विषय आधारित ब्लॉग्स

जैसे जैसे हिन्दी ब्लॉगिंग के कदम इन्टरनैट पर बढते जा रहे है, हर दिशा और हर विधा से लोग ब्लॉगिंग की तरफ़ आकर्षित हो रहे है। वैसे तो हिन्दी चिट्ठाकारी मे चिट्ठाकार अलग अलग विषयों पर लिखते है। लेकिन अभी भी कुछ विषय अछूते ही है, जैसे ट्रैवल ब्लॉग कंही नही है, खान-पान और रहन सहन के ब्लॉग ना के बराबर है, इसी तरह माडलिंग और फैशन डिजाइन, नृत्य और फिल्म आधारित कोई भी ब्लॉग नही है। ब्लॉगर सभी विषयों पर लिखते है, इसलिए शायद किसी विषय विशेष पर उतना ध्यान नही दे पाते, जितना कि देना चाहिए।

जहाँ तक मै देखता हूँ, ब्लॉगिंग के दूसरे या कहें तीसरे दौर मे विषय आधारित व्यक्तिगत ब्लॉग्स और समूह ब्लॉग्स आएंगे। एक तरह की विचार और हॉबी वाले मिलकर समूह ब्लॉग लिखेंगे, जो विषय विशेष का मूल ब्लॉग बनेगा। इसी श्रृंखला मे हमने काफी समय पहले विज्ञान ब्लॉग की शुरु की थी। ट्रेवल ब्लॉग के प्लान बने, भारतयात्रा सामने आया। इसी तरह से अब एक नयी शुरुवात की है अमित ने खान-पान से सम्बंधित ब्लॉग स्पाइसी आइस बनाकर। इसमे खाने पीने से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। विभिन्न प्रकार व्यंजनों के बारे मे चटपटी बातचीत होगी, लोगों के रिव्यू होंगे, रेसिपी होगी और भी बहुत कुछ होगा। सबसे बड़ी बात वाइन से सम्बंधित जानकारी होगी। जिसके बारे मे अभी भी हिन्दी मे कोई ब्लॉग नही है।

खाने पीने के शौकीन लोग इस ब्लॉग को देखना ना भूले, साथ ही यदि आप खान-पान के बारे मे लिखना चाहते है, अपने शहर के किसी रेस्टोरेंट के खाने के बारे मे प्रतिक्रिया लिखना चाहते है तो आपका स्वागत है। ज्यादा जानकारी के लिए पधारिए स्पाइसी आइस पर। मैने भी अपने पहले लेख से शुरुवात कर दी है। इस नए प्रयोग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है।

13 Responses to “विषय आधारित ब्लॉग्स”

  1. सही है महाराज. बहुत दिनों से इस विषय में सोचा करता था. आज आपने शुरुवात कर दी इस दिशा में गंभीर चिंतन की. शुभकामनायें,

  2. अपन अमित भाई के ढाबे पर दो बार जा चुके हैं. उनको सुझाव भी टिकाएं. स्वाद और सर्विस ठीक है. किचन मे भी सब कुछ ढांक ढुंकूकर रखा जाता है. लेकिन अपन होम डिलीवरी भी चाहते हैं. फोन घंटियाने से आइटम आ जाना चाहिए.
    बाक़ी लोग-बाग खुद ढाबे पर जाकर देखें.

  3. आप‌क‌ा टूंडे क‌ब‌ाब प‌र लेख तो अच्छ‌ा थ‌ा प‌र ह‌म वेजिटेरिय‌नों के लिये भी कुछ ध्य‌ान रखिये.

