आओ ढूंढे बिछड़े लोग
कभी आपने सोचा है कि आपने नामाराशी कितने लोग है आपके शहर में, या आपके प्रदेश मे, या आपके देश मे या फिर पूरी दुनिया में। है ना मजेदार विचार। लेकिन भई ऐसे लोगों को कैसे ढूंढे। है तो बहुत बड़ी उलझन। लेकिन जनाब आपकी इस उलझन को सुलझाया है एक साइट पीप्ल डाट काम ने । इसमे आप दुनिया के किसी भी शहर/देश मे रहने वाले बन्दों के बारे मे जान सकते है, बशर्ते वो डाटा पब्लिक डोमेन मे हो, मतलब कि सार्वजनिक हो। अक्सर होता है जी, टेलीफोन डायरेक्टरी का मसाला, याहू पीपल का प्रोफ़ाइल और भी बहुत कुछ। तो शुरु करिए और ढूंढिए अपने बिछड़े लोगों को।
लेकिन भई सवाल ये उठता है कि ये सब तो आप गूगल मे भी ढूंढ सकते है। जवाब है नही जी, आप ट्राई करके देखिए, फर्क साफ़ दिख जाएगा। इस्तेमाल तो कई हो सकते है जैसे पुराना दोस्त, पुराना प्यार, बिछड़े रिश्तेदार (कौन ढूंढता है?) या पुराने कर्मचारी या फिर और भी कोई। मै तो इसमे अपने पुराने ब्लॉगर्स, हिन्दी चिट्ठाकारी से नदारद लोगों को ढूंढने की कोशिश करता हूँ, तो पहला नाम डालते है “Atul Arora” का । क्या कहा? अरे यार गायब लोगों को ही तो ढूंढेंगे है ना?
तो पहला नाम डालते है “Atul Arora” का । क्या कहा? अरे यार गायब लोगों को ही तो ढूंढेंगे है ना
ये बात तो खूब कही 🙂
bahut sahi.
मैने अपना नाम ढुंढा तो मै भूल गया था वो जानकारी मिल गई, बोलो!! 🙂
शानदार.
जबरदस्त है…
जीतू जी, आपने पहला ही उदाहरण बहुत उपयुक्त दिया!
अरे भई मजा आ गया । कुंभ मेले में इसका इस्तमाल होना चाहिए । थानों में जहां गुमशुदा लोगों की तलाश के पोस्टर होते हैं वहां भी ।
हमारे नाम का क्या ?
जीतू भईया आप तो सबसे हमेशा ही एक ईमेल की दूरी पर रहते हो फिर इस नाचीज को ढूँढने की जहमत काहे उठा रहे हो भई।
सही काम की चीज़ है…
ढूंढ लिया सबको….. 🙂
छिपने की कोशिश बेकार कर दी!!
good hai ….:)
अरे भईया बोत खतरनाक चीज है। मैंने अपना नाम डाला तो ईमेल पते समेत शहर का नाम तक बता दिया। खैर गूगल ग्रुप्स और ब्लॉग सर्च पर जीतू भईया भी पकड़े गए।
bahut badhiya!!!! jitu bhai ab ye bata do ki ye sab jugaad milte kidhar se hain?