कवर स्टोरी: घासीराम की भैंस

पहले एक डिस्क्लेमरः इस लेख में सभी पात्र, स्थान और घटनाएं काल्पनिक हैं। इसके बाद भी यदि आपको अपना पसन्दीदा चैनल, संवाददाता या उद्घोषक इसमें दिखता हो तो आपके लिए हमारी राय है कि इस लेख को मत पढे, उसी चैनल पर जाकर पकाऊ न्यूज देखें। किसी भी प्रकार के मानसिक कष्ट के लिए लेखक की कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी। हमने किसी न्यूज चैनल विशेष को केंद्रित करके नहीं लिखा, लिख भी नहीं सकते, कोई चैनल विशेष है ही नहीं। सारे भेड़-चाल पर चल रहे हैं।

जो कहानी मैं आपको सुनाने वाला हूं, वो एक टीवी न्यूज़ चैनल(चैनल फ़ुल्ली फ़ालतू) के अन्दर की कहानी है। तो इसमें कुछ पात्र हैं, उनसे पहले परिचय कर लिया जाए-

गुल्लू – ये चैनल के मालिक हैं। समाज के हितों से इनका कोई सरोकार नहीं। चैनल पर क्या चलाने से कमाई कैसी होगी, टीआरपी कित्ती जाएगी उससे इनको पूरा-पूरा मतलब है। इनका पुराना धन्धा मसाले का कारोबार था, न्यूज चैनल को भी मसाले के कारोबार की तरह चलाते है।

गजोधर – ये जनाब मुख्य संपादक, प्रोडक्शन मैनेजर सब कुछ हैं। असफ़ल पत्रकार,छात्र नेता रहे इन जनाब को देश के हर न्यूज चैनल से धक्के मारकर निकाला जा चुका है, अब आखिरी पड़ाव ये चैनल है। चैनल पर वही चीज़ चलाते हैं जो जनता चाहती है, ऐसा इनका दावा है। ख़बर कैसी, क्या और कहां की है इससे कोई मतलब नहीं। टीआरपी में टॉप होना चाहिए। ख़बरों को बड़ा बनाना इन्हें बहुत अच्छा लगता है। गुल्लू की आँख के तारे है, इनकी बहन गुल्लू के भतीजे से जो ब्याही है।

निधि खोजी – ये संवाददाता है, जो सारा दिन मारी-मारी फिरती है, ख़बरों की तलाश में। अभी इनका प्रोबेशन पीरियड चल रहा है। इस धन्धे मे नयी है, लेकिन अदाएं कातिल है।

टप्पू – ये भी वरिष्ठ संवाददाता है, लेकिन बहुत खुर्राट और घाघ। लोगों से ख़बरें उगलवाना इन्हें बहुत अच्छी तरह से आता है। इनका मानना है कि नेताओं से ज्यादा जरुरी है गली मोहल्ले के आम आदमी को कवर करना। ये भी गजोधर की तरह, अपने आखिरी चैनेल के पड़ाव पर है।

रुपाली – ये चैनल का फ़्रंट-एण्ड है यानि कि समाचार वाचिका बोले तो एंकर। इनकी अदाएं देखकर ही इन्हे रखा गया था। साथी एंकर इनको देखकर अपने समाचार पढने भूल जाते है। टेबिल के नीचे से भी पैर मारने की खबरे मिली है। दर्शक भी सिर्फ़ इन्हे देखते रहते है, वैसे भी समाचारों मे होता ही क्या है? पूरा आफिस इनकी अदाओं पर लट्टू है। इनके बारे मे रोज रोज नयी नयी अफ़वाहों का बाजार गर्म रहता है।

आइए परिचय तो हो गया, इसके अलावा भी कुछ और पात्र आते जाते रहेंगे, समय रहते उनका परिचय भी कराया जाएगा। आइये अब चले चैनल के ऑफ़िस के अन्दर।

गुल्लू-गजोधर संवाद
स्थान:न्यूज चैनल का आफ़िस
समय : सुबह नौ बजे।

गुल्लू- आज क्या दिखा रहे हो गजोधर?
गजोधर- सर जी! अभी तो ख़ास ख़बर दिखी नहीं, थोड़ी देर में बता सकूंगा।
गुल्लू- देखना उन सालों (प्रतिद्वंदी चैनल का नाम लेकर) के हाथ कोई बटेर ना लग जाए, उनसे पहले हमारा चैनल होना चाहिए। ख़बर ऐसी हो जो जनता के दिल के क़रीब हो।
गजोधर- आप चिन्ता मत करें सर हमारे रिपोर्टर गली-गली में घूम रहे हैं। मै अभी आपको कॉल करता हूँ।

