यूपी सरकार बर्खास्त (हो)?

एल्लो, जी, मुलायम सरकार की हालत तो अब ऐसी हो गयी है कि AGKTG नही समझे, अरे वही अब गिरी कि तब गिरी। कांग्रेसी कह रहे है गिरा दो, गिरा दो। लगभग यही राग अजीत सिंह और लालू भी गा रहे है। अब कैसे गिरा दें, कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दे रही है, वामपंथी बोल रहे है, यदि उस फैसले को देखा जाए तो कांग्रेस भी जिम्मेदार थी, क्योंकि कांग्रेस ने मुलायम सरकार को समर्थन दे रखा था। वामपंथी कह रहे है कि मुलायम को बहुमत सिद्द करने का मौका दिया जाना चाहिए।

ऐसा नही कि कांग्रेस नैतिकता के आधार पर यह कह रही है, कांग्रेस को डर है कि यदि मुलायम सरकार रही तो राज्य मे निष्पक्ष चुनाव नही हो पाएंगे। उत्तर प्रदेश मे अभी स्थानीय चुनाव हुए थे, जिसमे कांग्रेस और दूसरी पार्टियों को, करारी हार झेलनी पड़ी थी। परिणाम समाजवादी पार्टी के पक्ष मे गए थे। यही कांग्रेस नही चाहती, आखिर इत्ता बवाल करके उत्तर प्रदेश मे ‘राहुल बाबा’ को प्रोजेक्ट किया, वहाँ परिणाम मनमाफिक ना आएं तो दिक्कत हो जाएगी। लेकिन वामपंथी अड़े हुए है।

लेकिन कोई और भी है जो नही चाहता कि मुलायम सरकार जाए, कौन? अरे वही भाजपा और मायावती। सच तो ये है कि यदि उत्तर प्रदेश मे आज चुनाव हों तो परिणाम इन दोनो के ही पक्ष मे ही जाएंगे, कम से कम मुलायम की पार्टी बहुमत मे तो नही ही आएगी। इसलिए ये दोनो पार्टीयां चाहती है कि मुलायम सरकार मे रहे, ताकि ये मुलायम के खिलाफ़ वोट मांग सके। फिर पता नही राष्ट्रपति शासन लगने के बाद ऊँट किस करवट बैठे। और कांग्रेस? उसको कोई जानता भी है उत्तर प्रदेश में? ना मानो तो रायबरेली से बाहर निकलकर देख लो, कांग्रेसियों को जमीनी सच्चाई का पता चल जाएगा। लेकिन कांग्रेसी तो बस राहुल बाबा को कन्धे पर बिठाकर उत्तर प्रदेश का किला फतह करने के हवाई मंसूबे बाँधे है।

मुलायम की नैया अब सिर्फ़ वामपंथियों के ही हाथ है। वामपंथी अगर मान गए, तो मुलायम सरकार तो गयी समझो। इधर कांग्रेसियों को तो पक्का यकीन है कि मुलायम सरकार के गिरने मे ही फायदा है, हो सकता है इस ब्लॉग पोस्ट को पढने तक उत्तर प्रदेश मे राष्ट्रपति शासन लागू हो जाए। देखो कब तक घिसटती है यह सरकार। लेकिन इस सब घटजोड़ के जिम्मेदार क्या हम लोग ही नही है? क्यो नही हम किसी एक पार्टी को वोट देते, क्यों हम खरीदे जाने वाले विधायकों को वोट देते है और सोचते है कि हमारी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी पूरी हो गयी। आखिर कब तक ये खरीद फरोख्त को हम बढावा देते रहेंगे,आखिर कब तक?

3 Responses to “यूपी सरकार बर्खास्त (हो)?”

  1. मुल्लायम सरकार के गिरने का कारण कुछ भी हो, पर अब इसका अंत हो ही जाना चाहिये…जहाँ तक हमारी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी का सवाल है वह तब तक पूरी नही होगी जब तक हमारे समक्ष प्रतिनिधि लोकतंत्र के साथ साथ प्रतिभागी लोकतंत्र का विकल्प भी उपलब्ध नही हो जाता……..

  2. इस सरकार का जाना जरूरी और मजबूरी दोनो है। पर जिस तरीके से किया जा रहा है वह गलत है।

  3. अब मामला यूँ है कि काँग्रेस समझती है कि हर जगह यूँ ही मजे मजे मे जीत जाएगी, लेकिन अब हर बार तो ऐसा नही हो सकता ना!!