अडोस मे मायका, पड़ोस मे ससुराल

कहते है ससुराल हमेशा दूसरे शहर मे होना चाहिए। लेकिन हर व्यक्ति इतना भाग्यशाली नही होता। कई कई लोगों के ससुराल एक ही शहर मे होते है। यहाँ तक तो ठीक है, लेकिन यदि ससुराल एक ही मोहल्ले मे हो तो? तो क्या, आपके घर मे क्या पक रहा है और क्या नही, ससुराल वालों को खुशबू पहले आ जाती है। लेकिन अच्छा तब क्या हो, जब सारे मोहल्ले वाले उसी मोहल्ले मे शादी करने की ठान लें। आप कहेंगे कि मजाक, अरे नही मियां, हमारी नही मानो तो ये खबर देखो ना। क्या कहा, अंग्रेजी मे है, अच्छा तो हम तर्जुमा कर देते है।

तो जनाब ये बात है राजस्थान के बारन जिले का एक गाँव कवई की। यह गाँव जयपुर से लगभग 325 किलोमीटर दूर है। ये पूरा का पूरा गाँव ही जीजा-सालों से भरा हुआ है। क्यों? क्योंकि भाई इस गाँव के लोग अपने बेटे बेटियों की शादी गाँव के बाहर करते ही नही। गाँव के 90 फीसदी से ज्यादा लोगों की शादी गाँव के अन्दर ही हुई है। ये लोग हँसी खुशी एक साथ रह रहे है, बिना किसी लड़ाई झगड़े के। दरअसल ये गाँव वाले, रिषिश्वेशर समुदाय है, इनके पुरखे लगभग तीन सौ साल पहले, मध्य भारत (आज का मध्य प्रदेश) से रोजगार की तलाश मे राजस्थान मे आकर बसे थे। तब से वे यहीं के होकर रह गए। धीरे धीरे आपस मे विवाह का सिलसिला शुरु हुआ, जिसने बाद मे परम्परा का रुप ले लिया। सफल शादियों ने इनके उत्साह को और बढाया।

तो फिर ये इतनी मसालेदार खबर टीवी चैनल वालों से छिपी कैसे रही, अरे रह गयी तो रही गयी। अब देखिएगा ना, इस ब्लॉग को पढकर, कोई टीवी चैनल वाला इनका इन्टरव्यू लेने ना पहुँचे तो कहना।

5 Responses to “अडोस मे मायका, पड़ोस मे ससुराल”

  1. बढ़िया मस्सालेदार ख़बर लाए हो ढूंढकर.. ये परसों तक चैनल पर आ जाएगी..

  2. हम तो सोच के आए थे कि आपने अपनी समस्या पर प्रकाश डाला है :p । खैर कोई नहीं, वैसे रोचक खबर रही ये भी !

  3. सुरत में एक ऐसी ही गली है जिसका असली नाम तो अभी याद नहीं परन्तु उस गली में लगभग ९०% लोगों ने प्रेम विवाह किया है इस वजह से आजकल उसे प्रेम गली या लव गली भी कहते हैं। 🙂

  4. इतनी अच्छी गली और सागर भाई नाम ही भूल गये. जरा दिमाग पर जोर डालो यार. 😉

    वैसे जीतु भाई, इन खबरों के लिये बड़ी पैनी और चौकस निगाह चाहिये समाचार पढ़ते समय. 🙂

  5. वाह, अब ब्लोग में भी चटखारेदार खबरें आने लगी, नीरज ने कह दिया है तो अब अखबार में भी आ ही जायेगी। 😉