  4. भाई वाह यह तो होना ही चाहिए…किंतु ट्रेवल ब्लाग के लिए एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो लगातार स्थानों का भ्रमण करे और सही जानकारी दे…सस्ता रहना,खाना…साइट सीन आदि के बारे में बताए;जो थोड़ा कठीन है…

  5. राकेश खंडेलवाल on मई 2nd, 2007 at 9:59 pm

    एक अकेली जान और ये बढ़ते हुए ब्लाग
    पढ़ते पढ़ते आये निद्रा, बीबी कहती जाग
    सुनते हुए नारदी वीणा काटे हैं छह घंटे
    देर हो रही है दफ़्तर को, लैपटाप ले भाग

  6. नारद पर जब चिट्ठों के पोस्ट इकट्ठा किए जाते हैं, अगर उन्हें उनके टैग से छाँटा जा सके तो बढ़िया रहेगा। इससे कुछ विषयों का खालीपन तो कम किया ही जा सकेगा।

  7. ज्ञानदत्त पाण्डेय on मई 3rd, 2007 at 1:14 am

    आप वैराइटी आफ ब्लॉग्स की बात कर रहे हैं. मैं यह देख रहा हूं कि हिन्दी ब्लॉगरों की छोटी सी जमात है जो लिख पढ़ रही है. सब हल्के-फुल्के लेते हैं. सटायर पर हंसते हैं और बस! हिन्दी ब्लॉगरी में दांत नहीं हैं.
    मैने 26 अप्रेल को पोस्ट “बहुजन समाज पार्टी ने शिवजी का आशिर्वाद लिया” (http://hgdp.blogspot.com/2007/04/blog-post_26.html) लिखी थी.
    चुनाव आयोग के मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (http://www.and.nic.in/election/MCC-AMENDMENT.pdf) के प्रावधान 1.(3) एवं 1.(6) के अनुसार मन्दिर पर बसपा के झण्डे से इनका उलंघन हुआ प्रतीत होता है. चुनाव आयोग एम.सी.सी. के उलंघन पर बहुत सख्त है. ब्लॉग पोस्ट को लीड लेकर कोई तो बवाल करता? पर हिन्दी ब्लॉगरी इतनी शैशवावस्था में है कि कोई उसे सीरियसली लेता ही नहीं/पढता नहीं. ज्यादातर लोग हिन्दू/मुसलमान/हनुमान/तालिबान जैसे पिटे हुये टिल्ल मसलों के रिकार्ड बजाये जा रहे हैं.

    शायद अंग्रेजी में लिखना ज्यादा प्रभावी होता.

  8. pankaj Bengani on मई 3rd, 2007 at 6:46 am

    बढिया गुरू.. वैसे प्रतिबिम्ब के साथ ग्रुप फोटो ब्लोग भी तो आ गया है..

    मेरा एक मिडीया ब्लोग था, पर अब वो मैने बन्द कर दिया क्योंकि तरकश पर मिडीया मंत्र है ही…. और इससे ज्यादा अब लिख नही सकता.

  9. लगे रहो….

  10. स्पाइसी आइस घूम कर देख लिया है। जब शाकाहारी भोजन होगा तो आजमाया भी जाएगा।

  11. अजी मैं तो कई बार बोल चुका हूँ कि विषय आधारित ब्लॉग बढ़ने चाहिए। अभी हाल ही में इस दिशा में कुछ पहल हुई है, समय के साथ साथ ये बढ़ेंगे भी।

    फिलहाल यदि कोई बंदा विषय विशेष आधारित ब्लॉग शुरु करता है तो पाठकों का अपेक्षित प्रतिसाद न मिलने से जल्द ही लिखना बंद कर देता है। इसका मेरे विचार से एक ही उपाय है कि जब पाठक बढ़ेंगे तो ये ब्लॉग भी चल निकलेंगे।

    लेकिन अभी भी कुछ विषय अछूते ही है, जैसे ट्रैवल ब्लॉग कंही नही है, खान-पान और रहन सहन के ब्लॉग ना के बराबर है, इसी तरह माडलिंग और फैशन डिजाइन, नृत्य और फिल्म आधारित कोई भी ब्लॉग नही है।

    खान पान संबंधी रत्ना जी ने रत्ना की रसोई शुरु किया तो था लेकिन शायद पाठकों का अपेक्षित प्रतिसाद न मिलने से खान पान को छोड़कर अन्य मसलों पर लिखना शुरु कर दिया।

    फिल्म आधारित सिलेमा नामक ब्लॉग प्रमोद भाई चला रहे हैं।

  12. अब आयें हैं आप मतलब के ब्लाग पर ! “स्पाइसी आइस “नाम सुनते ही मुहं मे पानी आ रहा है!! यम्म यम्म यम्म

  13. सचार क‍ी दुन‍िया