो चिट्ठे, जिसमे साथियों ने संचित और प्रकाशित करने के बाद कुछ बदलाव किया है।

नारद पर अभी भी नए चिट्ठों का पंजीकरण बन्द है। हम पंजीकरण प्रक्रिया को आटोमेट करने की कोशिश कर रहे है।इसमे थोड़ा समय लगेगा। इसके अतिरिक्त बहुत सारी चीजे है जो पाइपलाइन मे है। उनको शीघ्रातिशीघ्र आपके सामने लाया जाएगा। फिर भी ये फाइनल बीटा संस्करण है, किसी भी प्रकार की परेशानी आने पर हमे सूचित करिएगा। हम उसका समाधान करने की कोशिश करेंगे।

तो फिर आते रहिएगा नारद पर।

7 Responses to “नारद २ का वृतान्त”

  1. बधाई ताऊ।

    आपके मार्गदर्शन में ही यह सम्भव हुआ है और हो रहा है।

  2. सही है दादा, आपके ब्लॉग की नई थीम भी पसंद आई लेकिन यह IE6 में बोल जाती है, उसका कुछ समाधान करो, अभी ये टिप्पणी Opera से करनी पड़ रही है। 😉

  3. आज तो बडी खुशी का दिन है,
    नारद की वापसी, पूरी टीम को बधाई और धन्यवाद
    जीतू जी, कृपया अपनी पोस्ट का फांट साइज़ एक point बढादें, पढने मे आसानी रहेगी।

  4. बहुत बहुत बधाई, जीतू भाई और पूरी टीम को. इतना बड़ा प्रोजेक्ट इतने सामांजस्य के साथ और इतने कम समय में करना अति उल्लेखनीय और प्रसंसनीय है.

    एक बार पुनः बधाई एवं भविष्य के लिये शुभकामनायें.

  5. प्रिय छोटे भाई ,
    बहुत-बहुत आशीष !
    यह सब बिना चिट्ठाकार मित्रों की एकजुटता,वचनबद्धता और समर्पण भावना के सम्भव नहीं था. सभी को बहुत-बहुत बधाई . इन सबको एकसूत्र में बांधने के लिए आपकी संयोजन क्षमता की जितनी तारीफ़ की जाए कम है .

    पंकज, ईस्वामी, बेंगानी बंधु, विशाल, अमित और निशांत यानी ‘टीम नारद’ के बचाव दल के सभी सदस्यों की टीम भावना को सलाम करता हूं , इस कार्ययोजना को मूर्त रूप देने के लिए. इनमें से कुछ सदस्यों के उत्साह और उनकी तकनीकी दक्षता तथा प्रतिभा का अनुभव तो मैं परिचर्चा फोरम पर प्रत्यक्ष रूप से कर चुका हूं .

    जो साथी अपनी बारी की प्रतीक्षा में पृष्ठभूमि में खड़े रहे उन्हें मिल्टन की ‘पैराडाइज़ लॉस्ट’ की इस पंक्ति के साथ हौसला देता हूं :
    ‘ दे ऑल्सो सर्व हू स्टैण्ड एण्ड वेट ‘

    ‘पिछले वर्ष इसी सप्ताह’ का विचार बहुत अच्छा लगा . यदि दो कदम पीछे न हटें तो दूर तक छलांग नहीं लगा सकते . नारद की करताल यूं ही अनंतकाल तक सही लय-ताल में बजती रहे यही कामना है . दीपावली और ईद की शुभकामनाओं के साथ,

    बड़े भाई
    (प्रेमचंद के बड़े भाईसाहब जैसे)

  6. ”नारद रक्षक दल” के सदस्‍यो को शुभ कामनाऐ

  7. नारद टीम को बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद।
    हिंदी चिट्ठाजगत को शुभकामनायें।