(तभी दूसरी लाइन पर निधि की कॉल है, गजोधर, गुल्लू को फ़ोन रखवाकर, निधि से बात करता है)

निधि- सर! आज कोई ख़ास ख़बर नहीं दिखती।

गजोधर- अरे! कोई नेता नहीं मरा, किसी ने रिश्वत नहीं ली, कोई भी बच्चा गढ्ढे में नहीं गिरा? ऐसा कैसे हो सकता है? ढूंढों, और हां फ़लां चैनल पर भी नज़र रखना। जिस ख़बर की किसी भी सतह पर वो जाएं, हम उस ख़बर के अन्दर घुस जाएंगे।
निधी- सर जी! एक ख़बर है, मैंने आपको बताना मुनासिब नहीं समझा था, लेकिन फ़लां चैनल उसे दिखा रहा है।
गजोधर- अच्छा, क्या ख़बर है?
निधी- सर जी! ढक्कनपुरवा गांव में घासीराम की भैंस भाग गयी है। वैसे घबराने की कोई बात नहीं है, कई बार पहले भी भाग चुकी है। शाम तक लौट आएगी।
गजोधर- अरे वापस कैसे आयेगी, हम है ना। अच्छा ठीक है, तुम ढक्कनपुरवा पहुंचो, हम टप्पू को भी भेजते हैं। उसके साथ ख़बर को कवर करो। उस मोहल्ले के अपने सिटीजन रिपोर्टर (फुरसतिया) को खबर कर दो, कि भैंस को ढूंढे और अगर मिल जाए तो उसे स्टूडियों मे आंगन मे बाँध दे। शाम तक भैंस किसी को मिलनी नही चाहिए, आज की कवर स्टोरी यही रहेगी, घासीराम की भैंस

भैंस

स्थान- ढक्कनपुरवा
समय- सुबह दस बजे

रुपाली (स्टूडियो से) : निधि….निधि…. क्या आप हमारी बात सुन सकती हो….निधि निधि….. लगता है हमारा सम्पर्क निधि से टूट गया है।
निधि: हाँ….. कौन है उधर, अच्छा रुपाली, आज कौन सी साड़ी पहने हो…और कल रात कहाँ टहल रही थी?
रुपाली : निधि…हम लाइव है, रिपोर्ट के बारे मे बताइए….
निधि- ओह! सॉरी, मैं निधि खोजी, चैनल फ़ुल्ली फ़ालतू के लिए ढक्कनपुरवा से रिपोर्ट कर रही हूं। हम आपको बता दें कि घासीराम की भैंस अपने घर से खूंटा तोड़कर भाग गयी है, आइये बात करते हैं घांसीराम से।
निधि- घासीराम जी, दर्शकों को इस पूरे हादसे के बारे में बताएं। क्या हुआ था आज सुबह जब आपने अपनी भैंस को विदा किया था।
घासीराम- हम का बताएं, हमरी तो जान ही चली गई। हाय सुंदरी, हाय रे सुंदरी। (रोना शुरू कर देता है)
निधि : देखिए घासी राम जी, रोना बन्द कीजिए, और हमे पूरी घटना के बारे मे बताइए।

सम्मति- आप इस वक़्त करोड़ों दर्शकों के सामने हैं। देश-विदेश में आपको लाइव देखा जा रहा है। घासीराम जी, दर्शक जानना चाहेंगे कि क्या हुआ था आज सुबह। आखिर किस बात पर सुंदरी नाराज़ होकर चली गई?

घासीराम – पता नहीं बहनजी (बहन जी के नाम पर रुपाली के चेहरे पर अजीब भाव आए), हमें का पता सुंदरी को हमारी कौन-सी बात बुरी लग गई। हम तो आज सुबह दुहे ही नहीं थे। हम सुबह ही कल्लू के घर चले गए थे। आकर देखा तो सुंदर नहीं है। खूंटे की रस्सी टूटी मिली। हमें का पता था कि सुंदरी को हमरी कौन सी बात बुरी लग गई।

निधि- (कान का टेपा ठीक करते हुए) घासीराम जी यानी आप कह रहे हैं कि सुंदरी को आपने सुबह नहीं दुहा था। इत्ती सुबह आप कल्लू के घर क्यों गए थे? (फिर से बालों की लटों को झटकटे हुए)

घासीराम – अब काहे का कल्लू और काहे का उसका घर.. बेचारा कल्लू आज ही भगवान को प्यारा हो गया। चल बसा। सुबह हम तभी दिशा-मैदान से आए और तबेले में जाने वाले थे कि इत्ते में रामलाल साइकिल से आया और हमको बताया कि कल्लू गुज़र गया। वहीं मिट्टी में चले गए बहन जी।

