देखिए मेरी बुक-शैल्फ
मेरे को पढने का बहुत शौंक है, अक्सर खाली समय, टीवी ना देखकर, मै किताबें पढने मे ही काटता हूँ। जब तक इन्डिया मे था, तब तक किताबें खरीदने का बहुत शौंक था, पढने का उतना नही था । पढने के लिए समय ही नही मिल पाता था। अब कुवैत मे आकर पढने का शौंक तो है लेकिन किताबें खरीदने के लिए ज्यादा स्थान नही है, या फिर इतनी ज्यादा महंगी होती है कि सोचना पड़ता है। फिर भी जब भी कंही कोई मौका मिलता है, मै अपने मतलब की किताबें खरीदने चूकता नही।काफी अच्छी किताबें मेरी बुकशैल्फ की शोभा बढा रही है, लेकिन अक्सर लगता था कि कोई एक ऐसा स्थान हो जहाँ पर हम अपनी बुकशैल्फ मे रखी किताबों के बारे मे लोगों को बता सकें और उन किताबों के बारे मे चर्चा भी कर सकें।
अब इन्टरनैट पर भी एक ऐसा स्थान है, जहाँ आपकी किताबों के कवर पेज दिखेंगी, ठीक आपकी बुक-शैल्फ की तरह। यकीन नही आता ना, तो देखिए मेरी बुक शैल्फ़ । इसके साथ ही आप अपने मित्रों की बुक शैल्फ भी देख सकते है। इसके अतिरिक्त आप किसी भी किताब पर अपना रिव्यू भी लिख सकते है, या अपने मित्रों को भी इसके बारे मे बता सकते है। या फिर अपने शहर के किताब-प्रेमियों का एक ग्रुप भी बना सकते है, जिनसे आप किताबे एक्सचेन्ज करके पढ सकते है। इसके अतिरिक्त आप अपने ब्लॉग पर अपनी बुकशैल्फ़ सजा सकते है, या बता सकते है कि आजकल आप क्या पढ रहे है। सम्भावनाएं तो बहुत है, लेकिन पहले आप रजिस्टर तो करिए।
अपनी शैल्फ़ बनाने के बाद मुझे अपने दोस्तों मे जोड़ना मत भूलिएगा, तो कब दिखा रहे है आप अपनी बुक-शैल्फ?
वास्तव मे किताब वाली साईट बहुत अच्छी है ।
मैने भी अपनी shelf बनाई है ।
म्रेरी शेल्फ यहां http://www.shelfari.com/brmeena/shelf
पे है:
विज्ञापन तो खूब किए हो जी, अब शेल्फ़ारी वालों से कहो कि आपका कुछ कमीशन भी बांधें, आखिर वहाँ दिखाई गई किसी किताब को खरीदने के लिए अमेजन वाले लिंक पर क्लिक करो तो उनको भी तो कमीशन मिलेगा!! 😉 वैसे मेरा शेल्फ़ यहाँ देखो। सारी किताबें नहीं डाली हैं पर फ़िर भी, फ़िलहाल थोड़ी ही सही। 🙂
बढ़ियां है, महाराज. ज्वाईन किया जायेगा.
पंकज ने मुझे भी शेलफारी के बारे में लिखा था तो मैं भी उसे देखने गया, वहाँ नये जुड़े लोगों में जीतू तुम्हारी किताबें भी देखीं. किताबों में राग दरबारी का नाम अँग्रेजी में था इसका अर्थ है कि उस पर हिंदी में नहीं लिखा जा सकता?
अच्छी बुक शेल्फ है आपकी ।
वैसे आपको याद होगा कि अनूप जी ने किताबों पर चर्चा करने के लिए किताबीकोना नाम से सबको पुस्तकों के बारे में लिखने का मशवरा दिया था । बाद में ये समीक्षाएँ नारद पर ले जाने की बात थी । क्या ये योजना अभी भी है ?
ग्रू जी, ख़ूबसूरत बुक शेल्फ के लिए आपको बधाई। वाकई बहुत बढ़िया है।
मै जीतू भाई पहुंच तो गया लेकिन शायद पढने का कोई जुगाड दिखा नहीं, बस किताबें शेल्फ़ मे सजा ली।
बढ़िया आइडिया है! कहां से लाते हो ये सब जुगाड़?
thank you bhai