निधि – ये कल्लू कौन है?
घासीराम – हमरा मित्र था कल्लू। हम साथ-साथ ही दो जमात तक पढ़े थे।
निधि- क्या करता था ये कल्लू?
घासीराम- करने को क्या है बहन जी यहां.. दो जून की रोटी के लिए खेती-बाड़ी कर लेते हैं। कल्लू किसानी करता था। पिछले साल नकदी फसल के चक्कर में आ गया, बैंक से करजा लिया और ये साल बारिस ने धोखा दे दिया। निकल गया था बेचारे का दिवाला। तगादे से तंग आकर कल रात फांसी लगा ली उसने।

निधि – कितना कर्ज़ा था कल्लू पर…
(तभी कान के टेपे पर चैनल प्रोड्यूसर गजोधर की आवाज़ गूंजती है- “don’t change the topic!! @#$% the कल्लू and his loan, get back to भैंस। निधि,भैंस हमारी कवर स्टोरी है, कल्लू की आत्महत्या नही। घासीराम से सुंदरी भैंस के बारे में बात करो” )
रुपाली – (बीच में टोकते हुए) घासीराम जी, सुंदरी के बारे में दर्शक विस्तार से जानना चाहेंगे।
निधि- घासीराम जी, जनता जानना चाहती है कि सुंदरी दिखने में कैसी थी, क्या करती थी, उसकी हॉबीज़ क्या थीं? जब आपने उसे आख़री बार देखा था तब उसे देखकर क्या लगा था कि वो ऐसा कर सकती है? उसका किसी पड़ोसी भैंसे से कोई चक्कर वगैरहा…..
घासीराम : हमरी भैंस, ( और वो फिर से दहाड़े मार-मार कर रोने लगता है)
रुपाली : घासीराम जी, धैर्य मत खोइए, आपकी भैंस मिल जाएगी। घासीराम जी….घासीराम जी, निधि…निधि…
रुपाली: लगता है घासीराम से हमारा सम्पर्क टूट गया। हम अभी वापस लौटते है। हमारे जो दर्शक हमे फोन करना चाहे वो अपने मोबाइल से XXXX डायल करें, आपकी राय जानना हमारे लिए बहुत जरुरी है। यदि आपके कुछ सवाल भी है तो वो भी बताइए, (नोट: प्रत्येक कॉल की कीमत, ४ रु. प्रति मिनट है, इसमे गुल्लू के ३ रु और १ रु मोबाइल कम्पनी का) आप जाइएगा नही हम इस खबर पर बने हुए है, हम लौटते है, एक छोटे से ब्रेक के बाद।

इधर गजोधर को एक फोन आता है, फ़ुरसतिया का, जिसमे उसने बताया कि घासीराम की भैंस, तालाब में तैराकी की प्रैक्टिस कर रही थी, गजोधर ने फुरसतिया को भैंस को स्टूडियों के आंगन मे बाँधने को कहा, बदले मे फुरसतिया के ब्लॉग की रात को १२ बजे समीक्षा दिखायी जाएगी। एक घन्टे मे फुरसतिया मय नए रस्से के भैंस को स्टूडियों मे बाध आता है और अपनी नयी ब्लॉग पोस्ट मे जुट जाता है। इधर गजोधर, गुल्लू को भैंस की स्टोरी के लिए, कोई प्रायोजक ढूंढने को बोलता है। गजोधर अपने मातहतों को कुछ पर्यारवरण एक्टिविस्ट, कुछ पशु एक्सपर्ट, और कुछ मनोचिकित्सकों को स्टूडियों मे बुलाने के लिए बोलता है। अब चूंकि चुनाव का माहौल है, इसलिए राज्य सरकार, केन्द्र सरकार और विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के पास इस मसले पर राय जानने के लिए रिपोर्टर भेजने का जुगाड़ करता है। और हाँ भैंस को स्टूडियो के पिछवाड़े बाँध दिया जाता है, आखिर वही तो कवर स्टोरी है।

(किसी और ब्लॉगर भाई को इसके आगे की कहानी लिखनी है तो वो अपने ब्लॉग पर लिख सकता है, इस कहानी के आफिशल पार्टनर कीबोर्ड के सिपाही है, जिनके ब्लॉग पर अगला भाग लिखा चुका है।)


अगले अंक मे जारी…..

5 Responses to “कवर स्टोरी: घासीराम की भैंस”

  1. बहुत बढिया जीतू भाई, क्या धाँसू आइडिया ले कर आये हो और वह भी बिल्कुल आज की पत्रकारिता की सच्चाई को दिखाता हुआ।

  2. ‘भाड़ में जाये कल्लू और उसका लोन और उसकी मौत’ (गरीब की मौत भी कोई खबर है?) . यह तो विचलन है . सही टॉपिक है सुंदरी उर्फ़ भैंस जी के भाग जाने का प्रकरण और उसका जनहित में सीधा –लाइव– प्रसारण.

    करुणा और व्यंग्य को आपने साथ-साथ साध लिया है . बधाई!

  3. Hi!!!

    ekdum “dhansoo”!! very hard hitting portrayal

  4. ये कमेन्टस और थी, जो उड़ गयी थी, सभी यहाँ लिख रहा हूँ:

    जबरदस्त जीतू भाई ! अच्छी टाँग खीचीं है आपने टी वी मीडिया की !- मनीष

    भैंस की आखें सूजी है, नाक पर नकेल के चिन्ह है,बेहतर है डाक्टरी परिक्षण करवा लिया जाए। —रत्ना

    रत्ना जी, अभी आफिशयली भैंस मिली कहाँ है, ये तो फ़ाइल फोटो है। वैसे डाक्टरी जाँच तो करानी ही पड़ेगी, फुरसतिया का क्या भरोसा?-जीतू

    बहुत बढ़िया. अब, भैंस को जब सजीव प्रसारण के लिए स्टूडियो में लाया जाएगा तो वो प्रकरण बड़ा ही रोचक बनेगा.
    ‘गड्ढे से आसमान तक पहुँचे प्रिंस’ (ये जुमला हूबहू स्टॉर न्यूज़ का है जब प्रिंस पर तुरंत क़ब्ज़ा कर उसे हवाई मार्ग से मुंबई ले जाया गया था) को शांत रखने के लिए स्टॉर न्यूज़ के स्टूडियो में बहुत सारे खिलौने लाए गए थे,…. 108 घंटे तक लगातार गाने(?) वाले ‘लिम्का बुक सिंगर’ के लिए स्टूडियो में ही म्यूज़िक की-बोर्ड और यहाँ तक कि ऑर्केस्ट्रॉ भी जुटा दिया जाता है. इसी तर्ज़ पर क्या भैंस के लिए स्टूडियो में(मुझे भरोसा है कि भैंस को आमंत्रित विशेषज्ञों से बात कराने के लिए स्टूडियो में ज़रूर लाया जाएगा) कीचड़युक्त पानी, भूसा आदि का इंतजाम किया जाएगा? यदि इंटरव्यू में भैंस कुछ बोला ही नहीं सिर्फ़ पगुराता रहा तो क्या उसके आगे बीन बजा कर प्रसिद्ध कहावत को सही साबित करने की कोशिश की जाएगी?-हिन्दी ब्लॉगर
    जीतू भइया, ऐसा लग रहा है जैसे आपको गुल्लू नें आपको चैनल से निकाल कर गजोधर को नौकरी पर रख लिया है तभी आप इस चैनल के पीछे पड़े हो.

    ऑन ए सीरियस नोट, अच्छी खबर ली है आजकल के तथाकथित ब्रेकिंग न्यूज़ देने वाले तेज़ चैनलों की. किसी भी साधारण घटना को सनसनीखेज़ बना के नोट कैसे कमाने हैं, यह इन चैनलों को मात्र १० मिनट देख कर ही पता चल जाता है.

    ऐन्ड फॉर द रिकॉर्ड, मैंने बुद्धू बक्से के आगे बैठना सन् १९९५ से ही बन्द किया हुआ है. बस कभी-कभी दफ्तर में खाने के समय समाचार देख कर मन ही मन इन चैनलों को गालियाँ दे लिया करता हूँ.-निशांत शर्मा

    🙂 -शोएब

    गजबए लिखे हो जीतू भइया। इ भइँसिया सहीयए में बड़ा उत्पात मचाए रही। – अनुराग मिश्रा

    गज़नट! आगे नीरज दीवान लिखें न लिखें तुम लिखो न!- फुरसतिया
    ———————- उड़ी हुई पोस्ट पर टिप्पणी———-

    भाया !
    ईनै भैसां की सौंदर्य प्रतियोगिता (वर्ल्ड वाइड) में भेज . सोला आना जीतेगी. घणी फूटरी लाग’री सै .अतरी फोटोजेनिक सै सुंदरी अर अतो सुंदर फोटू सै. फोटोग्राफ़र साब ने म्हारो राम-राम कहज्यो . – प्रियंकर

  5. बहुत बढिया जीतू भाई, क्या धाँसू आइडिया ले कर आये हो और वह भी बिल्कुल आज की पत्रकारिता की सच्चाई को दिखाता हुआ।
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